कहानी यूपी के मिर्जापुर जिले के मड़िहान और राजगढ़ इलाके के कुछ गांवों की है। इन गांवों में क्षत्रिय चौहान वंश के राजपूतों का निवास है। दोनों क्षेत्रों के विशुनपुरा, लालपुर, मटियारी, धुरकर, सरसौ और सत्तेसगढ़ सहित दर्जन भर गांवों के क्षत्रिय चौहान वंश के राजपूत परिवार के लोग दिवाली के दिन को काले दिवस के रूप में याद करते हैं। इस दिन कोई न तो नए कपड़े पहनता है और न ही घरों में या बाहर दिये रोशन किये जाते हैं। फुलझड़ियां और पटाखे तो दूर की बात है।
दरअसल इन गांवों के राजपूत खुद को पृथ्वीराज चौहान का वंशज बताते हैं और उन्हीं की याद में दिवाली नहीं मनाते। उनके मुताबिक दिल्ली की गद्दी पर बैठे अंतिम हिन्दू राजा का गौरव पृथ्वीराज चौहान को हासिल है। दिवाली के दिन ही मुहम्मद गौरी ने दिल्ली फतह की और पृथ्वीराज चौहन की आंख फोड़कर छल से उनकी हत्या कर दी। तभी से चौहान वंश के लोग इस दिन को शोक के रूप में मनाते हैं। मिर्जापुर के कई गांवों में ऐसे हजारों राजपूत परिवार रहते हैं जो खुद को चौहान वंश का कहते हैं।
दिवाली के दिन क्या करते हैं
दिवाली को लेकर इन गांवों में कोई तैयारी नहीं की जाती। न तो घरों में दीप जलाए जाते हैं और न ही पटाखे फोड़े जाते हैं। घरों और गांव में शोक का माहौल होता है। दिवाली के दिन समाज के सभी लोग गांव में एक जगह इकट्ठा होते हैं और शोक मनाते हैं। गांव के रहने वाले गोरखनाथ सिंह, महेश सिंह, पूर्व प्रधान मीना सिंह चौहान व महेश सिंह आदि लोगों के मुताबिक इलाके में चौहन क्षत्रिय वंश के लोगों की तादाद बहुत अधिक है। स्थनीय लोगों के आंकड़ों पर विश्वास करें तो यह संख्या 30 हजार के आस-पास है।
by SURESH SINGH