मेयर के पद पर १९९५ से चुनाव होता है और काशी की बात की जाये तो मेयर के पद पर बीजेपी प्रत्याशी ही जीतता आया है। अभी तक मेयर पद पर आरक्षण की स्थिति पता नहीं थी, जिसके चलते बीजेपी के नेता से लेकर कार्यकर्ता मेयर पद पर चुनाव लडऩे की तैयारी में थे। आरक्षण सूची जारी होने के बाद साफ हो गया कि मेयर पद पर पिछड़ा वर्ग की महिला चुनाव लड़ेगी। इसके बाद से सामान्य वर्ग के प्रत्याशी रेस से बाहर हो गये और पार्टी के पिछड़े वर्ग से जुड़े नेता सक्रिय हो गये हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के चलते काशी में मेयर के साथ सभासद पद बीजेपी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
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बीजेपी ने किया था पुराने प्रत्याशियों को टिकट नहीं देने का ऐलान
बीजेपी ने पहले ही पुराने प्रत्याशियों को टिकट नहीं देने का ऐलान किया था। इसके बाद वार्ड वार आरक्षण सूची जारी होने से सभी प्रत्याशियों को झटका लग गया है। जिन प्रत्याशियों ने पहले से ही चुनावी माहौल बनाना शुरू कर दिया था और उनके वार्ड का आरक्षण बदल गया है अब उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि क्या किया जाये।
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बीजेपी ने पहले ही पुराने प्रत्याशियों को टिकट नहीं देने का ऐलान किया था। इसके बाद वार्ड वार आरक्षण सूची जारी होने से सभी प्रत्याशियों को झटका लग गया है। जिन प्रत्याशियों ने पहले से ही चुनावी माहौल बनाना शुरू कर दिया था और उनके वार्ड का आरक्षण बदल गया है अब उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि क्या किया जाये।
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सपा व बसपा के बाद आप पर भी लगी निगाहे
सपा व बसपा के बाद लोगों की निगाहे आप पर भी लगी है। सपा तो अपने सिंबल पर नगर निगम चुनाव लड़ती है, अब बसपा भी अपने सिंबल पर चुनाव लडऩे को तैयार है। काशी के संसदीय सीट पर हुए चुनाव के बाद पहली बार आप पार्टी भी नगर निगम चुनाव में भाग्य आजमाना चाहती है देखना यह है कि आरक्षण के नये नियमों के चलते आप कैसे प्रत्याशी का चयन करती है इस पर सबकी निगाहे हैं।
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