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Bharat Bandh in UP : SC/ST ACT के विरोध में उतरे सवर्ण संगठन, जानिए क्यों हो रहा बवाल

locationवाराणसीPublished: Sep 06, 2018 12:35:45 pm

Submitted by:

sarveshwari Mishra

Bharat Bandh in UP : एससी-एसटी एक्ट में किए गए संशोधन के विरोध में गुरुवार को आयोजित Sawarn Bharat Band Andolan के मद्देनजर पुलिस और खुफिया इकाइयों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने का निर्देश दिया गया है।

Bharat Bandh

भारत बंद

वाराणसी. एससी/एक्ट को मूल रूप में बहाल करने के मामले में सवर्णों की नाराजगी तूल पकड़ ली है। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा SC/ST एक्ट में संशोधन के विरोध में विभिन्न संगठन के लोगों ने आज भारत बंद (Bharat Bandh) किया है। पिछली बार भारत बंद SC/ST ACT पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दलित संगठनों ने दो अप्रैल को बुलाया था। एससी-एसटी एक्ट में किए गए संशोधन के विरोध में गुरुवार को आयोजित भारत बंद के मद्देनजर पुलिस और खुफिया इकाइयों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने का निर्देश दिया गया है। लखनऊ स्तर से ताकीद की गई है कि बाजारों, बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों, मॉल सहित अन्य सभी प्रमुख सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम रहें। सूचना संकलन के काम में किसी भी स्तर पर खुफिया इकाइयों से लापरवाही न हो।
बनारस में सुबह से सभी क्षेत्राधिकारी, थानाध्यक्ष और हल्का प्रभारी अपने क्षेत्र में भ्रमणशील रह कर स्थिति पर नजर रख रहे हैं। जिले के सभी प्रमुख सार्वजनिक स्थानों पर पुलिस के साथ ही पीएसी के जवान भी तैनात रहेंगे। विरोध प्रदर्शन में शामिल होने वालों से हमारी अपील है कि शांतिपूर्ण तरीके से अपने कार्यक्रम का आयोजन करें। शांति और कानून व्यवस्था को प्रभावित करने वालों से पुलिस सख्ती से पेश आएगी। इस संबंध में दिए गए निर्देशों को लेकर जो भी पुलिसकर्मी लापरवाही बरतता हुआ पाया जाएगा वो कार्रवाई की जद में आएगा।
6 सितंबर को भारत बंद का ऐलान
सवर्णों ने इस फैसले के विरोध में आज 6 सितंबर को bharat band का ऐलान किया है। बताया जा रहा है कि एससी/एसटी के 35 संगठन इस बंद का आह्वान कर रहे हैं। गौरतलब है कि इससे पहले जब Supreme Court ने फैसला सुनाया था तो दलितों ने 2 अप्रैल को भारत बंद किया था। जिसके बाद कई जगह हिंसा हुई और सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया।
यह है विरोध की वजह
सरकार के संशोधित SC-ST Act का विरोध की बड़ी वजह गिरफ्तारी वाली पहलू माना जा रहा है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि इस गिरफ्तारी वाले प्रावधान की वजह से कई बार इस एक्ट के दुरुपयोग के मामले सामने आए हैं। इसीलिए ऐसा न हो सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान में संशोधन कर गिरफ्तारी से पहले जांच की बात कही थी।
इसलिए हो रहा है एसस/एसटी का विरोध
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा था कि सरकारी कर्मचारी की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत के बाद ही हो सकती है। इसके अलावा जो लोग सरकारी कर्मचारी नहीं है। इसके अलावा जो लोग सरकारी कर्मचारी नहीं है। उनकी गिरफ्तारी जांच के बाद एसएसपी की इजाजत से हो सकेगी। बेगुनाह लोगों को बचाने के लिए कोई भी शिकायत मिलने पर तुरंत मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने इस नए आदेश और नए गाइड लाइन्स के बाद इस समुदाय के लोगों का कहना है कि ऐसा होने के बाद उनपर अत्याचार बढ़ जाएगा।

जानिए क्या है SC-ST Act
अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों पर होने वाले अत्याचार और उनके साथ होनेवाले भेदभाव को रोकने के मकसद से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम, 1989 बनाया गया था. जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में इस एक्ट को लागू किया गया. इसके तहत इन लोगों को समाज में एक समान दर्जा दिलाने के लिए कई प्रावधान किए गए और इनकी हरसंभव मदद के लिए जरूरी उपाय किए गए. इन पर होनेवाले अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष व्यवस्था की गई ताकि ये अपनी बात खुलकर रख सके।
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