छठ की पूजा विधि क्या है?
यह पर्व चार दिनों तक चलता है। इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होती है और सप्तमी को अरुण वेला में इस व्रत का समापन होता है। कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को “नहा-खा” के साथ इस व्रत की शुरुआत होती है। इस दिन से स्वच्छता की स्थिति अच्छी रखी जाती है। इस दिन लौकी और चावल का आहार ग्रहण किया जाता है।
यह पर्व चार दिनों तक चलता है। इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होती है और सप्तमी को अरुण वेला में इस व्रत का समापन होता है। कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को “नहा-खा” के साथ इस व्रत की शुरुआत होती है। इस दिन से स्वच्छता की स्थिति अच्छी रखी जाती है। इस दिन लौकी और चावल का आहार ग्रहण किया जाता है।
दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। इस दिन उपवास रखकर शाम को खीर का सेवन किया जाता है। खीर गन्ने के रस की बनी होती है। इसमें नमक या चीनी का प्रयोग नहीं होता।
तीसरे दिन उपवास रखकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। साथ में विशेष प्रकार का पकवान “ठेकुवा” और मौसमी फल चढाएं। अर्घ्य दूध और जल से दिया जाता है।
चौथे दिन बिल्कुल उगते हुए सूर्य को अंतिम अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद कच्चे दूध और प्रसाद को खाकर व्रत का समापन किया जाता है।
इस बार पहला अर्घ्य 13 नवंबर को संध्या काल में दिया जाएगा और अंतिम अर्घ्य 14 नवंबर को अरुणोदय में दिया जाएगा। छठ पर्व की तारीख
नहाय-खाए- 11 नवंबर
खरना (लोहंडा)- 12 नवंबर
सायंकालीन अर्घ्य- 13नवंबर
प्रात:कालीन अर्घ्य- 14 नवंबर