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शिक्षण संस्थाओं में फीस वृद्धि के खिलाफ BHU के छात्रों का विरोध प्रदर्शन

locationवाराणसीPublished: Dec 06, 2019 08:52:41 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-दिल्ली में शुल्क वृद्धि के खिलाफ छात्र-छात्राएं कई दिनों से दे रहे हैं धरना-BHU Joint Action Committee के सदस्यों ने बनारस में खोला मोर्चा

आईआईएमसी में शुल्क वृद्धि का विरोध

आईआईएमसी में शुल्क वृद्धि का विरोध

वाराणसी. भारतीय जनसंचार संस्थान यानी (आईआईएमसी) के छात्र बीते चार दिनों से महंगी फीस के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। बीते कुछ ही सालों में आईआईएमसी के कई कोर्सों की फीस में कई फीसदी का इजाफा हुआ है। संस्थान में 5 तरह के कोर्स चलते हैं। इसमें हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू पत्रकारिता, रेडियो टेलीविजन पत्रकारिता और एड-पीआर की बारीकियां सिखाई जाती है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन आईआईएमसी, नई दिल्ली के छात्र ट्यूशन फीस, हॉस्टल और मेस चार्ज में बढ़ोत्तरी के खिलाफ कैंपस में 3 दिसंबर 2019 से हड़ताल कर रहे हैं।
विरोध प्रदर्शऩ को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि आईआईएमसी सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त सोसायटी है। वर्ष 1965 में स्थापित, आईआईएमसी को देश का सर्वश्रेष्ठ मीडिया संस्थान माना जाता है। सरकारी संस्थान “नो प्रॉफिट नो लॉस” आधार पर चलने वाले हैं, जबकि आईआईएमसी में फीस साल दर साल बढ़ाई जा रही है। पिछले तीन सालों में ये फीस तकरीबन 50 फीसदी तक बढ़ा दी गई है, जिससे आम ग़रीब छात्र-छात्राएं नहीं पढ़ पा रहें हैं और न ही पढ़ सकेंगे।
दस महीने के कोर्स के लिए 1,68,500 से अधिक फीस और हॉस्टल व मेस चार्ज अलग से देना पड़ता है. किसी भी मध्यम वर्गीय छात्र के लिए यह फीस दे पाना बहुत मुश्किल है. ऐसे में संस्थान में कई छात्र हैं, जिन्हें पहले सेमेस्टर के बाद पाठ्यक्रम छोड़ना होगा पड़ेगा।
आईआईएमसी में वर्ष 2019-20 के लिए विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए फीस संरचना निम्नानुसार है:
1. रेडियो और टीवी पत्रकारिता: 1,68,500
2. विज्ञापन और पीआर: 1,31,500
3. हिंदी पत्रकारिता: 95,500
4. अंग्रेजी पत्रकारिता: 95,500
5. उर्दू पत्रकारिता: 55,500
इसके अलावा, लड़कियों के लिए लगभग हॉस्टल और मेस का शुल्क 6500 रु. और लड़कों से एक कमरे का चार्ज 5250रु. का शुल्क हर महीने लिया जाता है। आईआईएमसी को एक सार्वजनिक वित्तपोषित संस्थान माना जाता है. साथ ही, प्रत्येक छात्र को छात्रावास नहीं दिया गया है।
सभा में कहा गया कि सस्ती शिक्षा देश के प्रत्येक छात्र का मौलिक अधिकार है और वे अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा को पास करने के लिए कड़ी मेहनत करते है। कहां तो यह उद्देश्य था कि सबको मुफ़्त शिक्षा दी जाएगी वही सरकार लाखों में विद्यार्थियों से फ़ीस वसूल रही है। हर विद्यार्थी का सपना होता है कि वह पढ़-लिखकर समाज देश की सेवा करेगा लेकिन इतनी फ़ीस देकर कोई भी शोषित ग़रीब परिवार अपने बच्चों को नहीं पढ़ा पाएगा। महँगी फ़ीस मुख्य रूप से दलितों,आदिवासियों, शोषित वर्ग के लोगों और ग़रीब अल्पसंख्यकों को पढ़ने से रोकने के लिए है।
सभा में मुख्य रूप से दीपक, रजत,प्रियेश, अनंत,श्रेया, राहुल, व्योम, सौरभ कुमार, विवेक कुमार, मुरारी, आदर्श, विवेक मिश्र, कुलदीप, धीरेंद्र, अंकित आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

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