गंगा में कूदकर देनी चाही जान महिला का नाम स्वाति (35) है। वह आंध्र प्रदेश के कडुपा जिले के तिरुपति बालाजी गांव की रहने वाली है। उसने बताया कि वह तीन साल पहले वह मरने के लिए काशी आई थी क्योंकि काशी में मरने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। उसके पति ने उसे छोड़ दिया था। बच्चे पैदा करने के दौरान उसके शरीर का एक हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था। उसे कहीं नौकरी भी नहीं मिली। लिहाजा जिंदगी से परेशान होकर उसने गंगा में कूदकर आत्महत्या करने का फैसला किया। इस दौरान गोपाल नामक व्यक्ति की उस पर नजर पड़ी, तो स्वाति ने उसे आपबीती बताई और मरने की इच्छा जाहिर की। लेकिन गोपाल ने उसे समझाया और फिर दोनों ने शादी कर ली। उनकी एक बच्ची भी हुई लेकिन बाद में वह भी गुजर गई।
सरकार से मिल जाए मदद तो मैं भी आत्मनिर्भर बन सकूंगी- स्वाती स्वाति कंप्यूटर मैथ ग्रेजुएट है लेकिन वह नौकरी इसलिए नहीं कर सकतीं क्योंकि उनके पास व्हीलचेयर नहीं है। सीढ़ियों पर चढ़ने उतरने के लिए किसी की मदद की जरूरत होती है। ऐसे में वे खुद गंगा घाट किनारे छोटी सी दुकान लगाना चाहती हैं। उसने कहा कि अगर सरकार से उन्हें मदद मिल जाए तो मैं भी आत्मनिर्भर बन सकूंगी। स्वाति का पति गोपाल बहुत गरीब है, गंगा घाट किनारे गंगा आरती के बर्तनों को धोकर गुजारा करता है।