रेलवे बोर्ड के सदस्य कर्षण घनश्याम सिंह ने सोमवार को डीजल रेल इंजन कारखाना से तैयार 100वें विद्युत रेल इंजन डब्ल्यूएपी-7 ‘शतक’ को महाप्रबंधक रश्मि गोयल एवं जनवरी में सेवानिवृत्त होने वाले उत्पादन से जुड़े डीरेका के सात कर्मचारियों के साथ झंडी दिखाकर लोकार्पित किया।। इसके पूर्व उन्होंने महाप्रबंधक और अन्य प्रमुख अधिकारियों के साथ इस रेल इंजन के ड्राइवर कैब का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने इस रेल इंजन से संबंधित महत्वपूर्ण तकनीकी जानकारी हासिल की। अब यह 6000 अश्व शक्ति डब्ल्यूएपी-7 रेल इंजन संख्या- 37073 को पश्चिम मध्य रेलवे के इटारसी विद्युत लोको शेड को भेजा जा रहा है।
इस अवसर पर सदस्य कर्षण ने डीरेका कर्मियों को नव वर्ष की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि डीरेका बाबा विश्वनाथ की नगरी का वह नगीना है, जो सम्पूर्ण विश्व में चमक बिखेर रहा है। उन्होंने डीरेका कर्मियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि परिवर्तन को आत्मसात करने वाला ही संसार बदलता है, जिस प्रकार डीरेका ने हरित ऊर्जा को आगे बढ़ाते हुए विद्युत रेल इंजनों के उत्पादन का ‘शतक’ पूरा किया, इससे पता चलता है कि भारतीय रेल की यह उत्पादन इकाई डीरेका विदेशों पर निर्भर न रहकर रेल इंजन उत्पादकता में विश्व के अग्रणी उत्पादन इकाई के रूप में उभर रहा है। यह नि:संदेह भारत को विश्व गुरू बनाने की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने डीरेका की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भविष्य में डीरेका 55 से 60 रेल इंजन प्रतिमाह उत्पादन करने में सक्षम होगा।
डीरेका कर्मियों की इस महान उपलब्धि से अभिभूत होकर सदस्य कर्षण ने `50,000 रुपये का सामूहिक पुरस्कार प्रदान करने के साथ ही साथ रेल इंजन निर्माण से जुड़े जनवरी माह में सेवानिवृत्त होने वाले सात कर्मचारियों एवं चालक दल को 5,000-5,000 रुपये पुरस्कार की घोषणा भी की।
सदस्य कर्षण और डीरेका कर्मियों का स्वागत करते हुए महाप्रबंधक रश्मि गोयल ने विद्युत रेल इंजन उत्पादन के इतिहास से उपस्थित लोगों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल को विद्युत कर्षण पर बदलने की दिशा में सरकार की नीति के अनुसार 06 माह की अल्प अवधि के अंदर डीरेका ने बुनियादी ढांचे, मशीनों, प्रक्रियाओं को नवोन्मेष एवं री-इंजीनियरिंग द्वारा तैयार किया तथा तकनीशियनों को इन-हाउस प्रशिक्षण दिया गया । इन प्रयासों के साथ, डीरेका ने फरवरी, 2017 में अपने पहले विद्युत रेल इंजन का निर्माण किया। 2016-17 में मात्र 02 विद्युत रेल इंजन निर्माण की छोटी सी शुरूआत के साथ, 2017-18 में उत्पादन धीरे-धीरे बढ़कर 25 रेल इंजन तक पहुंच गया। डीरेका ने दिसंबर 2018 से विद्युत रेल इंजनों की उत्पादन क्षमता को 18 रेल इंजन प्रति माह तक बढ़ा दिया है। डीरेका द्वारा 2018-19 के दौरान अब तक 77 विद्युत रेल इंजन का निर्माण किया गया है। दिसंबर 2018 तक डीरेका ने कुल 104 विद्युत रेल इंजनों का निर्माण किया है। उन्होंने सदस्य कर्षण को रेलवे बोर्ड द्वारा निर्धारित लक्ष्य के अनुसार विद्युत रेल इंजन के उत्पादन के प्रति आश्वस्त किया।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में विभागाध्यक्ष, अधिकारी, कर्मचारी परिषद् के सदस्य एवं कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन उप मुख्य यांत्रिक इंजीनियर, लोको ने किया।