एक से अधिक संकायों के शिक्षकों के संयुक्त अनुसंधान प्रस्तावों को मिलेगा अनुदान शिक्षा मंत्रालय (भारत सरकार) से इंस्टिट्यूशन ऑफ एमिनेंस (उत्कृष्टता संस्थान) का दर्जा प्राप्त बनारस हिंदू विश्वविद्यालय अंतर्वैषयिक तथा विषयेतर अनुसंधान के लिए उत्तम स्थान है। कारण कि यहां भारतीय प्राचीन ज्ञान व्यवस्था के विषयों से लगायत आधुनिक विज्ञान व प्रौद्योगिकी तक के विषयों में शिक्षा व शोध के अवसर उपलब्ध हैं। ऐसे में अब कुलपति प्रो. सुधार कुमार जैन ने विषयेतर अनुसंधान प्रोत्साहन योजना शुरू करने का निर्णय लिया है। उनका मानना है कि इंटर-डिसिप्लिनरी तथा ट्रांस-डिसिप्लिनरी अनुसंधान के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय श्रेष्ठ शिक्षा संस्थान है। कुलपति ने विविध विषयों के संकाय सदस्यों, शोधार्थियों व विद्यार्थियों के बीच अधिक शैक्षणिक व शोध केंद्रित संवाद व विचार-विमर्श की ज़रूरत महसूस करते हुए इसकी शुरूआत करने का फैसला लिया है। कुलपति प्रो जैन की अध्यक्षता में हुई इंस्टिट्यूशन ऑफ एमिनेंस- बीएचयू, की गवर्निंग बॉडी की बैठक में इस योजना को मंज़ूरी मिल चुकी है। योजना के तहत एक से अधिक संकायों के शिक्षकों को ऐसे संयुक्त अनुसंधान प्रस्तावों को अनुदान दिया जाएगा, जो किसी एक विषय तक सीमित न रह कर नई खोज, अध्ययन व नवाचार पर केंद्रित हों।
योजना के क्रियान्वयन को कमेटी गठित इस योजना के क्रियान्वयन के लिए कृषि विज्ञान संस्थान के प्रो. रमेश चंद के संयोजन में एक समिति गठित की गई है। इस कमेटी में विज्ञान संस्थान से प्रो. मधुलिका अग्रवाल व इतिहास विभाग के डॉ गगनप्रीत सिंह को सदस्य बनाया गया है। विषयेत्तर अनुसंधान प्रोत्साहन योजना से अध्ययन के ऐसे नए क्षेत्रों की पहचान की उम्मीद है जिनसे अंतर-वैषयिक तथा विषयेतर अनुसंधान की दिशा में उल्लेखनीय लाभ मिल सके। यह योजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के भी अनुरूप है, जिसमें बहुविषयी शिक्षा व शोध की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है।