बता दें कि शहर के सीवर सिस्टम को दुरुस्त रखने के लिए सिर्फ और सिर्फ शाही नाले पर ही निर्भर रहा है यह बनरस शहर। वो शाही नाला जिसे मुगलों ने सुंरग के रूप में विकसित किया था। बाद में ब्रिटिश हुकूमत ने उसे सीवर सिस्टम में तब्दील कर दिया और नाम दिया गया शाही नाला। इस नाले की उम्र 200 साल से भी ज्यादा हो गई। जगह-जगह उसमें तोड-फोड़ कर लोगों ने नगर निगम और जलकल से मिल कर अपनी सीवर लाइन जोड़वा दी। नतीजा यह नाला भी जीर्ण-शीर्ण हो गया। ऐसे में अगस्त 2015 में शाही नाले की मरम्मत और सफाई का टेंडर श्रीराम कंपनी को दिया गया। कंपनी ने जनवरी 2016 में काम शुरू किया। दिसंबर 2017 तक काम पूरा करना था। काम पूरा न होने पर समयसीमा बढ़ाकर मार्च 2018 कर दी गई। इसके बाद मियाद फिर जुलाई तक बढ़ाई गई मगर काम पूरा नहीं हुआ। प्रदेश के नगर विकास मंत्री ने चौथी बार मियाद बढ़ाकर 15 सितंबर कर दी। अब तो 2018 क्या तकरीबन आधा 2019 बीतने वाला है पर यह नाला अब तक दुरुस्त नहीं हो पाया। ये हाल तब है जब 2015 में कहा गया था कि मरम्मत और सफाई के बाद आगामी 50 साल तक शहर में सीवर की समस्या नहीं रहेगी। इसके लिए गिरिजाघर से लेकर चेतगंज तक सड़क के दोनों तरफ मोटी-मोटी पाइप लाइन बिछा कर वर्षों से छोड़ दी गई है। इससे जाम की समस्या भी पैदा हो रही है। लेकिन कार्यदायी संस्था जलनिगम को भी इससे कोई सरोकार नहीं।
ऐसे में हर मोहल्ले के लोग सीवर समस्या से त्रस्त हैं। ज्यादा हो हल्ला मचने पर फौरी तौर पर जलकल के कर्मचारी फराटी लेकर मैनहोल की सफाई कर देते हैं। कुछ दिनों के लिए समस्या टल जाती है। ऐसा ही कुछ हाल इन दिनों है सरैयां, जलालीपुरा, लाट भैरव, नक्खी घाट का। लोगों का कहना है कि महीनों बीत गए घर से निकलना मुश्किल हो गया है। घर में किसी का इंतकाल हो जाए तो कब्रिस्तान तक में कब्र के लिए दो गज जमीन साफ-सुथरी नहीं मिलती। किससे कहें, कहां जाएं। घरों की खिड़कियां नहीं खोल सकते कारण भयानक दुर्घंध। सड़ते सीवर जल के चलते बच्चे बीमार हो रहे है सो अलग। कहा कि डेंगू, मलेरिया की चपेट में आ कर दम तोड़ चुके हैं। कई बार नगर निगम और जल कल के अधिकारियों से कहा गया। लिखित शिकायत की गई पर कोई सुनवाई नहीं हो सकी। ऐसे में अब त्रस्त हो कर सड़क पर उतरे हैं।
प्रदर्शन करने वालों में दिनेश तिवारी, हाजी ओकाश अंसारी, सौकत अली, सरदार समसुद्दीन, महतो मोहम्मद दीन, सरदार जमील, बेलाल अंसारी, अनवर भाई, बाबू खराद, इब्राहिम साहेब आलम, उस्मान, रमजान महतो, मेहताब आलम, सलीम भाई, रमजान अली घोटक, मो सईद, आलम भाई, अताउर भाई आदि प्रमुख रहे।