मल्लाह के घर जन्मी थी फूलन देवी
10 अगस्त 1956 को फूलन देवी का जन्म एक मल्हाह के घर में हुआ था। भले ही वो अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन अब भी उसका नाम लेते ही चंबल के लोग सिहर जाते हैं। फूलनदेवी को कई लोग खतरनाक डकैत तो कई लोग रॉबिनहुड मानते थे। 1976 से 1983 तक चंबल के बीहड़ में फूलन ने राज किया। बेहमई कांड के बाद उसने 12 फरवरी, 1983 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने अपनी शर्तों पर आत्मसमर्पण कर दिया। बाद में वो राजनीति में आईं और सांसद बनीं। 25 जुलाई 2001 को दिल्ली में उनके सरकारी निवास के सामने उनकी हत्या कर दी गई। फूलन ने बचपन से लेकर डकैत बनने तक जिस हालात का सामना किया वो दिल दहला देता है।
10 अगस्त 1956 को फूलन देवी का जन्म एक मल्हाह के घर में हुआ था। भले ही वो अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन अब भी उसका नाम लेते ही चंबल के लोग सिहर जाते हैं। फूलनदेवी को कई लोग खतरनाक डकैत तो कई लोग रॉबिनहुड मानते थे। 1976 से 1983 तक चंबल के बीहड़ में फूलन ने राज किया। बेहमई कांड के बाद उसने 12 फरवरी, 1983 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने अपनी शर्तों पर आत्मसमर्पण कर दिया। बाद में वो राजनीति में आईं और सांसद बनीं। 25 जुलाई 2001 को दिल्ली में उनके सरकारी निवास के सामने उनकी हत्या कर दी गई। फूलन ने बचपन से लेकर डकैत बनने तक जिस हालात का सामना किया वो दिल दहला देता है।
इंदिरा के पहल पर किया था सरेंडर
7 साल तक चंबल की शान रही फूलन देवी की को पकड़ने के लिए यूपी सरकार ने अपने तेज-तर्रार अफसरों की फौज लगा दी थी। यूपी-एमपी सरकार प्रतिद्वंदी गिरोहों ने फूलन को पकड़ने की बहुत सी नाकाम कोशिशें की। तभी इंदिरा गांधी की सरकार ने 1983 में उनसे समझौता किया कि उसे मृत्युदंड नहीं दिया जाएगा और उनके परिवार के सदस्यों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। फूलन देवी ने इस शर्त के तहत अपने दस हजार समर्थकों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया।
7 साल तक चंबल की शान रही फूलन देवी की को पकड़ने के लिए यूपी सरकार ने अपने तेज-तर्रार अफसरों की फौज लगा दी थी। यूपी-एमपी सरकार प्रतिद्वंदी गिरोहों ने फूलन को पकड़ने की बहुत सी नाकाम कोशिशें की। तभी इंदिरा गांधी की सरकार ने 1983 में उनसे समझौता किया कि उसे मृत्युदंड नहीं दिया जाएगा और उनके परिवार के सदस्यों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। फूलन देवी ने इस शर्त के तहत अपने दस हजार समर्थकों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया।
फूलन देवी 11 साल बाद जेल से हुई थी रिहा
बिना मुकदमा चलाए 11 साल तक जेल में रहने के बाद फूलन को 1994 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने रिहा कर दिया। ऐसा उस समय हुआ जब दलित लोग फूलन के समर्थन में गोलबंद हो रहे थे और फूलन इस समुदाय के प्रतीक के रुप में देखी जाती थी। फूलन ने अपनी रिहाई के बाद बौद्ध धर्म में अपना धर्मातंरण किया। 1996 में फूलन ने उत्तर प्रदेश के भदोही सीट से लोकसभा का चुनाव जीता और वो संसद पहुंची। 25 जुलाई 2001 को दिल्ली में उनके आवास पर फूलन की हत्या कर दी गयी। फूलन के परिवार में अब सिर्फ़ उसके पति उम्मेद सिंह हैं।
बिना मुकदमा चलाए 11 साल तक जेल में रहने के बाद फूलन को 1994 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने रिहा कर दिया। ऐसा उस समय हुआ जब दलित लोग फूलन के समर्थन में गोलबंद हो रहे थे और फूलन इस समुदाय के प्रतीक के रुप में देखी जाती थी। फूलन ने अपनी रिहाई के बाद बौद्ध धर्म में अपना धर्मातंरण किया। 1996 में फूलन ने उत्तर प्रदेश के भदोही सीट से लोकसभा का चुनाव जीता और वो संसद पहुंची। 25 जुलाई 2001 को दिल्ली में उनके आवास पर फूलन की हत्या कर दी गयी। फूलन के परिवार में अब सिर्फ़ उसके पति उम्मेद सिंह हैं।
ऐसे पड़ा था फूलन देवी का बैंडेट नाम
1994 में शेखर कपूर ने फूलन पर आधारित एक फिल्म बैंडिट क्वीन बनाई जो काफी चर्चित और विवादित रही। फूलन ने इस फिल्म पर बहुत सारी आपत्तियां भी दर्ज कराईं और भारत सरकार द्वारा इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गयी। फूलन के साथ जमीदारों ने बलात्कार किया था। शेखर कपूर इस फिल्म को बनाने से पहले खुद फूलन से मिले थे। उन्होंने उनके गांव जाकर जानकारी जुटाई और गांव के जिस कुएं के पास फूलन को नग्न किया गया था, उसे फिल्म में दर्शाया था। फूलन की कहानी जब लोगों ने पर्दे पर देखी तो उनकी असली जिन्दगी के बारे में जान सके। शेखर कपूर ने ही फूलनदेवी को नया नाम बैंडिट क्वीन दिया, जो आज भी चंबल के लोगों के जुबान पर सुनाई देता है।
