script

चैत्र नवरात्र 2019- कलश स्थापन में रखें शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान, हो सकता है बड़ा नुकसान

locationवाराणसीPublished: Apr 04, 2019 02:04:07 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-चैत्र नवरात्र 06 अप्रैल से,-आठ दिन का होगा नवरात्र-49 मिनट ही मिल रहा है कलश स्थापना को-14 दिन का होगा चैत्र शुक्ल पक्ष-अष्टमी और नवमी पूजन 13 अप्रैल को

चैत्र नवरात्र में देवी पूजन

चैत्र नवरात्र में देवी पूजन

वाराणसी. चैत्र नवरात्र या वासंतिक नवरात्र का आरंभ इस बार 06 अप्रैल शनिवार से हो रहा है। इस बार नवरात्र का आरंभ वैधृति योग में हो रहा है, ऐसे में कलश स्थाना के मुहूर्त का ध्यान रखना आवश्यक होगा। ऐसा न करने की सूरत में बनते काम बिगड़ सकते हैं।
वैधृति योग में नवरात्र का प्रारंभ
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा को कलश स्थापना को लेकर हर देवी भक्त को खास ध्यान रखना होगा। श्री काशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री, ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि नवरात्र आठ दिन का है और इसका आरंभ वैधृति योग में हो रहा है। उन्होंने बताया कि घट स्थापन के लिए काफी कम समय मिल रहा है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की सुबह वैधृति योग में हो रहा है। शास्त्रो के मुताबिक वैधृति पुत्र नाशः अर्थात वैधृति योग में घट स्थापना से पुत्र नाश होता है। ऐसे में कलश स्थाना का श्रेष्ठ समय अभिजीत मुहूर्त दिन के 11.35 से 12.24 बजे तक है। इस लिहाज से महज 59 मिनट में ही नवरात्र का प्रमुख धार्मिक कार्य संपन्न करना होगा।
14 दिन का चैत्र शुक्ल पक्ष
उन्होंने बताया कि इस बार आठ दिन का ही नवरात्र होगा। यही नहीं शुक्ल पक्ष भी 15 की बजाय 14 दिन का ही होगा। कारण दशमी तिथि का क्षय है। यही नहीं अष्टमी और नवमी का व्रत पूजन, रामनवमी को यानी 13 अप्रैल को किया जाएगा। इसी दिन महागौरी और सिद्धिदात्री देवी का दर्शन भी होगा।
महानिशा व महानवमी पूजन मुहूर्त

उन्होंने बताया कि नवरात्र में महानिशा पूजन और हवन का विशेष महत्व होता है। ऐसे में 12 व 13 अप्रैल की रात मानिशा पूजन होगा। नवरात्र का हवन 13 अप्रैल को सुबह 08,16 बजे के बाद ही किया जाएगा। नवरात्र का पारन 14 अप्रैल को होगा।
अशुभ वाहनों पर आगमन व प्रस्थान
इस बार माता का आगमन अश्व और प्रस्थान भैंसा पर हो रहा है। यह दोनों ही शुभ नहीं माना जाता। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक यह अशुभ फलदायी होगा। इससे देश में विपत्ति, किसी बड़े राजनेता का निधन,प्राकृतिक आपदा, शोक रोग की आशंका बनी रहेगी।
बनारस में शक्ति पीठ

बता दें कि काशी ही एक मात्र ऐसा शहर है जहां शारदीय नवरात्र हो या वासंतिक नवरात्र दोनों में पूजित देवियों के सभी नौ स्वरूप का विग्रह अलग-अलग है। देवी भक्त नवरात्र भर अलग-अलग मंदिरों में जा कर जगत जननी की आराधना करते हैं चाहे व शारदीय नवरात्र में पूजित शक्ति स्वरूपा हों या वासंतिक नवरात्र में पूजित नौ गौरियां हों। शक्ति के उपासकों के लिए शक्ति स्वरूप विग्रहों में सबसे पहले यानी प्रथम दिन शैलपुत्री देवी के दर्शन पूजन का विधान है जिनका विग्रह अलईपुर क्षेत्र में अवस्थित है। द्वितीयं ब्रह्मचारिणी माता का मंदिर ब्रह्मा घाट क्षेत्र में, तृतीयं चित्रघंटा का मंदिर चौक क्षेत्र में है तो चतुर्थकम कूष्मांडा का विग्रह दुर्गाकुंड इलाके में। पंचमं स्कंद माता यानी वागेश्वरी देवी का मंदिर जैतपुरा में है। षष्ठमं कात्यायनी देवी का मंदिर संकठा गली में संकठा माता मंदिर से सटे आत्म विश्वेश्वर मंदिर परिसर में अवस्थित है। सप्तमं कालरात्रि देवी का मंदिर कालिका गली में है। अष्टमं महागौरी को ही माता अन्नपूर्णा भी कहा जाता है जिनका मंदिर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के समीप है। नवमं सिद्धिदात्री माता का मंदिर गोलघर मैदागिन इलाके में है।

ट्रेंडिंग वीडियो