बतादें कि हरिशंकर तिवारी किसी समय में बाहुबलियों के गुरु कहे जाते थे, इन्होंने ही क्राइम का राजनीतिक कनेक्शन फिट किया। हालांकि समय के साथ तिवारी की पकड़ कमजोर होती गई और एक समय वह भी आया जब श्मशान बाबा ने उन्हें चिल्लूपार में हरा दिया। इसके बाद तिवारी ने जीत का स्वाद नहीं चखा।
बसपा से इन सीटों पर कर रहें दावेदारी पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के बड़े सुपुत्र भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी संतकबीरनगर लोकसभा क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं। बीते चुनाव में वह हर गए थे। लेकिन इस बार फिर वह पूरे जोश से लगे हुए हैं। वहीं, पूर्व मंत्री के भांजे व पूर्व विधानपरिषद सभापति गणेश शंकर पांडेय महराजगंज लोकसभा क्षेत्र में लगे हुए हैं। सूत्रों के अनुसार बसपा सुप्रीमों ने इन लोगों को क्षेत्र में गतिविधियां बढ़ाने के लिये हरीझंडी दी है। हालांकि, अभी यह साफ नहीं हो सका है कि गठबंधन के संयुक्त घोषणा में कहां से कौन प्रत्याशी होगा लेकिन इस परिवार के सपा-कांग्रेस या बसपा के शीर्ष नेतृत्व से रिश्ते से यह अंदाजा लगाया जा रहा कि विपक्ष को इन चेहरों पर दांव लगाने में कोई आपत्ति नहीं होने जा रही।
बलरामपुर संसदीय सीट से करीब डेढ़ लाख वोट से हासिल की थी जीत
पूर्वांचल में देखा जाय तो पं हरिशंकर तिवारी ही एक ऐसा नाम है जिसका ब्राम्हणों में असर है। ब्राम्हण अगर किसी के नाम पर रूख बदलता है तो वह हरिशंकर तिवारी ही हैं। इसका उदाहरण यही है कि पूर्वांचल के जिस सीट से भी इस परिवार का सदस्य चुनाव लड़ा है तो उसे ब्राम्हणों ने खुलकर वोट दिया है। इनके बड़े बेटे भीष्म शंकर तिवारी बलरामपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़कर करीब डेढ़ लाख वोट हासिल कर चुके हैं तो छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी बलिया संसदीय सीट से चुनाव लड़कर चंद्र शेखर के पुत्र नीरज शेखर के मुकाबले करीब पौने दो लाख वोट बटोर चुके हैं। भीष्म शंकर तिवारी पिछले बार खलीलाबाद संसदीय सीट से बसपा के टिकट पर एमपी रह भी चुके हैं तो विनय गारखपुर संसदीय सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। विनय वर्तमान में बड़हलगंज विधानसभा सीट से बसपा के एमएलए हैं।
पूर्वांचल में देखा जाय तो पं हरिशंकर तिवारी ही एक ऐसा नाम है जिसका ब्राम्हणों में असर है। ब्राम्हण अगर किसी के नाम पर रूख बदलता है तो वह हरिशंकर तिवारी ही हैं। इसका उदाहरण यही है कि पूर्वांचल के जिस सीट से भी इस परिवार का सदस्य चुनाव लड़ा है तो उसे ब्राम्हणों ने खुलकर वोट दिया है। इनके बड़े बेटे भीष्म शंकर तिवारी बलरामपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़कर करीब डेढ़ लाख वोट हासिल कर चुके हैं तो छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी बलिया संसदीय सीट से चुनाव लड़कर चंद्र शेखर के पुत्र नीरज शेखर के मुकाबले करीब पौने दो लाख वोट बटोर चुके हैं। भीष्म शंकर तिवारी पिछले बार खलीलाबाद संसदीय सीट से बसपा के टिकट पर एमपी रह भी चुके हैं तो विनय गारखपुर संसदीय सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। विनय वर्तमान में बड़हलगंज विधानसभा सीट से बसपा के एमएलए हैं।