बता दें कि छठवें और सातवें चरण में भाजपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष डॉ महेंद्र नाथ पांडेय तो मैदान में हैं ही साथ में एक अन्य पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ पमापति राम त्रिपाठी भी मैदान में हैं। इनके अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व सूबे के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य तथा कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही की प्रतिष्ठा भी दांव पर है।
पार्टी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष डॉ महेंद्र नाथ पांडेय चंदौली संसदीय सीट से मैदान में हैं। वह 2014 में चुनाव जीते और केंद्र में मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री भी बने। बाद में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद जातीय समीकरण (ब्राह्मण मत) साधने के लिहाज से उन्हें प्रदेश की कमान सौंप दी गई। डॉ पांडेय 04 सितंबर 2017 को प्रदेश के अध्यक्ष बने। अब वह चंदौली से दोबारा पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी हैं। डॉ पांडेय के मुकाबिल सपा-बसपा गठबंधन से संजय चौहान तो कांग्रेस समर्थित शिवकन्या कुशवाहा मैदान में हैं। शिवकन्या पिछली बार गाजीपुर से मैदान में थीं और मनोज सिन्हा को कड़ी टक्कर दी थी। वैसे बात डॉ पांडेय की की जाय तो उन्होंने पिछले पांच साल में अपने संसदीय क्षेत्र के लिए काफी काम भी किया है। ट्रामा सेंटर से लेकर केंद्रीय विद्यालय की स्थापना और कई पुल व सड़कें भी बनवाई है। इन कार्यों के साथ उन पर चुनावी जीत की बड़ी चुनौती है।
बात करें दूसरे पूर्व अध्यक्ष की तो वो हैं डॉ रमापति राम त्रिपाठी जो देवरिया से उम्मीदवार है। पिछली बार यानी 2014 में देवरिया से वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र ने चुनाव जीता था। वह केंद्र में मंत्री भी बने। फिर ढलती उम्र आड़े आ गई और मंत्री पद भी छोड़ना पड़ा। अबकी टिकट भी नहीं मिला। हालांकि मिश्र ने खुद भी ऐलान किया था कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। यह पार्टी की नीति के तहत भी है। यहां बता दें कि डॉ त्रिपाठी संत कबीर नगर के सांसद शरद त्रिपाठी के पिता है। हालांकि अबकी शरद त्रिपाठी का टिकट इस बार काट दिया गया है। इस ब्राह्मण बहुल इलाके में जातीय समीकरण को देखते हुए डॉ त्रिपाठी को मैदान में उतारा गया है। डॉ त्रिपाठी के मुकाबिल सपा-बसपा गठबंधन से बसपा के विनोद कुमार जायसवाल और कांग्रेस के नियाज अहमद हैं। अब डॉ त्रिपाठी के साथ पूरी पार्टी लगी है कि यह सीट उनके पाले में आ जाए।
ऐसे ही प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। वह खुद चुनाव मैदान में नहीं हैं। लेकिन देवरिया के पथरेवा विधानसभा क्षेत्र से विधायक के तौर पर डॉ रमापति राम त्रिपाठी की जीत शाही के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी है। यह सीट किसी भी सूरत में पार्टी खोना नहीं चाहती।
अब बात करते हैं ऐसे पूर्व अध्यक्षों की जो खुद मैदान में नहीं हैं। उनमें हैं प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य। केशव 2014 में फूलपुर संसदीय सीट से चुनाव जीते थे। इस दफा इस सीट से केशरी देवी पार्टी के टिकट पर मैदान में हैं। ऐसे में केशव पर बड़ी जिम्मेदारी है केशरी को चुनाव जिताने की। यहां यह भी बता दें कि केशव की जिम्मेदारी इसलिए भी बढ़ जाती है कि उनके सांसद पद से इस्तीफा देने के बाद हुए उपचुनाव में यह सीट भाजपा गंवा चुकी है। ऐसे में अब केशव मौर्या सहित पूरी पार्टी की साख दांव पर है।
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