बतादें कि इसी साल सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी एक्ट में गिरफ्तारी को लेकर एक फैसला दिया था। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी से जुड़े किसी भी मामले पर तुरंत गिरफ्तारी से रोक लगाने का आदेश दिया था। इसको लेकर दलित संगठन नाराज थे और भारत बंद भी किया था। इस बंद में कई जगह टकराव हुआ और बड़ा बवाल और हंगामा हुआ था। आखिरकार केन्द्र सरकार ने इस फैसले को पलटते हुए एससी एसटी एक्ट बिल पास कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया था। इसी को लेकर सवर्ण लगातार भाजपा से दूरी बनाते दिखे थे और विरोध कर रहे हैं।
1952 से साथ दे रहे मूल वोटरों को ही नाराजगी पड़ी भारी विधायक ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि जनसंघ के दिनों से ही इसके मूल वोटर सवर्ण रहे हैं। 1952 में भी सवर्णों ने इसी दल के लोगों को नेता माना था। लेकिन एक झटके में मोदी सरकार ने जो फैसला लिया उससे वोटर नाराज हुए और भाजपा का साथ छोड़ दिया।
कौन हैं सुरेन्द्र सिंह सुरेन्द्र सिंह यूपी के बलिया जिले की बैरिया सीट से भाजपा के विधायक हैं। 2017 में चुनाव जीतने के बाद से ही सुरेन्द्र सिंह सरकार की नीतियों के खिलाफ जमकर हमला बोलते रहे हैं। केन्द्र सरकार ने जब एससी एसटी एक्ट को लेकर जब सुप्रीम कोर्ट को फैसला पलटा था तब भी सुरेन्द्र ही यूपी के इकलौते ऐसे सवर्ण विधायक थे जिन्होने सरकार के फैसले पर सवाल उठाया था। इसके बाद आज आये परिणाम पर भी वो भाजपा की हार को सवर्णों की नाराजगी बता रहे हैं।