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छावनी परिषद सदस्यों ने सीईओ पर लगाया मनमानी का आरोप, परिषद की बैठकों का बहिष्कार

locationवाराणसीPublished: Apr 03, 2018 07:44:09 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

परिषद सदस्यों का आरोप, मुख्य अधिशासी अधिकारी निर्वाचित सदस्यों के नोट आफ डिसेंट पर अनर्गल आरोप लगा रहे।

छावनी परिषद सदस्य

छावनी परिषद सदस्य

वाराणसी. छावनी परिषद के निर्वाचत सदस्यों ने परिषद के मुख्य अधिशासी अधिकारी पर मनमानी का आरोप लगाया है। सदस्यों का आरोप है कि निविदा एवं आवंटन बैठकों से निर्वाचित सदस्यों को बाहर रखना अवैधानिक एवं अलोकतांत्रिक है। इसी तरह फाइनेंस कमेटी की कार्यवाही भी सदस्यों को विश्वास में लेकर काम न करना,मनमाने तरह से धन खर्च किया जाना, सदस्यों के शिकायती पत्र का जवाब न देना भी मुख्य अधिशासी अधिकारी की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। मीडिया से मुखातिब छावनी परिषद सदस्यों ने कहा कि जनहित से जुड़े विषयों पर जिस पर परिषद की बैठक में चर्चा के बाद लिए गए निर्णय पर परिपत्र के द्वारा निर्णय कराए जाते हैं। बोर्ड बैठक में समयाभाव की वजह से एजेंडा के जो बिंदु छूट जाते हैं, उसे अगली बैठक में उसी प्रारूप में रखना चाहिए, परंतु ऐसा नहीं होता जो बोर्ड की अवमानना है। छावनी के कुल सात वार्डो में से दो वार्ड- 1 व 2 में, जहां छावनी बजट से एक रुपया भी खर्च नहीं किया जाता,वहां इन अधिकारी को फागिंग करवाने या पार्कों की सफाई करवाने में भी कष्ट होता है। एक निर्वाचित सदस्य जिसका पेशा ठेकेदारी करना और ठेकेदारों को सेट करना है,उसी के इशारे पर काम होते हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्य अधिशासी अधिकारी द्वारा छावनी परिषद के बैठक दिनांक तीन फरवरी की कार्यवाही प्रपत्र में चंद्रकेशव उपाध्यक्ष व अन्य पांच निर्वाचित सदस्य शैलेन्द्र सिंह, संगीता यादव, राज कुमार दास, मसूदा हुसैन व शैलजा श्रीवास्तवा द्वारा लगाए गए नोटआफ डिसेंट पर उठाई गई आपत्तियां व आरोप नियमों के विरुद्ध हैं। उपाध्यक्ष चंद्र केशव व अन्य सदस्यों ने कार्यवाही रजिस्टर में मुख्य अधिशासी द्वारा लगाये गए अनर्गल आरोपों का विरोध पत्र के माध्यम से खंडन कर अपने पक्ष से अधिशासी अधिकारी को अवगत कराया। उन लोगों ने स्पष्ट किया है कि जब तक उपरोक्त कार्यवाही प्रपत्र पर पर लगाये गए गलत आरोपों को निरसित नहीं किया जाएगा, तब तक हम छ: सदस्यों द्वारा बोर्ड की किसी कार्यवाही में असहयोग जारी रहेगा। अधिशासी अधिकारी तानाशाही से बोर्ड चलाना चाहते हैं, छावनी नागरिकों को लगातार अनावश्यक डरा धमकाकर सदस्यों के ऊपर दबाव बना रहे हैं और बिना बोर्ड की सहमति के मनमाने ढंग से नागरिको से गैरकानूनी ज़ुर्माना वसूला जा रहा है,जो सह्य नहीं है।

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