बात कर रहे हैं कैंट विधानसभा क्षेत्र के रघुनाथपुर एक्सटेंशन और तुलसीपुर इलाके की। इन दोनों क्षेत्रों के करीब पांच हजार लोग महीने भर से पेयजल संकट से जूझ रहे थे। यह तब था जब इन लोगों के लिए नया नलकूप बन कर तैयार था। बस उसे चालू करने भर की देर थी। लोगों का आरोप है कि पेयजल संकट के बाबत उन्होंने कई बार जलकल को शिकायती पत्र लिखा। अधिकारियों से मिले लेकिन न कोई सार्थक जवाब मिल रहा था न ही पेयजल।
ऐसे में तंग आ कर क्षेत्रीय महिलाओं ने दो दिन पहले ही जलकल का घेराव कर दिया। जमकर नारेबाजी की। इसी दौरान जल के महाप्रबंधक और सचिव महिलाओं से मिलने पहुंचे। क्षेत्रीय अवर अभियंता भी मौके पर आए। इसी दौरान महिलाओं को पता चला कि क्षेत्रीय विधायक के अड़ंगे के चलते नलकूप नहीं चालू हो रहा है। इस पर महिलाएं आक्रोशित हो गईं। जलकल कार्यालय पर तो जमकर प्रदर्शन किया तो अधिकारियों ने उन्हें अति शीघ्र जलापूर्ति का भरोसा दिलाया।
लेकिन महिलाएं इससे भी नहीं मानीं और शाम होते होते क्षेत्र में बने नलकूप पर पहुंच कर प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि रात होते-होते जलकल के अधिकारी और कर्मचारियों ने युद्ध स्तर पर काम कर देर रात नलकूप को चला दिया। नतीजा इलाके में स्वच्छ जलापूर्ति शुरू हो गई।
लेकिन महिलाएं इससे भी नहीं मानीं और शाम होते होते क्षेत्र में बने नलकूप पर पहुंच कर प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि रात होते-होते जलकल के अधिकारी और कर्मचारियों ने युद्ध स्तर पर काम कर देर रात नलकूप को चला दिया। नतीजा इलाके में स्वच्छ जलापूर्ति शुरू हो गई।
लेकिन बताया जा रहा है कि इन्हीं इलाकों में जलकल से डायरेक्ट वाटर सप्लाई भी होती है और वह पानी पीना तो दूर हाथ लगाने के काबिल भी नहीं है। कारण वह तारकोल सा काला तो है ही, उसमें कीड़े भी हैं। अब क्षेत्रीय जनता इस प्रदूषित पेयजलापूर्ति को लेकर आंदोलित है। मांग है कि या तो पूरे इलाके को नलकूप से जोड़ कर जलापूर्ति की जाए।
इस संबंध में क्षेत्रीय विधायक से संपर्क करने की कोशिश की गई पर संपर्क नहीं हो सका।