गोरखपुर की राजनीति में गोरक्षपीठ व हरिशंकर तिवारी का आवास (हाता) का बहुत बडा योगदान है। हरिशंकर तिवारी से जुड़े ब्राह्मण व सीएम योगी से जुड़े क्षत्रिय वोटरों के लिए अपनी-अपनी जगह बेहद खास है। यूपी की सत्ता संभालते ही सीएम योगी के इशारे पर पुलिस ने हरिशंकर तिवारी के आवास पर छापा मारा गया था। हरिशंकर तिवारी के आवास पर २८ साल के बाद पुलिस गयी थी, जिसको लेकर ब्राह्मणों ने विरोध दर्ज कराया था इसके बाद से ही सीएम योगी की छवि पर जातिवादी होने की मुहर लगती गयी, जो समय के बाद बड़ी होने लगी। बीजेपी भी सीएम योगी की इस छवि को जान गयी थी इसलिए सीएम योगी के विरोधी ब्राह्मण खेमे के उपेन्द्र दत्त शुक्ला को प्रत्याशी बनाया था इसके बाद भी ब्राह्मणों की नाराजगी खत्म नहीं हुई और गोरखपुर व फूलपुर दोनों ही सीटों पर ब्राह्मण वोटरों की नाराजगी के चलते बीजेपी की यह हालत हो गयी।
यह भी पढ़े:-सीएम योगी को तगड़ा झटका, गोरखपुर में सपा से पिछड़ी बीजेपी इन जातियों ने तोड़ दिया सीएम योगी का सपना, नहीं मिला बीजेपी प्रत्याशी को वोटगोरखपुर में 19 लाख से अधिक वोटर हैं। संसदीय चुनाव 2014 में सीएम योगी जब इस सीट पर सांसद बने थे तब उन्हें अकेले51#8 प्रतिशत वोट मिले थे। सपा को 21.75 व बीएसपी को 16.95 मते मिले थे। सपा व बसपा के वोटों का प्रतिशत जोड़ दिया जाये तो वह 39 प्रतिशत ही होता है। पांच बार खुद सीएम योगी इस सीट पर सांसद थे और उससे पहले उनके
गुरु महंत अवैद्यनाथ के पास यह सीट थी इसके बाद भी सीएम योगी के प्रत्याशी को हार मिली। गोरखपुर में निषाद वोटरों की संख्या 3.6 लाख, यादव व दलित वोटरों की संख्या दो लाख है जबकि ब्राह्मण वोटरों की संख्या 1.5 लाख है इससे पता चलता है कि यह सारी जाति सीएम योगी के विरोध में मतदान किया और पहली बार सीएम योगी के गढ़ में बीजेपी का किला ढह गया।
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