ये है छात्रों का तर्क
पत्रिका को भेजे संदेश में छात्रों का कहना है कि दो मई 2018 को चीफ प्रॉक्टर कार्यालय में घटित घटना के 12 ज्ञात व 20 अज्ञात लोगों के विरुद्ध हत्या का प्रयास, लूट, सरकारी काम में बाधा, लोक संपत्तिको क्षति पहुंचाने संबंधी मुकदमा चीफ प्रॉक्टर प्रो रोयाना सिंह ने लंका थानें दर्ज कराया था। इस एफआईआर की विवेचना पुलिस ने की। विवेचना के बाद सारा मामला फर्जी निकला। छात्र-छात्राओँ पर लगाए गए सारे आरोप फर्जी व झूठे निकले। घटना की पुष्टि करने वाले किसी तथ्य की प्राप्ति नहीं हुई। ऐसे में आरोपी बनाए गए सभी छात्र-छात्राओं को बरी कर दिया गया।
पत्रिका को भेजे संदेश में छात्रों का कहना है कि दो मई 2018 को चीफ प्रॉक्टर कार्यालय में घटित घटना के 12 ज्ञात व 20 अज्ञात लोगों के विरुद्ध हत्या का प्रयास, लूट, सरकारी काम में बाधा, लोक संपत्तिको क्षति पहुंचाने संबंधी मुकदमा चीफ प्रॉक्टर प्रो रोयाना सिंह ने लंका थानें दर्ज कराया था। इस एफआईआर की विवेचना पुलिस ने की। विवेचना के बाद सारा मामला फर्जी निकला। छात्र-छात्राओँ पर लगाए गए सारे आरोप फर्जी व झूठे निकले। घटना की पुष्टि करने वाले किसी तथ्य की प्राप्ति नहीं हुई। ऐसे में आरोपी बनाए गए सभी छात्र-छात्राओं को बरी कर दिया गया।
चीफ प्रॉक्टर ने प्रभावित की जांच
उनका कहना है कि कुलपति द्वारा गठित स्टैंडिंग कमेटी की एक सदस्य चीफ प्रॉक्टर प्रो रोयाना सिंह भी थीं। उन्होंने ही छात्र-छात्राओं के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराया था। यानी वह एफआईआर की विदिनी हुईं। ऐसे में उनके रहते जांच प्रभावित होना तय था। उन्होंने छात्रों के ऊपर फर्जी एफआईआर दर्ज कराने के साथ पूरी जांच प्रक्रिया को प्रभावित किया। कमेटी की सदस्य के रूप में मौजूद प्रो सिंह ने छात्रों से बेतुके सवाल भी किए और जांच के इस मामले में झूठी स्वीकारोक्ति के लिए दबाव भी बनाया। उन्होंने कहा कि एक वीडियो ऐसा भी वायरल हुआ जिसमें प्रो सिंह को जांच प्रक्रिया प्रभावित करने की पुष्टि की जा रही है।
उनका कहना है कि कुलपति द्वारा गठित स्टैंडिंग कमेटी की एक सदस्य चीफ प्रॉक्टर प्रो रोयाना सिंह भी थीं। उन्होंने ही छात्र-छात्राओं के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराया था। यानी वह एफआईआर की विदिनी हुईं। ऐसे में उनके रहते जांच प्रभावित होना तय था। उन्होंने छात्रों के ऊपर फर्जी एफआईआर दर्ज कराने के साथ पूरी जांच प्रक्रिया को प्रभावित किया। कमेटी की सदस्य के रूप में मौजूद प्रो सिंह ने छात्रों से बेतुके सवाल भी किए और जांच के इस मामले में झूठी स्वीकारोक्ति के लिए दबाव भी बनाया। उन्होंने कहा कि एक वीडियो ऐसा भी वायरल हुआ जिसमें प्रो सिंह को जांच प्रक्रिया प्रभावित करने की पुष्टि की जा रही है।
