बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के नए कुलपति डॉ राकेश भटनागर दोपहर बाद बनारस पहुंच गए। यहां लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने उनका जोरदार खैरमकदम किया। वह भी सभी से हंसी खुशी मिले। फिर वह विश्वविद्यालय के लिए निकल पड़े।
बीएचयू से प्राप्त सूचना के मुताबिक वह काशी के कोतवाल कालभैरव और काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ तथा विश्वविद्यालय परिसर स्तिथ भोले नाथ का दर्शन-पूजन करने के बाद वह 27वें कुलपति के रूप में कार्यभार ग्रहण करेंगे।
डॉ भटनागर एक वैज्ञानिक हैं। बावजूद इसके एक कुशल न्यायप्रिय प्रशासक के रूप में भी उनकी पहचान है। इसे उन्होंने साबित भी किया है।
ऐसे में विश्वविद्यालय को उऩसे काफी अपेक्षाएं भी हैं, साथ ही यह ताज चुनौतियों भरा है। चाहे वह परिसर में शैक्षणिक माहौल बनाने का हो, कानून व्यवस्था का हो, छात्रावासों में रहने वाले विद्यार्थियों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराना हो, छात्र-छात्राओं को पड़ने के लिए लाइब्रेरी की सुविधा बहाल करनी हो।
और तो और सबसे ऊपर विश्वविद्यालय की राजनीतिक गुटबाजी वह भी जातीय आधारित राजनीत से निबटना डॉ भटनागर के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।
विश्वविद्यालय के शिक्षकों की मानें तो अगर इस जातीय राजनीति से पार पा लिया तो कोई भी कुलपति सफल हो सकता है। प्रोफेसरों का कहना है कि डॉ भटनागर को प्रो. आरपी रस्तोगी, डॉ लाल जी सिंह सरीखे कुलपतियों की तरह उन्हें भी अपने वैज्ञनिक सोच के साथ विश्वविद्यालय की जटिलताओं को सुलझाना होगा।