वाराणसी. सीएम अखिलेश ने राजनीति पारी शुरू करने के साथ वर्ष 2012 के चुनाव में बाहुबली डीपी यादव का सपा से टिकट कटवा दिया था। इसके बाद कई बार ऐसा मौका आया है जब उन्होंने बाहुबलियों का सार्वजनिक रूप से विरोध किया है। इसके चलते सीएम अखिलेश की छवि साफ-सुधरी नेता वाली बनी है। बाहुबलियों की सपा में इंट्री का सारा ठीकरा सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव व शिवपाल यादव के सिर पर फोड़ा जा चुका है, ऐसे में सीएम अखिलेश ने अपने गुट से बाहुबलियों को टिकट दिया तो अपने ही बनाये चक्रव्यूह में फंस जायेंगे। यूपी विधानसभा 2017 के तहत सपा में एक सीट पर कई प्रत्याशी हो चुके हैं। सपा परिवार का विवाद अभी थमा नहीं है और पार्टी के सिंबल की लड़ाई चुनाव आयोग में चल रही है। सपा के अधिकतर विधायक व सांसद व एमएलए ने सीएम अखिलेश के पक्ष में हलफनामा दिया है उसमे बाहुबली नेता से लेकर दागी प्रत्याशी तक शामिल हैं। यदि सीएम अखिलेश गुट या फिर मुलायम सिंह यादव गुट में किसी को सिंबल मिल जाता है तो फिर से प्रत्याशियों की सूची जारी होगी। दोनों ही गुट अलग-अलग प्रत्याशियों की सूची जारी कर सकते हैं। ऐसे में सबकी निगाहे सीएम अखिलेश यादव पर होगी। यदि सीएम अखिलेश यादव गुट अपने प्रत्याशियों की सूची पर सबकी निगाहे लगी है। क्या सीएम अखिलेश दागी व बाहुबली विधायकों को टिकट देकर अपनी छवि के साथ समझौता करेंगे या फिर अन्य निर्णय लेंगे। पूर्वांचल में है दागी व बाहुबलियों की भरमार पूर्वांचल में दागी व बाहुबलियों की भरमार है। सबकी पहली पसंद सपा का टिकट होता है। वर्तमान समय में भी सपा में ऐसे विधायक है जिन पर कई आपराधिक मुकदमा दर्ज है। सीएम अखिलेश के खास लोगों में भी है दागी विधायक सीएम अखिलेश के खास लोगों में भी दागी विधायक हैं। एक विधायक पर आधा दर्जन से अधिक मुकदमा दर्ज है लेकिन उन्होंने हमेशा सीएम अखिलेश का साथ दिया है। शिवपाल यादव ने उक्त विधायक को पार्टी से निकाल दिया था लेकिन सीएम अखिलेश ने मंत्री पद नहीं छीना है, ऐसे में सीएम अखिलेश पर यह आरोप लगने लगा है कि दागी व बाहुबलियों को लेकर उनका नजरिया अलग है जो उनका साथ देता है वह दागी नहीं होता है जो चाचा शिवपाल यादव का साथ देता है वह दागी हो जाता है फिलहाल सभी की निगाहे सीएम अखिलेश यादव की अंतिम सूची पर टिकी हुई है।