कल्याण सरकार की सख्ती की आज भी होती है चर्चा पच्चीस साल बीत जाने के बाद भी कल्याण सरकार की 1992 की परीक्षा सख्ती की चर्चा आज भी की जाती है। उस समय में उत्तीर्ण हुए छात्र आज भी सीना तान के कहते नजर आते हैं कि हम कल्याण के जमाने के पास आउट हैं। उसके बाद से यूपी बोर्ड की हालत ऐसे बिगड़ी की कई सरकारें आईं और चली गईं पर किसी ने यूपी के नकल माफियाओं पर नकेल न कस सकी।
देश के हर कोने से डिग्री लेने के लिए छात्र आते थे यूपी यूपी बोर्ड की परीक्षा शिक्षा माफियाओं के धन उगाही का सबसे बड़ा जरिया बन गई थी। देश के हर कोने में इस बात की चर्चा रहती थी कि जो हर जगह फेल हो जाये वो यूपी बोर्ड परीक्षा में शिक्षा माफियाओं के सहारे पास हो सकता है। वो भी मनचाहे अंकों के साथ। ऐसे में एक परीक्षार्थी को प्रथम स्थान दिलाने के लिए 20 से पचास हजार रूपये तक शिक्षा माफिया वसूल लिया करते थे। इस बार सीएम योगी ने जो सख्ती की है उससे नकल माफियाओं की कमर टूटनी तय है।
शिक्षा माफियाओं के सामने फीका पड़ जाता है सांसदों विधायक का जलवा यूपी में ऐसे भी शिक्षा माफिया हैं। जिनके सामने सामने सांसदों विधायकों की चमक भी फीकी पड़ जाती है। कई शिक्षा माफिया तो देखते ही देखते कई स्कूलों से लेकर ठेकेदारी फिर राजनीति में अपना रसूख बनाते चले गये। इसी धंधे ने कईयों को यूपी में ही नहीं देश में पहचान दी थी। अब योगी राज में ये काला धंधा शायद फिर न पनप सके।