सवर्णों ने इस फैसले के विरोध में आज 6 सितंबर को bharat band का ऐलान किया है। बताया जा रहा है कि एससी/एसटी के 35 संगठन इस बंद का आह्वान कर रहे हैं। गौरतलब है कि इससे पहले जब Supreme Court ने फैसला सुनाया था तो दलितों ने 2 अप्रैल को भारत बंद किया था। जिसके बाद कई जगह हिंसा हुई और सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया।
सरकार के संशोधित SC-ST Act का विरोध की बड़ी वजह गिरफ्तारी वाली पहलू माना जा रहा है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि इस गिरफ्तारी वाले प्रावधान की वजह से कई बार इस एक्ट के दुरुपयोग के मामले सामने आए हैं। इसीलिए ऐसा न हो सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान में संशोधन कर गिरफ्तारी से पहले जांच की बात कही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा था कि सरकारी कर्मचारी की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत के बाद ही हो सकती है। इसके अलावा जो लोग सरकारी कर्मचारी नहीं है। इसके अलावा जो लोग सरकारी कर्मचारी नहीं है। उनकी गिरफ्तारी जांच के बाद एसएसपी की इजाजत से हो सकेगी। बेगुनाह लोगों को बचाने के लिए कोई भी शिकायत मिलने पर तुरंत मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने इस नए आदेश और नए गाइड लाइन्स के बाद इस समुदाय के लोगों का कहना है कि ऐसा होने के बाद उनपर अत्याचार बढ़ जाएगा।
जानिए क्या है SC-ST Act
अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों पर होने वाले अत्याचार और उनके साथ होनेवाले भेदभाव को रोकने के मकसद से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम, 1989 बनाया गया था. जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में इस एक्ट को लागू किया गया. इसके तहत इन लोगों को समाज में एक समान दर्जा दिलाने के लिए कई प्रावधान किए गए और इनकी हरसंभव मदद के लिए जरूरी उपाय किए गए. इन पर होनेवाले अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष व्यवस्था की गई ताकि ये अपनी बात खुलकर रख सके।