पंजाब के अजनाला के कुएं मिले नरकंकाल गंगा घाटी क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानियों के बता दें कि 2014 में पंजाब के अजनाला कस्बे के एक कुएं से करीब डेढ सौ नरकंकाल मिले, हड्डियां आदि मिले थे। इस संबंध में पहले इतिहासकारों ने पड़ताल शुरू की। फिर यह काम पंजाब विश्वविद्यालय के एन्थ्रोपॉलजिस्ट डॉ जेएस सेहरावत ने अपने हाथ में लिया और इन कंकालों का डीएनए और आइसोटोप अध्ययन शुरू कराया। इसमें सीसीएमबी हैदराबाद, बीरबल साहनी इंस्टिट्यूट लखनऊ और काशी हिन्दू विश्विद्यालय के वैज्ञानिको ने मिलकर काम शुरू किया। प्रो चौबे ने बताया कि इन नरकंकालों की वास्तविकता जानने के लिए वैज्ञानिको की दो अलग अलग टीम ने डीएनए और आइसोटोप एनालिसिस किया। डीएनए टेस्टिंग का काम बीएचयू के जंतु विज्ञान विभाग ने किया जबकि आइसोटोप एनालिसिस काकाम बीरबल साहनी इंस्टिट्यूट लखनऊ ने किया। प्रो चौबे बताते हैं कि दोनों टीमों के शोध के बाद ये तय पाया गया कि अजनाला के कुएं में जो नरकंकाल मिले थे वो पंजाब नहीं बल्कि गंगा घाटी क्षेत्र के हैं। यह अध्ययन 28 अप्रैल को फ्रंटियर्स इन जेनेटिक्स पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बारे में अभी तक देश है अनभिज्ञ डीएनए विशेषज्ञ प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि डीएनए अध्ययन में पता चला कि ये नरकंकाल गंगा घाटी क्षेत्र के उन स्वतंत्रता सेनानियों के हैं जो भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े रहे। पर अब तक इनका कही कुछ अता-पता चल सका था। प्रो चौबे ने कहा कि हम वैज्ञानिकों ने भारत सरकार के माध्यम से ब्रिटिश सरकार से मांग की है कि वो तब के घटना की पूरी जानकारी दें ताकि देशवासियों को अपने आजादी के दीवानों के बारे में पता चल सके और उनका भारतीय परंपरा के तहत अंतिम क्रिया की जा सके।
कुएं में मिले नरकंकाल यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल के लोगों के प्रो चौबे ने बताया कि इन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बारे में डीएनए टेस्ट व आइसोटोप विश्लेषण से जांच से पता चला कि कुएं में मिले मानव कंकाल पंजाब या पाकिस्तान में रहने वाले लोगों के नहीं थे, बल्कि, डीएनए सीक्वेंस यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल के लोगों के साथ मेल खाते हैं। उन्होंने बताया कि डीएनए विश्लेषण से अनुवांशिक संबंध और आइसोटोप विश्लेषण से उनके खान-पान की आदतों के बारे में जानकारी होती है और दोनों ही शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि नरकंकाल गंगा घाटी क्षेत्र के हैं। बताया कि इस शोध में 50 सैंपल डीएनए एनालिसिस और 85 सैंपल आइसोटोप एनालिसिस के लिए इस्तेमाल किये गए।
तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत ने मरवाया था भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को शोध से मिले परिणाम ऐतिहासिक साक्ष्य के अनुरूप हैं जिसमें कहा गया है कि 26 वीं मूल बंगाल इन्फैंट्री बटालियन के सैनिक पाकिस्तान के मियां-मीर में तैनात थे और विद्रोह के बाद उन्हें अजनाला के पास ब्रिटिश सेना ने पकड़ कर मार डाला। प्रो चौबे ने बताया कि दरअसल ऐताहिसक तथ्य ये है कि बंगाल इन्फैंट्री बटालियन के सैनिकों को पहले पकड़ कुछ लोगों को मार दिया गया। फिर सौ से ज्यादा लोगो के 10 लोगों की बैरक में डाल दिया गया। ऐसे में कुछ की तो दम घुटने से मौत हो गई जबकि जो शेष बचे थे उन्हें अलग-अलग टुकड़ों में खड़ा कर मार डाला गया। फिर उसे पास के कुएं में डाल कर उस पर गुरुद्वारा बनवा दिया गया ताकि किसी को कुछ पता न चल सके। लेकिन बाद के दिनों में भारतीय इतिहासकारों व पुरातत्वविद्नों ने इसका पता लगा लिया। खोदाई के दौरान ढेर सारे नरकंकाल, खोपड़ियां, हड्डियां मिली थीं, जिनके बारे में पहले ये कहा गया कि ये भारत- पाकिस्तान युद्ध में शहीद भारतीय सैनिकों के हैं। लेकिन बाद गंभीर व वैज्ञानिक शोधपरक अध्ययन के बाद पता चला कि वे सभी नरकंकाल प्रथम भारती स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों के थे और वो भी यूपी, बिहार, बंगाल जैसे गंगाघाटी क्षेत्र के लोगों के।
