आलम यह है कि डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर हो रहे रुपये का असर अर्थव्यवस्था के साथ-साथ बनारसी साड़ी उद्योग पर भी पड़ता साफ नजर आ रहा है। लगातार कमजोर हो रहे रुपये के कारण रेशम से लेकर साड़ियों की कीमतें बढ़ने के कारण इसेका निर्यात बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। सबसे ज्यादा परेशानी उन सैकड़ों साड़ी कारोबारियों को हो रही है, जिनके पास पहले से साड़ी निर्यात का ऑर्डर मिला हुआ है।
बनारसी साड़ी कारोपबार से पीढि़यों से जुड़े रमजान अली ने पत्रिका को बताया कि डॉलर के मुकाबले रुपये में रोजाना हो रही गिरावट का सबसे ज्यादा असर बनारसी साड़ी निर्माण में उपयुक्त होने वाले रेशम पर पड़ा है। दरअसल, बनारसी साड़ी में इस्तेमाल होने वाला रेशम जापान और चाइना से आयात किया जाता है। डॉलर का दाम बढ़ने से यह रेशम महंगा हो गया है। इससे साड़ी बनाने की लागत बढ़ गई है। पिछले छह महीने के दौरान रेशम के दाम में 10 प्रतिशत का इजाफा हुआ, जिससे विदेशी बाजार में एक साड़ी की कीमत दस से पंद्रह डॉलर बढ़ गई है। डॉलर की मजबूती और रुपए की कमजोरी से कच्चे धागों की कीमतों में भी लगातार इजाफा हो रहा है। वहीं विदेश से मिले साड़ी के पुराने ऑर्डर को पुराने दर पर ही देने का लगातार दबाव भी साड़ी कारोबारियों पर बन रहा है।
उन्होंने बताया कि एक डॉलर की कीमत 74 रुपए से भी ज्यादा होने के चलते जो रेशम कल तक कारोबारियों को चार हजार रुपे मे मिल जाता था, वह अब पांच हजार रुपए से ज्यादा में मिल रहा है। रेशम के दाम बढ़ने से एक साड़ी की कीमत दस से पंद्रह डॉलर तक बढ़ गई है। बनारसी साड़ियों के पहले मिले ऑर्डर में एक साड़ी 40 से 45 डॉलर तक में थी। डॉलर के मजबूत होने से कच्चा माल महंगा हो गया है, जिससे अब इनकी कीमत बढ़ गई है।
डॉलर के मुकाबले रुपए के दाम में लगातार हो रही गिरावट से सबसे ज्यादा परेशान कारोबारी ही हैं। विदेश से मिले पुराने ऑर्डर के मुताबिक माल भेजने में अब अपने जेब से पैसा जा रहा है। यहां से साड़ियों को एक्सपोर्ट करके बाहर भेजना मुश्किल हो रहा है। हालात यह हैं कि जिस रेट पर साड़ी कारोबारियों ने ऑर्डर लिया था, उससे कहीं ज्यादा रेट डॉलर का हो चुका है। यदि साड़ी कारोबारी सप्लाई करते हैं तो सीधा-सीधा हर एक साड़ी पर 10 से 20 डॉलर की चोट सहनी पड़ेगी।
विदेश में निर्यात की जगह देश के घरेलू बाजार में बनारसी साड़ियों की खपत को लेकर कारोबारियों की निगाहें अब घरेलू बाजार पर ही टिक गई हैं। दुर्गापूजा, दशहरा और दीपावली के मददेनजर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बंगलूरू के बाजार पर बनारसी साड़ी कारोबारियों की निगाह गड़ी हुई हैं। रमजान ने कहा कि डॉलर के बढ़ते दाम के कारण साड़ियों को इंटरनैशनल मार्केट में नहीं भेजा जा सकता, इसलिए सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए।