उन्होंने बताया कि यूपीएफबीयू ने निजीकरण के विरोध में अखिल भारतीय स्तर पर आंदोलन का निर्णय किया है। इस चरणबद्ध आंदोलन के तहत सात दिसंबर को वाराणसी सहित देश भर की बैंक शाखाओं पर शाम 5.30 बजे से बैंकर्स विरोध प्रदर्शन करेंगे।
श्रीवास्तव ने बताया है कि सरकार की बैंक विरोधी नीतियों और सरकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ आंदोलन शुरू किया गया है। बताया कि संसद के शीत कालीन सत्र के दौरान ही सरकार बैंकिंग संशोधन बिल लाने वाली है जिसके तहत प्रथम चरण में दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा होनी है। ऐसे में बैंकर्स केंद्र के इस कदम को रोकने के लिए चरणबद्ध आंदोलन का निर्णय किया है। उन्होंने कहा कि बात सिर्फ दो बैंकों के निजीकरण की नहीं है, बल्कि इसी तरह धीरे-धीरे सभी सरकारी बैंकों के अस्तित्व पर संकट पैदा होने की आशंका बढ़ गई है। कहा कि इस प्राइवेटाइजेशन को रोकने की जिम्मेदारी एआईबीओसी के शीर्ष नेतृत्व ने लिया है। इसी क्रम में शीर्ष नेतृत्व ने 24 नवंबर से तीस नवंबर तक भारत यात्रा निकाली। अब दिसंबर में चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि सरकारी बैंको के निजीकरण से आम जनता, गरीब, किसान, छोटे तबके के व्यापारी आदि सभी प्रभावित होंगे। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकारी बैंकों को जानबूझकर कर निजी घरानो को फायदा पहुंचने के लिए बेचा जा रहा है। सरकार कुछ खास लोंगो के इशारे पर काम कर रही है। देश के लगभग हर छेत्र को बेचने में लगी है। ऐसे में सभी बैंककर्मी इस बिकवाली का पुरजोर विरोध करने का फैसला लिया है।
चरणबद्ध आंदोलन की रूपरेखा -7 दिसंबर- सभी जिलों व टाउन एरिया में बैंक कर्मियों का विरोध प्रदर्शन -8 दिसंबर- राज्य मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन -9 दिसंबर- काला दिवस -10 दिसंबर- ट्विटर अभियान
-13 दिसंबर- राज्य मुख्यालयों पर मास्क पहन कर विरोध प्रदर्शन -14 दिसंबर- ऑनलाइन पीएम को ज्ञापन -15 दिसंबर- सभी बैंक शाखाओं पर विरोध प्रदर्शन -16 व 17 दिसंबर- राष्ट्रव्यापी हड़ताल