बीजेपी ने बसपा और सपा दोनों के ही वोटबैंक में सेंधमारी की योजना बना ली है। खास तौर से यूपी की बात करें तो यहां पिछड़ों (यादव रहित) को अपने पाले में करने के लिए तो पार्टी 2014 से ही लगी है। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में पार्टी ने वो कर भी दिखाया जब छोटे-छोटे क्षेत्रीय दलों से पैक्ट कर उसने समाजवादी पार्टी को धूल चटा दिया था। तब यूपी की कमान मौजूदी डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के पास थी। मौर्य ने यादव रहित पिछड़ों को अपने साथ जोड़ने में कोई कोरकसर नहीं रख छोड़ा। इससे पहले भाजपा ने अपना दल को तोड़ कर कुर्मि मतों में अच्छी खासी सेंधमारी की। हालांकि इसमें अपना दल नेत्री अनुप्रिया पटेल का भी बड़ा योगदान रहा। इसके साथ ही पार्टी ने राजभर, बिंद, पासी, जैसी जातियों को जोड़ने के लिहाज से ओमप्रकाश राजभर के साथ समझौता किया। यह दीगर है कि सत्ता में आने और योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ओमप्रकाश राजभर लगातार सीएम और यूपी सरकार के खिलाफ आग उगल रहे हैं। लेकिन भाजपा राजभर बिरादरी को जोड़ने के लिए और भी तमाम काम करने में जुटी है ताकि ओम प्रकाश राजभर अगर बगावत भी करें तो पार्टी पर कोई खास असर न पड़ने पाए।
अब बीजेपी की नई चाल कहें या डिप्टी सीएम केशव प्रसाद की रणनीति कहें, लेकिन उन्होंने बहुत दूर की चाल चली है। उन्होंने हाल ही में एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में जिस योजना का खुलासा किया है उसका असर दूर तलक जा सकता है। खास तौर पर दलित समुदाय के बीच। बता दें कि केशव मौर्या डिप्टी सीएम के साथ ही लोकनिर्माण मंत्री भी हैं। ऐसे में उन्होंने एक टीवी चैनल को बताया कि वह अपने विभाग के मार्फत ही ऐसा कुछ करने जा रहे हैं जिससे दलित उनसे जरूर जुड़ेंगे।
बसपा सुप्रीमों मायावती को झटका देने के लिहाज से केशव मौर्या की प्लानिंग है को बसपा के संस्थापक कांशीराम के नाम से ऐसा किया जाए जिसका असर आम दलितों पर पड़े। कारण साफ है दलितों के बीच कांशी राम आज भी देवता के रूप में पूजे जाते हैं। यूपी का दलित बसपा के संस्थापक अध्यक्ष रहे कांशी राम से दिल से जुड़ा है। ऐसे में लोकनिर्माण मंत्री केशव मौर्य की योजना है कि यूपी की सड़कों का नाम कांशीराम के नाम पर रखा जाए। यही नहीं जिस सड़क का नाम कांशीराम के नाम पर हो उसके आस-पास या वह जहां से शुरू होती हो वहां उनकी प्रतिमा भी लगाई जाए। बता दें कि यूपी में कांशी राम के नाम से सड़कें और उनकी प्रतिमा कम ही दिखती है या यूं कहें कि दिखती ही नहीं तो गलत न होगा। ऐसे में वह ऐसा करके दलितों के बीच यह मैसेज देने में सफल हो जाएंगे कि यूपी सीएम की गद्दी पर रहते हुए भी जो काम मायावती ने नहीं किया वह बीजेपी ने कर दिखाया। फिर इसका जोर-शोर से प्रचार भी किया जाएगा। वैसे भी अपनी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने में तो बीजेपी का मौजूदा संगठन सबसे आगे है ही, इसमें कोई दो राय नहीं। ऐसे में निःसंदेह इसका लाभ बीजेपी को मिल सकता है।
सूबे के लोकनिर्माण मंत्री केशव मौर्य की योजना के तहत न सिर्फ कांशी राम बल्कि समाजवादियों के मसीहा, सामाजिक चिंतक डॉ राम मनोहर लोहिया के नाम से भी सड़कें बनाई जाएंगी, उनकी प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी। इस योजना के मार्फत बीजेपी पिछड़ा वर्ग के समावादियों के साथ अन्य समाजवादियों को भी साधने में जुटी है। वैसे भी पार्टी की रणनीति के तहत दलित और यादव रहित पिछड़ों को भी जोड़ना है। ऐसे में वह ओम प्रकाश राजभर को भी हासिये पर लाते हुए राजभरों के लिए भी कुछ ऐसा ही कर सकती है। इसी सोच के साथ पीडब्ल्यूडी मंत्री सुहेलदेव की भी प्रतिमा लगाने जा रहे हैं, इसके लिए उन्होंने जगह भी तय कर ली है, ‘बहराइच’। साथ ही बिहार के मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर के नाम पर भी यूपी में सड़कें होंगी।
बता दें कि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनाने के साथ ही यूपी में उनकी जयंती पर अवकाश घोषित किया था। सड़कों का नामकरण करने की भी घोषणा की थी। लेकिन सड़कों का नाम तो नहीं हुआ। जहां तक जयंती पर अवकाश की बात है तो सीएम योगी आदित्यनाथ ने उस अवकाश को रद्द कर दिया। अब फिर से कर्पूरी ठाकुर की याद आई है भाजपा को। यानी यादव को छोड़ कर अन्य सभी पिछड़ी जातियों के वोटबैंक में सेंधमारी की पूरा और पुख्ता इंतजाम करने में जुट गई है बीजेपी।
बता दें कि यूपी में 23 प्रतिशत दलित वोटरों पर मायावती और उनकी पार्टी बीएसपी का दबदबा रहा है। बीजेपी हर हाल में दलित वोट बैंक में सेंधमारी की फ़िराक़ में है। ग़ैर यादव पिछड़ी जातियां तो वैसे भी अब बीजेपी का वोट बैंक बन गई हैं. केशव प्रसाद मौर्य ख़ुद इसी बिरादरी के हैं. पिछले साल विधानसभा चुनाव के दौरान वे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे।