बृजेश सिंह के लिए सिकरौरा नरसंहार गले की हड्ड्ी बन चुका था। माफिया से माननीय बने बृजेश सिंह को इस मामले में सजा हो जाती तो एमएलसी पद तक छोडऩा पड़ सकता है लेकिन अदालत ने साक्ष्य के आभाव में बृजेश सिंह को बरी करने का निर्णय सुना कर सबसे बड़ी राहत दे दी है। कोर्ट के निर्णय के बाद बृजेश सिंह के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गयी है। अधिकांश मामलों में बरी होने के बाद बृजेश सिंह को सिकरौरा नरसंहार के निर्णय का ही इंतजार था अब उनके जेल से आने का रास्ता साफ हो गया है। मिली जानकारी के अनुसार अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा है जिसके चलते ही कोर्ट ने बृजेश सिंह को नरसंहार के आरोप से बरी कर दिया है।
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जानिए क्या है सिकरौरा नरसंहार
सिकरौरा में 1986 को तत्कालीन ग्राम प्रधान रामचंद्र यादव, उनके चार बच्चों समेत सात लोगों की गोली व धारदार हथियार से हत्या कर दी गयी थी। एक साथ इतने लोगों की हत्या होने के चलते इसे नरसंहार कहा गया था। इस मामले में माफिया से माननीय बने बृजेश सिंह के अतिरिक्त अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया था। बृजेश सिंह काफी समय तक फरार थे इसलिए बृजेश सिंह को छोड़ कर अन्य आरोपियों की इस मामले में नियमित सुनवाई होती रही। आरोप हे कि इस मामले की फाइल तक गायब करा दी गयी थी बाद में फाइल मिलने पर सुनवाई शुरू हुई थी। इस मामले में अन्य आरोपी पहले ही बरी हो चुके थे। बृजेश सिंह के पकड़े जाने के बाद इस मामले की सुनवाई फिर से शुरू हुई। प्रकरण की जल्द सुनवाई के लिए वादिनी हीरावती देवी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी उसके बाद हाईकोर्ट के निर्देश पर बनारस की स्थानीय अदालत ने नियमित सुनवाई कर निर्णय सुनाया है।
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सिकरौरा में 1986 को तत्कालीन ग्राम प्रधान रामचंद्र यादव, उनके चार बच्चों समेत सात लोगों की गोली व धारदार हथियार से हत्या कर दी गयी थी। एक साथ इतने लोगों की हत्या होने के चलते इसे नरसंहार कहा गया था। इस मामले में माफिया से माननीय बने बृजेश सिंह के अतिरिक्त अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया था। बृजेश सिंह काफी समय तक फरार थे इसलिए बृजेश सिंह को छोड़ कर अन्य आरोपियों की इस मामले में नियमित सुनवाई होती रही। आरोप हे कि इस मामले की फाइल तक गायब करा दी गयी थी बाद में फाइल मिलने पर सुनवाई शुरू हुई थी। इस मामले में अन्य आरोपी पहले ही बरी हो चुके थे। बृजेश सिंह के पकड़े जाने के बाद इस मामले की सुनवाई फिर से शुरू हुई। प्रकरण की जल्द सुनवाई के लिए वादिनी हीरावती देवी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी उसके बाद हाईकोर्ट के निर्देश पर बनारस की स्थानीय अदालत ने नियमित सुनवाई कर निर्णय सुनाया है।
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