scriptBHU Joint Action Committee के छात्रों ने PM मोदी के क्षेत्र में किया NRC का विरोध, निकाला मशाल जुलूस, की सभा | BHU Joint Action Committee opposes NRC and CAB in PM Modi constituency | Patrika News
वाराणसी

BHU Joint Action Committee के छात्रों ने PM मोदी के क्षेत्र में किया NRC का विरोध, निकाला मशाल जुलूस, की सभा

-बोले Joint Action Committee BHU के छात्र-1906 में महात्मा गांधी ने ऐसे ही कानून का द अफ्रीका में किया था विरोध -नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 मानवता व संविधान विरोधी है
 

वाराणसीDec 10, 2019 / 07:35 pm

Ajay Chaturvedi

BHU Joint Action Committee opposes NRC and CAB

BHU Joint Action Committee opposes NRC and CAB

वाराणसी. Joint Action Committee BHU के छात्रों ने मंगलवार की शाम पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में NRS व CAB का मुखर विरोध किया। न केवल मुखालफत की बल्कि इसके खिलाफ बीएचयू गेट से मशाल जुलूस निकाला और अस्सी घाट पहुंच कर सभा कर अपनी राय रखी। इस मौके पर डॉ फिरोज व बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के असोसिएट प्रोफेसर डॉ साल्वी के प्रति अपना समर्थन भी जताया।
मशाल जुलूस में वे सरकार विरोधी नारेबाजी भी कर रहे थे। वहीं अस्सी घाट पर हुई सभा में छात्रों ने कहा, लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पास हो गया। नागरिकता संशोधन बिल-2019 पाकिस्तान,बांग्लादेश तथा अफगनिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यक बौद्ध, जैन, हिंदू, पारसी, ईसाई व सिख धर्मावलंबी ग़ैरक़ानूनी प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के बारे में है। लेकिन यह बिल मुसलमानों को नागरिकता प्रदान नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद-14 कहता है कि भारत अपनी सीमाओं में किसी भी जन से धर्म जाति, सेक्स आदि के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा इस प्रकार नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 मानवता व संविधान विरोधी है।
वक्ताओं ने कहा कि धार्मिक बंटवारा कर पाकिस्तान बनाया गया। सरकार धार्मिक आधार पर फिर से वही गलती दोहराने जा रही है। 1906 में भारतीयों को देश से बाहर निकालने के लिए दक्षिण अफ्रीका में भी ऐसा ही ‘नागरिकता’ कानून लाया गया था, जिसका गांधी जी और सेठ हाजी हबीब ने विरोध किया था और सत्याग्रह की शुरुआत हुई।
BHU Joint Action Committee opposes NRC and CAB
IMAGE CREDIT: patrika
उन्होंने सवाल किया कि सरकार का कहना है कि वो पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक और हिंसा के शिकार समुदायों को भारत में शरण देना चाहती है। लेकिन उसने बाकी पड़ोसी देशों चीन, श्रीलंका और म्यांमार को क्यों छोड़ दिया? इस नए कानून में गैर मुस्लिम बौद्ध, हिन्दू, सिख, पारसी, ईसाई और जैन धर्म मानने वालों को देश की नागरिकता देने की बात कही गई है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है यहाँ धर्म के आधार पर ऐसा भेदभाव राष्ट्र की भावना के खिलाफ है। इसका बड़ा उदाहरण काशी हिंदू विश्वविद्यालय में संस्कृत धर्म विज्ञान संकाय में संस्कृत पढ़ाने के लिए नियुक्त शिक्षक डॉक्टर फ़िरोज़ खान व डॉक्टर सालवी का है जिनके नियुक्ति का विरोध सिर्फ़ इसलिए हो रहा है कि क्योंकि डॉक्टर फ़िरोज़ खान मुसलमान व डॉक्टर सालवी दलित जाति से है जो संस्कृत व वेद नहीं पढ़ा सकतें। बड़े स्तर पर देशभर में सरकार CAB-2019 व NRC लाकर मुसलमानों व बहुजनों का हक़ मारने की तैयारी में है।
वक्ताओं ने कहा कि सरकार ये तर्क दे रही है कि हिंसा के शिकार अल्पसंख्यकों को भारत का नागरिक बनाना चाहती है पर पाकिस्तान में हाशिए पर शिया, अहमदिया और अफगानिस्तान के हज़ारा को इसमें शामिल नहीं किया गया है। पड़ोसी देश म्यांमार में लगातार नरसंहार झेल रहे रोहिंग्या मुसलमानों के बारे में ये कानून चुप्पी साधे हुए है। हम जब 100 रुपये किलो प्याज़ और 80 रुपये लीटर पेट्रोल खरीदने को बाध्य हैं। बेरोजगारी पिछले 45 साल में सब से ज्यादा है। आर्थिक विकास दर गत 6 वर्षों का न्यूनतम है। उस दौर में सरकार NRC के नाम पर हम करदाताओं के 1600 करोड़ केवल आसाम में ख़र्च कर चुकी है। सोचिये NRC और CAB जैसी चीजें पूरे देश में लागू होंगी तो आपका और हमारा कितना पैसा खर्च होगा।
सभा में मुख्य रूप से रामजनम, एसपी राय, संजीव सिंह, विकास सिंह, चिंतामणि सेठ, संजय चौबे, आबिद, बाबू साबरी, धनंजय, दिवाकर, रश्मि, रंजना,श्रेया, रजत, प्रियेश, अनंत,मुरारी, विवेक,अंकेश, तबस्सुम, अमित, विपिन, राहुल, विवेक कुमार के साथ नॉर्थ ईस्ट के साथी भी मौजूद रहे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो