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सपा के पूर्व सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से राजा भैया के खा संबंध थे। मायावती ने राजा भैया पर जब पोटा लगाया था तो सरकार बदलते ही मुलायम सिंह यादव ने ही राजा भैया की सबसे अधिक मदद की थी। राज्यसभा चुनाव 2018 पहले तक राजा भैया व अखिलेश यादव के संबंध सामान्य थे लेकिन अब दोनों लोगों में मनमुटाव की बात सामने आ रही है। अखिलेश यादव ने मीडिया से कहा था कि लगता है राजा भैया हमारे साथ हैं। इसके बाद से ही राजा भैया ने सपा से बिगड़ते संबंधों को बचाने की कवायद शुरू कर दी है। राजा भैया के भाई अक्षय प्रताप सिंह पूर्व में सपा के टिकट पर ही चुनाव लड़े थे। वर्ष २०१९ में सपा व बसपा मिल कर चुनाव लडऩे वाले हैं। ऐसे में अक्षय प्रताप सिंह को सपा से टिकट चाहिए तो राजा भैया को अखिलेश यादव के साथ संबंधों पर ध्यान देना होगा। बीजेपी से राजा भैया के भाई को टिकट मिलने की संभावना कम है इसलिए राजा भैया किसी भी हाल में सपा से अपने संबंध नहीं खराब कर सकते हैं।
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राजा भैया के पास खुद ही इतनी ताकत है कि वह बिना किसी दल के सहयोग से ही कुंडा से चुनाव जीत जाते हैं। राजा भैया को क्षत्रियों को बड़ा नेता माना जाता है। राज भैया का साथ जिस दल को मिलता है उस पार्टी से क्षत्रिय समाज को लोग जुडऩे लगते हैं। ऐसे में राजनीतिक दलों के लिए भी राजा भैया की बहुत उपयोगिता है यह बात सपा के बड़े नेता भी जानते हैं। सीएम योगी से दूरी बना कर राजा भैया से साफ कर दिया है कि वह सपा के साथ अपने रिश्तों को बचाये रखना चाहते हैं।
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