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इनकी दोस्ती को सलाम, रोशनी से वास्ता नहीं फिर भी BHU के दिव्यांग छात्र लोगों के घरों में उजाला लाकर दोस्त की करना चाहते हैं मदद

locationवाराणसीPublished: Nov 03, 2018 02:27:26 pm

Submitted by:

Sunil Yadav

पिता ने BHU में दिव्यांग बेटे के एडमिशन के लिए रेहन रख दी थी जमीन

इनकी दोस्ती को सलाम, रौशनी से वास्ता नहीं फिर भी BHU के दिव्यांग छात्र लोगों के घरों में उजाला लाकर दोस्त की करना चाहते हैं मदद

इनकी दोस्ती को सलाम, रौशनी से वास्ता नहीं फिर भी BHU के दिव्यांग छात्र लोगों के घरों में उजाला लाकर दोस्त की करना चाहते हैं मदद

वाराणसी. एक कहावत है, ‘एक रास्ता बंद होता है, तो हजार रास्ते खुल जाते हैं’। लेकिन इसके लिए जरूरी है निरंतर प्रयास करते रहना। कुछ ऐसा ही प्रयास काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्र रवि कुमार कर रहे हैं। गरीबी में पले 100 प्रतिशत दृष्टिबाधित रवि कुमार मोमबत्तियों का सांचा भरते हुए बताते हैं, बीएचू एम ए प्रथम वर्ष पॉलिटिकल साइंस आनर्स के स्पेशल कैटेगरी में एडमिशन लेने के लिए उन्हें दस हजार रुपए की जरूर थी। पिता जी के पास पैसे नहीं थे। गांव वालों से उन्होंने मदद की गुहार लगाई लेकिन सभी ने पैसे देने में असमर्थता जाहिर की। छोटे भाई ने भी कहा अगले साल एडमिशन ले लेना। एडमिशन न होता देख रविकुमार ने अपनी इस समस्या का जिक्र जीवन ज्योति स्कूल के शिक्षक से किया। जिसके बाद वह रवि के परिजनों से मिले और कहा जैसे भी हो रवि का एडमिशन कराइए।
बेटे के एडमिशन के लिए पिता ने दस हजार में गहन रख दी चार बिस्वा जमीन

रवि कुमार बताते है कि पिता फूलचंद ने पैसों का इंतजाम करने के लिए गांव के ही सुरेंद्र यादव के हांथ चार बिस्वा जमीन दस हजार में गहन रख दिया। जिसके बाद उनका बीएयू में एडमिशन हुआ। वह कहते है कि एडमिशन तो हो गया लेकन अब उन्हें अपनी जमीन छुड़ाने के लिए पैसे का इंतजाम करना था। उन्होंने अपनी इस परेशानी के बारे में अपने दोस्तों को बताया तो उन्होंने रवि की मदद करने की ठान ली। साथ ही सभी ने तय किया कि रवि की मदद किसी से चंदा लेकर नहीं बल्कि खुद मेहनत करके करेंगे। इसके बात उन्होंने साक्षर इण्डिया फाउंडेशन डॉ सुनील मिश्रा से मुलाकात किया।
जिनका रोशनी से वास्ता नहीं वह लोगों के घरों में उजाला कर दोस्त की करना चाहते है मदद

इस संबंध में सनील मिश्रा बताते है कि उन्होंने जब इनकी समस्या के बारे में सुना तो अपने स्तर पर दस हजार रुपए मदद की पेशकस किया तो इन लोगों ने मदद लेने से इंकार कर दिया। कहा, हम मेहनत करके अपने दोस्त की मदद करना चाहते है। इनकी इस बात से प्रभावित होते हुए मैंने प्रफुल्ल नगर में दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग के अंतर्गत मोमबत्ती निर्माण की कार्यशाला का आयोजन किया। पांच दिन पहले इन छात्रों ने प्रशिक्षण लेकर मोमबत्ती बनानी शुरू किया। इनमें से ज़्यादातर छात्र दृष्टिबाधित हैं। इनका रोशनी से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं लेकिन यह लोगों के घरों में उजाला लाकर अपने दोस्त की जिंदगी की मदद करना चाहते है। उसकी जमीन छुड़ाना चाहते है। उन्होंने बताया कि रवि और उसके दोस्त मोमबत्ती के पैसों से रवि का कर्ज उतारने के साथ साथ अन्य छात्रों की मदद कर सकें इसके लिए उन्होंने उनकी मदद किया।
मन के अमीर है लेकिन धन की थोड़ी समस्या है

बचपन से रवि कुमार के साथ पढ़ रहे सत्य प्रकाश मालवीय बीएचयू से इतिहास में एमए प्रथम वर्ष के छात्र है। वह बताते है कि वह कैडल प्रोजेक्ट से तीन साल से जुड़े है। लेकिन इसबार यह प्रोजेक्ट उनके लिए बेहद खास है। इस बार उनकी प्राथमिकता अपने दोस्त रवि की मदद करना है। रवि की समस्या के लिए हम लोगों ने सोचा कि इसे इनकी क्रिएटविटी से ही दूर किया जाए। हम दोस्त की मदद चंदा जुटा कर नहीं बल्कि आत्मनिर्भर बनाकर करना चाहते है ताकि दूसरा तबका भी सीख ले सके।
द ग्रेट इंडियन लाफटर शो में सुर्खियां बटोर चुके रवि के दोस्त भी बना रहे मोमबत्तियां


रवि के ख़ास दोस्त और स्टार प्लस के शो द ग्रेट इंडियन लाफटर शो में सुर्खियां बटोर चुके काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्र दिव्यांग अभय शर्मा भी दोस्त की मदद के लिए जी जान से मोमबत्ती बनाने में लगे हुए हैं। वह कहते है कि काम एक है लेकिन इसके पीछे कई चीजें साकार होती जा रही है। वह करते है कि उनके मित्र रवि की पारिवारिक स्थिती ठीक नहीं थी तो उनके पिता जी ने जमीन रेहन रख कर उनका एडमिशन कराया। अब उसे छुड़ाना उन सब लोगों की प्राथमिकता है। वह कहते है कि कोई किसी की मदद करदें इससे बहते है कि हर कोई खुद की मदद के लिए हमेशा तैयार रहे। रवि स्वयं में एक कुशल व्यकित है। उनके हांथों में कला है। वह पावदान, मोमबत्ती, चाक सरीके हैंड मेड प्रोडक्ट इतना अच्छा बनाते है कि देखने वाले भी इतना अच्छा न बना पाएं। यह हमारे समाज का दुर्भाग्य है कि रवि जी जैसे स्किल्ड आदमी को दस हजार रुपए के लिए किसी की मदद की जरूर पड़े। हमने उनकी स्किल्ड को ही आगे रखकर उनका सपोट किया। अब सब लोग रवि जी का सपोर्ट कर रहें है। हम लोग रवि की जमीन छुड़ा कर दम लेंगे। आखिर में उन्होंने बनारस के लोगों से अपील की, ये मोमबत्तियां खरीदे, अंधेरे से निकली ये मोमबत्ती किसी की जिंदगी में उजाला कर सकती है।
बता दें कि दृष्टिबाधित बच्चों द्वारा बनायीं गयी मोमबत्ती का स्टाल 3 नवम्बर को प्रफुल्ल नगर में लगाया जाएगा जिसमे शहर कोई जानीमानी हस्तियां शिरकत करेंगी।

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