बर्मिंघम राष्ट्रकुल खेलों को लेकर काशीवासियों का उत्साह चरम पर है। जगह-जगह पूजा-पाठ भी चल रहे हैं बनारस के खिलाड़ियों की सफलता को लेकर। बता दे कि राष्ट्रकुल खेलों में काशी की पांच खिलाड़ी अपने खेल कौशल कामेलोहा मनवाने के लिए अमेरिका विश्वचैंपनियनशिप से राष्ट्रकुल खेलों के लिए बर्मिंघम पहुंच गए हैं। इनमें टोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता ललित उपाध्याय, वेटलिफ्टर पूनम यादव, पूर्णिमा यादव और भाला फेंक में विजय यादव से काशी वासियों को काफी उम्मीदें है।
राष्ट्रकुल खेलों के लिए वाराणसी के खिलाड़ी
वाराणसी. बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 का आगाज गुरुवार 28 जुलाई से हो रहा है। इसमें 8 अगस्त तक भारत के 215 खिलाड़ियों की टीम पदक के लिए अपना-अपना दावा पेश करेंगे। इसमें काशी के पांच खिलाड़ी भी शामिल हैं। काशी के इन जाबांज खिलाड़ियों से हर किसी को पदक की आशा है। इन खिलाड़ियों की सफलता के लिए शहर से लेकर गांव तक पूजा-पाठ हो रहा है। हर कोई इन खिलाड़ियो से पदक की उम्मीद लगाए बैठे है।
बनारसियों को सबसे ज्यादा उम्मीद ओलंपियन हॉकी खिलाड़ी ललित से काशी वासियों को मेडल वो भी गोल्ड मेडल का आस है तो टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक विजेता टीम इंडिया के हाकी खिलाड़ी ललित उपाध्याय से। खुद ललित का कहना है कि इस बार टोक्यो 2020 ओलंपिक की गल्ती नहीं दोहराई जाएगी। अबकी स्वर्ण पदक पर ही निशाना होगा। बता दें कि ललित वाराणसी के शिवपुर क्षेत्र के भगतपुर गांव के मूल निवासी है।
वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 10 वां स्थान पाने वाले रोहित से काफी उम्मीदें वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में बनारस के रोहित यादव को जैवलिन थ्रो में 10वां स्थान हासिल हुआ। लेकिन वो आत्मविश्वास और उत्साह से लबरेज हैं। उन्होंने आश्वस्त किया है कि इसी माह बर्मिंघम में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जरूर आएगा। रोहित ने उम्मीद जताई है कि बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में वह पदक के प्रबल दावेदारों में होंगे। बता दें कि मूलरूप से जौनपुर के निवासी रोहित यादव बरेका में वह इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट में कार्यरत हैं।
विजय भी मेडल जीतने को तैयार हरहुआ विकास खंड के महुआरी, सुलेमापुर गांव निवासी दशरथ यादव के तीन बेटों में दूसरे नंबर के विजय यादव ने 11 साल पहले जूडो को अपना कैरियर बनाया, तब से अब तक कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। एक-एक कर कई खिताब अपने नाम किए। अब कामनवेल्थ गेम में फतह हासल करने को बेताब है। विजय का कहना है कि जीते तो श्रेय परिवार को। यहां ये भी बता दें कि विजय के पिता दशरथ यादव खराद का काम करते हैं, छोटा भाई राजू यादव आर्मी में है तो बड़े भाई गुड्डू यादव घर पर रह कर खेती बारी में पिता का हाथ बंटाते हैं। विजय का कहना है कि मेरी पूरी कोशिश होगी कि पदक जरूर आए। तैयारी तो स्वर्णिम सफलता की ही है। शेष देका जाएगा।
विजय की उपलब्धियां -2012- ताइपे यूथ एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक -2013- चीन में यूथ एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक -2015-कोरिया में ग्रांड प्रिक्स जेजू -2016- टर्की में सेमसन ग्रांड प्रिक्स में हिस्सा लिया -2107- हांगकांग में एशियन चैंपियनशिप में पांचवां स्थान -2017-हंगरी में वर्ल्ड चैंपियनशिप में भाग लिया -2018- नेपाल में दक्षेस चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
वेटलिफ्टर पूनम यादव से पदक ही आस वेटलिफ्टर पूनम यादव 2014 के ग्लासगो राष्ट्रकुल खेलों में कांस्य पदक जीत चुकी है। फिर 2018 के गोल्डकोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्णपदक हासिल किया। इस बार पुन- पूनम सें स्वर्णपदक की उम्मीद है। बर्मिंघम कामनवेल्थ गेम में वो पदक की हैटट्रिक लगाने का मौका है और यही काशीवाशियों को उनसे उम्मीद है।
दोबारा स्वर्ण पदक हासिल करेंगी पूर्णिमा पूर्णिमा पांडेय वेटलिफ्टर हैं जिन्होंने आस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में आयोजित 21 वें राष्ट्रमंडल खेल 2018 में 69 किलो भार वर्ग में भारोत्तोलन में स्वर्ण पदक जीता था। तब उन्होंने 222 किलो वजन उठाकर इंग्लैंड की सारा डेविस को पीछे छोड़ दिया था। वाराणसी के गायघाट निवासी पूनम को इस बार पूरी उम्मीद है कि वो दोबारा स्वर्ण पदक हासिल करेंगी।
काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजन-अर्चन, पदक की कामना कॉमनवेल्थ का स्लोगन लिखी तख्तियां और भारत का झंडा लिए लोगों ने राष्ट्र गीत ‘वंदे मातरम’ गाया और इंडिया जीतेगा के नारे लगाए। बच्चे, महिलाएं, युवा और बुजुर्ग सभी ने भारत से इंग्लैंड गए खिलाड़ियों की जीत के लिए कामना की।