scriptफिर उपेक्षित रह गया बनारस का यह अजेय सियासी योद्धा | BJP again ignored 07 time Victorious Shyamdev Rai Chaudhary | Patrika News
वाराणसी

फिर उपेक्षित रह गया बनारस का यह अजेय सियासी योद्धा

भाजपा सहित सहयोगी दलों के लोगों की हो गई सेटिंग, मान मन्नौवल की कोशिश पूरी। पर रह गए ये भाजपा के दिग्गज।

वाराणसीMar 11, 2019 / 02:47 pm

Ajay Chaturvedi

lok sabha election 2019

madhyapradesh-election

वाराणसी. भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से ठीक पहले पार्टी के अंदर ही नहीं बल्कि रूठे सहयोगी दलों को भी मनाने की भरपूर कोशिश की। दर्जन भर से ज्यादा लोगों को राज्यमंत्री की दर्जा दे दिया गया। यहां तक कि नाराज चल रहे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और अपना दल (एस) के लोगों को भी कहीं न कहीं सेट किया गया। कुछ शिक्षा जगत से जुड़े लोग जिनकी विचारधारा भाजपा से मेल खाती थी उन्हें भी बड़ा ओहदा दे दिया गया। लेकिन भाजपा नेतृत्व अपनी ही पार्टी के अजेय योद्धा को भूल गई। या यूं कहें कि उनकी उपेक्षा की गई। इसकी चर्चा पूरे बनारस में है।
बता दें कि रविवार को भाजपा ने आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर नाराज लोगों को मनाने की भरपूर कोशिश की। इसके तहत लोगों को निगमों और आयोगों का तोहफा दिया गया। इसके तहत सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी और अपना दल (एस) के 13 लोगों को निगम, बोर्ड, आयोग तथा संस्थानों की जिम्मेदारी दी गई। ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी को दो निगमों में अध्यक्ष तथा अपना दल (एस) की एक महिला नेता को संस्था के अध्यक्ष पद का तोहफा दिया गया। यह सब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के इशारे पर हुआ बताया जा रहा है।
इसके तहत नरेंद्र मोदी के लिए 2014 में कांग्रेस का हाथ झटकने वाले बनारस के कद्धावर नेता डॉ दयाशंकर मिश्र दयालू को भी उनकी निष्ठा और धीरज धरने का तोहफा मिला। उन्हें भी राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया गया। लेकिन 2017 में बनारस के जिस अजेय योद्धा को सियासत के हाशिये पर डाला गया वह अब तक उपेक्षित है। यहां यह भी बता दें कि जब उन्हें सियासत के हाशिये पर डाला गया तब ढेर सारे प्रलोभन दिए गए थे। सक्रिय राजनीति से दरकिनार होने से नाराज इस अजेय योद्धा ने जब नाराजग सार्वजनिक की तो अमित शाह ने ही उन्हें लखनऊ और दिल्ली बुलाया और बंद कमरे में वार्ता कर वापस भेज दिया। तब सूत्रों ने कहा था कि अमित शाह ने कहा था कि जल्द ही बड़ा पद दिया जाएगा। लेकिन 2017 से 2019 आ गया। लोकसभा चुनाव का बिगुल भी बज गया लेकिन पार्ट ने उन्हें तवज्जो देना मुनासिब नहीं समझा।
हां! बात की जा रही है भाजपा से सात बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके शहर दक्षिणी के विधायक रहे श्याम देव राय चौधरी ‘दादा’ का। वो दादा जिन्होंने 1989 से जो विजय यात्रा शुरू की वह 2012 तक अनवरत जारी रही। कई मौके ऐसे आए जब भाजपा विरोधी लहर भी आई लेकिन दादा के राजनीतिक कैरियर पर कोई फर्क नहीं पड़ा। पड़ता भी कैसे, वो जनप्रतिनिध जिसने अपनी जनता के लिए सत्ता की भी परवाह नहीं की। सबके सुख-दुःख के सहभागी रहे। बनारस शहर में कोई भी संकट आए उसमें वह बराबर जनता के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़े रहे। बनारस से लेकर लखनऊ तक बिजली, पानी, सड़क, खड़ंजा के लिए संघर्ष किया। सूत्र बताते हैं कि दादा की लोकप्रियता भाजाप नेतृत्व को पच नहीं पाई। कहा तो यहां तक जा रहा है कि 2014 लोकसभा चुनाव के बाद ही एक मुद्दे पर सड़क पर उतरना दादा के लिए काल बन गया।
बनारस में अब यह चर्चा आम है कि दादा भले कुछ न बोलें, वह पार्टी के पदाधिकारियों संग किसी भी रैली में नजर आएं। लेकिन उनके समर्थकों में इसे लेकर काफी क्षोभ है। सियासतदां कहते हैं कि अगर दादा ने मौन साध लिया तो उसका भी असर पड़ेगा।

श्यामदेव राय चौधरी का राजनीतिक सफरनामा

2017- नीलकंठ तिवारी -बीजेपी-92560
2012- श्यामदेव राय चौधरी बीजेपी-57868
2007-श्यामदेव राय चौधरी बीजेपी-33021
2002-श्यामदेव राय चौधरी बीजेपी-43458
1996-श्यामदेव राय चौधरी बीजेपी-65288
1993-श्यामदेव राय चौधरी बीजेपी-63726
1991-श्यामदेव राय चौधरी बीजेपी-57829
1989-श्यामदेव राय चौधरी बीजेपी-39529
1985-रजनीकांत-कांग्रेस-28400 (विजेता)
श्यामदेव राय चौधर-भाजपा-13639 (उपजेता)

श्यामदेव राय चौधरी

Home / Varanasi / फिर उपेक्षित रह गया बनारस का यह अजेय सियासी योद्धा

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो