ऐसे भाजपा विरोधियों ने सीएम योगी आदित्यनाथ के उस बयान का जमकर विरोध किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि 1916 में जब बीएचयू के स्थापना दिवस पर महात्मा गांधी काशी आए थे तो वह विश्वनाथ मंदिर गए थे। सीएम योगी ने कहा कि उसी वक्त गांधी ने संकरी गलियों और गंदगी का जिक्र किया था। ये बातें सीएम योगी ने आईआईटी बीएचयू के शताब्दी एल्यूमिनाई मीट के उद्घाटन के मौके पर भी कही थी फिर दो दिन पहले जब काशी आए थे तब भी उसे दोहराया। इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के एक प्रदेश पदाधिकारी रह चुके नेता ने तल्ख टिप्पणी की है।
प्रदेश पदाधिकारी रहे उस भाजपा नेता का कहना है कि गांधी जी की जिस काशी यात्रा का जिक्र सीएम योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं वह 1916 में नहीं 1903 में हुई थी। तब बापू सिर्फ एक साधारण तीर्थयात्री की हैसियत से आये थे। उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा कि विश्वनाथ मंदिर जाते हुए पतली संकरी गलियों से गुजरना पड़ा। इसका यह मतलब आपने और आपके आकाओं ने कहां से निकाल लिया कि वे कॉरिडोर बनाने को बोल गए हैं। आपके हिसाब से तो फिर ये ऊंचे, ऊंचे पहाड़ों पर, गुफाओं में रहने वाले देवी-देवताओं को भी मंदिर से निकाल कर सड़क पर लाकर रख देना चाहिए ताकि लोग आराम से दर्शन कर सकें।
उन्होंने कहा है कि भक्त आराम से पूजा पाठ तो घर में करते ही हैं। मंदिरों में थोड़ी परेशानी हो तो भी लोग स्वीकार करते हैं। क्या कभी आपके पास कोई गया कि मंदिर का रास्ता चौड़ा कर दो। अरे वहां थोड़ी सी सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत थी,बस। गांधी जी ने बनारस की जिस व्यवस्था पर सबसे तगड़ा हमला किया उस पर तो आप कुछ कर नहीं पाए। सफाई पर।
भाजपा नेता ने कहा कि ये सत्ता में बैठे लोग अपनी सभ्यता, संस्कृति, धरोहर, मंदिर, पूजा-पाठ सब को बिसरा चुके हैं, क्योंकि वे खुद को इससे ऊपर मानते हैं। यही प्रोजेक्ट अगर सपा,बसपा या कांग्रेस की सरकार में होता तो अब तक तो आपकी पार्टी हिंदुत्व के नाम पर तांडव मचा दी होती। उन्होंने कहा कि जो चाहे करें पर कृपा कर के इतिहास से छेड़ छाड़ मत करिए। गांधी बाबा को इतना ही मानते हैं तो उनकी दूसरी बातों को भी व्यवहार में लाकर दिखाइए। उसमें तो लगातार पिछड़ते जा रहे हैं।