बीजेपी ने गरीब सवर्णों को १० प्रतिशत आरक्षण देने के निर्णय को कैबिनेट से मंजूरी दिला कर बड़ा पासा फेंका है। एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद बीजेपी ने अध्यादेश लाया था जिससे सवर्ण वोटर सबसे अधिक नाराज हुए थे। इसी बीच यूपी की सियासत में सनसनी फैलाते हुए कुंडा के क्षत्रिय बाहुबली राजा भैया ने अपनी नयी पार्टी जनसत्ता (लोकतांत्रिक) बना कर प्रत्याशी उतराने का ऐलान किया। राज भैया ने एससी/एसटी एक्ट पर लाये अध्यादेश का विरोध करने का संकेत देकर सवर्ण वोटरों को खुश करने का प्रयास किया था। माना जा रहा था कि बीजेपी से नाराज सवर्ण वोटर के पास राजा भैया सबसे अच्छा विकल्प बन कर उभर सकते हैं। राजनीति जगत में चर्चा शुरू हो गयी थी कि नाराज सवर्ण वोटरों को कांग्रेस के पाले में जाने से रोकने के लिए बीजेपी ने राजा भैया की पर्दे के पीछे से मदद करने की तैयारी की है लेकिन सवर्ण आरक्षण कार्ड खेल कर बीजेपी ने सारे समीकरणों को ध्वस्त कर दिया है। बीजेपी को इस निर्णय से सवर्ण मतदाता खुश होकर पार्टी से जुड़ जाते हैं तो सबसे अधिक झटका राजा भैया को लगेगा। वजह साफ है राजा भैया को अपने प्रत्याशी जीताने के लिए सवर्ण वोटरों की सबसे अधिक जरूरत पडऩे वाली है।
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कैडर वोटरों को सहेजने में जुटी बीजेपी
बीजेपी ने पहले एससी/एसटी एक्ट पर अध्यादेश लाकर दलित वोटरों को अपने पाले में लाने का प्रयास किया है। यादव छोड़ कर अन्य पिछड़ी जाति पर अभी बीजेपी की पकड़ बनी हुई है। नाराज सवर्ण वोटरों के लिए पार्टी ने आरक्षण कार्ड खेल दिया है। माना जा रहा है कि बीजेपी ने वर्ष २०१४ का परिणाम दोहराने के लिए खास तैयारी की है जिसके तहत ही सवर्ण आरक्षण कार्ड खेला गया है आने वाले समय में बीजेपी इस तरह का कुछ और धमाका कर सकती है।
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बीजेपी ने पहले एससी/एसटी एक्ट पर अध्यादेश लाकर दलित वोटरों को अपने पाले में लाने का प्रयास किया है। यादव छोड़ कर अन्य पिछड़ी जाति पर अभी बीजेपी की पकड़ बनी हुई है। नाराज सवर्ण वोटरों के लिए पार्टी ने आरक्षण कार्ड खेल दिया है। माना जा रहा है कि बीजेपी ने वर्ष २०१४ का परिणाम दोहराने के लिए खास तैयारी की है जिसके तहत ही सवर्ण आरक्षण कार्ड खेला गया है आने वाले समय में बीजेपी इस तरह का कुछ और धमाका कर सकती है।
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