बता दें कि बैंकर्स सितंबर से ही निजीकरण के खिलाफ आंदोलनरत हैं। उनका विरोध उस बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के संसोधन बिल का है जिसे संसद के इसी शीत सत्र में पेश किया जाना है। बैंकर्स का आरोप है कि केंद्र इस बिल के माध्यम से किसी भी सरकारी बैंकों को कभी भी निजी हाथों में सौपा सकती है। आंदोलित बैकर्स के अनुसार वर्तमान में दो बैंको का निजीकरण प्रस्तावित है।
ये भी पढें- निजीकरण के खिलाफ बैंकर्स ने किया हड़ताल का ऐलान, इन दो दिनों में नहीं होंगे कोई काम उनका कहना है कि सरकार द्वारा प्रस्तावित इस निजीकरण से सबसे ज्यादा नुकसान आम और गरीबी तबके की जनता को होगा। वो बताते हैं कि देश के 80 प्रतिसत गरीब एवं पिछड़े वर्ग का खाता इन्ही बैंको में है। इन्ही सरकारी छेत्रों के बैंको के माध्यम से तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ इस गरीब जनता तक पहुंचाया जाता है। इन्हें सहायता प्रदान की जाती है। इस प्रस्तवित निजीकरण योजना का यूऑफबीयू ने पुरजोर विरोध किया है। उसी के तहत यू ऑफ बी यू द्वारा प्रस्तवित धरना-प्रदर्शन के कार्यक्रम के क्रम में मंगलवार को वाराणसी में बैंक ऑफ इंडिया के आंचलिक कार्यालय पर धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में बैंक अधिकारी और कर्मचारि उपस्थित रह।
सभा को संबोधित करते हुए यूऑफबीयू के सह संयोजक अभिषेक श्रीवास्तव, युपीबीयू के के के चौबे, संजय शर्मा, अमिताभ भौमिक आदि ने सरकार के प्रस्तावित बैंको के निजीकरण का पुरजोर विरोध और भर्तस्ना की। उन्होंने कहा कि सरकार की इस जनविरोधी नीति को किसी हाल में बैंकों के ऊपर नही लागू होने दिया जाएगा। सरकार के इस कदम से आम जनता के साथ साथ गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार को नुकसान होगा और इसको किसी हाल में होने नही दिया जाएगा। उन्होंने ही बताया कि सरकार के सरकारी बैंकों के निजीकरण के विरोध में सभी बैंकों के सभी कर्मचारी यूएफबीयू के बैनर तले सड़कों पर उतर कर विभिन्न स्थलों पर सरकार की पूंजीपति समर्थित नीतियों के खिलाफ आवाज और नारे लगाए जा रहे है।
सभा को अनंत मिश्रा, सुशील पवन गुप्ता , नितिन सिंह, अवनीश सिंह, अरविंद राय, प्रमोद द्विवेदी, शीतल दुबे, बालेश्वर, पूजा, अनंत मिश्रा, प्रवीण झा, आदि ने भी संबोधित किया। इस मौके पर बड़ी तादाद में अधिकारी और कर्मचारी उपस्थिति रहे।