बनारस के जिला जेल के मुख्य प्रवेश द्वार पर पार्षद बंशी यादव की गोली मार कर हत्या की गयी थी। यूपी में यह अपने तरह का पहला मामला था इसके बाद अपराधियों में इस बात का खौफ हो गया था कि जिन जेलों से वह जरायम की दुनिया चलाते हैं वह सुरक्षित नहीं है। इस घटना के कुछ वर्ष बाद ही सबसे सुरक्षित माने जाने वाली सेंट्रल जेल में गैंगस्टर अन्नु त्रिपाठी की गोली मार कर हत्या कर दी जाती है। चर्चाओं की माने तो उस समय कहा जाता था कि बाहर से आये लोगों ने आराम से अन्नु त्रिपाठी की हत्या की थी और आरोप उसी बैरक में बंद किट्टू पर लगा दिया गया था। इसके बाद से ही अपराधियों के लिए जेल गैंगवार का साधन बन गयी है। प्रदेश के सुपारी किंग माने जाने वाले मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में हुई हत्या ने साबित किया था कि सरकार किसी की हो। अपराधियों के लिए जेल सुरक्षा तोडऩा कभी कठिन नहीं रहा। इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार ने जेल व्यवस्था में सुधार के लिए पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है। इसके बाद भी जेल व्यवस्था में सुधार नहीं होता है।
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पुलिस विभाग लगातार जेल में मोबाइल सक्रिय होने की बात कहती आयी है और डीएम व एसएसपी भी जेल में छापा मार कर मोबाइल को जब्त करते हैं। मोबाइल उपयोग करने के आरोप में बंदियों पर मुकदमा भी दर्ज होता है लेकिन किसी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं होती है। बनारस की जिला जेल में चौकाघाट की चहारदीवारी से मोबाइल फेंके जाने की बात कह कर अधिकारियों को बचा लिया जाता है जबकि सच्चाई है कि जेल में अपराधी मोबाइल का प्रयोग करते हैं तो इनकी जानकारी वहां के लोगों को होती है। सीएम योगी की पुलिस लगातार एनकाउंटर करके अपराधियों को जेल भेजने में जुटी है तो दूसरी तरफ अपराधी आराम से जेल से ही अपना काला धंधा चमकाने में जुटे हैं।
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