1994 में शेखर कपूर ने फूलन पर आधारित एक फिल्म बैंडिट क्वीन बनाई जो काफी चर्चित और विवादित रही। फूलन ने इस फिल्म पर बहुत सारी आपत्तियां भी दर्ज कराईं और भारत सरकार द्वारा इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गयी। फूलन के साथ जमीदारों ने बलात्कार किया था। शेखर कपूर इस फिल्म को बनाने से पहले खुद फूलन से मिले थे। उन्होंने उनके गांव जाकर जानकारी जुटाई और गांव के जिस कुएं के पास फूलन को नग्न किया गया था, उसे फिल्म में दर्शाया था। फूलन की कहानी जब लोगों ने पर्दे पर देखी तो उनकी असली जिन्दगी के बारे में जान सके। शेखर कपूर ने ही फूलनदेवी को नया नाम बैंडिट क्वीन दिया, जो आज भी चंबल के लोगों के जुबान पर सुनाई देता है।
राणा सिंह ने कर दी थी हत्या
दिल्ली के तिहाड जेल में कैद अपराधी शेर सिंह राणा ने फूलन की हत्या की थी। हत्या से पहले वो देश की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली तिहाड जेल से फर्जी तरीके से जमानत पर रिहा होने में कामयाब हो गया था। हत्या के बाद शेर सिंह फरार हो गया। कुछ समय बाद शेर सिंह ने एक वीडियो क्लिप जारी करके अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की समाधी ढूढंकर उनकी अस्थियां भारत लेकर आने की कोशिश का दावा किया। हालांकि बाद में दिल्ली पुलिस ने उसे पकड लिया। फूलन की हत्या का राजनीतिक षडयंत्र भी माना जाता है। उसकी हत्या के छींटे उसके पति उम्मेद सिंह पर भी आईं। हालांकि उम्मेद आरोपित नहीं हुआ।
दिल्ली के तिहाड जेल में कैद अपराधी शेर सिंह राणा ने फूलन की हत्या की थी। हत्या से पहले वो देश की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली तिहाड जेल से फर्जी तरीके से जमानत पर रिहा होने में कामयाब हो गया था। हत्या के बाद शेर सिंह फरार हो गया। कुछ समय बाद शेर सिंह ने एक वीडियो क्लिप जारी करके अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की समाधी ढूढंकर उनकी अस्थियां भारत लेकर आने की कोशिश का दावा किया। हालांकि बाद में दिल्ली पुलिस ने उसे पकड लिया। फूलन की हत्या का राजनीतिक षडयंत्र भी माना जाता है। उसकी हत्या के छींटे उसके पति उम्मेद सिंह पर भी आईं। हालांकि उम्मेद आरोपित नहीं हुआ।
फूलन देवी का गैंग
फूलन देवी को लोग बैंडेट क्वीन नाम दिए थे। फूलन देवी जेल से छूटकर राजनीति में आ गई थी। यही वो हत्याकांड था, जिसने फूलन की छवि एक खूंखार डकैत की बना दी. चारों ओर बवाल कट गया. कहने वाले कहते हैं कि ठाकुरों की मौत थी इसीलिए राजनीतिक तंत्र फूलन के पीछे पड़ गया. मतलब अपराधियों से निबटने में भी पहले जाति देखी गई. पुलिस फूलन के पीछे पड़ी. उसके सर पर इनाम रखा गया. मीडिया ने फूलन को नया नाम दिया: बैंडिट क्वीन. उस वक़्त देश में एक दूसरी क्वीन भी थीं: प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी. यूपी में एक राजा थे: मुख्यमंत्री वी. पी. सिंह. बेहमई कांड के बाद रिजाइन करना पड़ा था इनको।
फूलन देवी को लोग बैंडेट क्वीन नाम दिए थे। फूलन देवी जेल से छूटकर राजनीति में आ गई थी। यही वो हत्याकांड था, जिसने फूलन की छवि एक खूंखार डकैत की बना दी. चारों ओर बवाल कट गया. कहने वाले कहते हैं कि ठाकुरों की मौत थी इसीलिए राजनीतिक तंत्र फूलन के पीछे पड़ गया. मतलब अपराधियों से निबटने में भी पहले जाति देखी गई. पुलिस फूलन के पीछे पड़ी. उसके सर पर इनाम रखा गया. मीडिया ने फूलन को नया नाम दिया: बैंडिट क्वीन. उस वक़्त देश में एक दूसरी क्वीन भी थीं: प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी. यूपी में एक राजा थे: मुख्यमंत्री वी. पी. सिंह. बेहमई कांड के बाद रिजाइन करना पड़ा था इनको।
भिंड के एसपी राजेंद्र चतुर्वेदी इस बीच फूलन के गैंग से बात करते रहे. इस बात की कम कहानियां हैं। पर एसपी की व्यवहार-कुशलता का ही ये कमाल था कि दो साल बाद फूलन आत्मसमर्पण करने के लिए राजी हो गईं. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने. उन पर 22 हत्या, 30 डकैती और 18 अपहरण के चार्जेज लगे. 11 साल रहना पड़ा जेल में। मुलायम सिंह की सरकार ने 1993 में उन पर लगे सारे आरोप वापस लेने का फैसला किया. राजनीतिक रूप से ये बड़ा फैसला था. सब लोग बुक्का फाड़कर देखते रहे. 1994 में फूलन जेल से छूट गईं. उम्मेद सिंह से उनकी शादी हो गई।