छात्रों का सम्मान वापस हो, पढ़ने की अनुमति मिले
छात्रों का कहना है कि पुलिस एफआईआर में बरी पाए जाने की सूरत में प्रदर्शनकारी छात्र-छात्राओँ के 4D (डिबेट, डिस्कशन, डिसेंट, डिसएग्रीमेंट) को संरक्षित करते हुए छात्रों को ससम्मान पठन-पाठन की इजाजत दी जाए। साथ ही जांच का पूर्ण विवरण सहित पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक करें।
छात्रों का कहना है कि पुलिस एफआईआर में बरी पाए जाने की सूरत में प्रदर्शनकारी छात्र-छात्राओँ के 4D (डिबेट, डिस्कशन, डिसेंट, डिसएग्रीमेंट) को संरक्षित करते हुए छात्रों को ससम्मान पठन-पाठन की इजाजत दी जाए। साथ ही जांच का पूर्ण विवरण सहित पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक करें।
विश्वविद्यालय के अधिकारियों पर हो कार्रवाई
छात्रों की मांग है कि हत्या के प्रयास, लूट, बलवा जैसी आपराधिक धाराओं में गलत, झूठी व फर्जी एफआईआर दर्ज करा कर छात्रों के भविष्य, कुलपति की छवि, विश्वविद्यालय के मानवीय मूल्यों व छवि के साथ खिलवाड़ करने वाले अधिकारियों पर सख्त से सख्त कानूनी व प्रशासनिक कार्रवाई हो। स्टैंडिंग कमेटी अति संदेहास्पद है जिससे छात्र-छात्राओं को अवैध रूप से दंडित कर उन्हें परिसर से हमेशा हमेशा के लिए निष्कासित कर दिया गया है। छात्र-छात्राओँ को उनके प्राण व दैहिक स्वतंत्रता से वंचित किया जा रहा है।
छात्रों की मांग है कि हत्या के प्रयास, लूट, बलवा जैसी आपराधिक धाराओं में गलत, झूठी व फर्जी एफआईआर दर्ज करा कर छात्रों के भविष्य, कुलपति की छवि, विश्वविद्यालय के मानवीय मूल्यों व छवि के साथ खिलवाड़ करने वाले अधिकारियों पर सख्त से सख्त कानूनी व प्रशासनिक कार्रवाई हो। स्टैंडिंग कमेटी अति संदेहास्पद है जिससे छात्र-छात्राओं को अवैध रूप से दंडित कर उन्हें परिसर से हमेशा हमेशा के लिए निष्कासित कर दिया गया है। छात्र-छात्राओँ को उनके प्राण व दैहिक स्वतंत्रता से वंचित किया जा रहा है।
शीघ्र गठित हो पुनः विचार समिति
उन्होंने कहा कि गत 30 जुलाई को छात्रों के प्रतिनिधिमंडल और वीसी के बीच हुई वार्ता के दौरान छात्रों की बातें सुनने के बाद कुलपति ने एक पुनः विचार समिति गठित करने का आश्वासन दिया था। ऐसे में अब पुनः ये आग्रह किया जाता है कि पुनः विचार कमेटी अविलंब गठित की जाए ताकि सच सामने आ सके। इस कमेटी में पूर्व की स्टैंडिंग कमेटी का कोई सदस्य शामिल न किया जाए।
उन्होंने कहा कि गत 30 जुलाई को छात्रों के प्रतिनिधिमंडल और वीसी के बीच हुई वार्ता के दौरान छात्रों की बातें सुनने के बाद कुलपति ने एक पुनः विचार समिति गठित करने का आश्वासन दिया था। ऐसे में अब पुनः ये आग्रह किया जाता है कि पुनः विचार कमेटी अविलंब गठित की जाए ताकि सच सामने आ सके। इस कमेटी में पूर्व की स्टैंडिंग कमेटी का कोई सदस्य शामिल न किया जाए।