यानी ये ऐसा स्कूल है जिसके लिए न सरकारी मान्यता का कोई महत्व है और न राष्ट्रगान का। देश की आजादी के लिए लाखों शहीदों ने कुर्बानी इसलिए दी थी ताकि देशवासी आजाद हो सकें। खुली हवा में सांस ले सकें। देश का अपना झंडा-अपना राष्ट्रगान हो। लेकिन लगता है चंद सिरफिरे लोगों को इन बातों से कोई मतलब नहीं। वे रहते जरूर इस देश में हैं लेकिन देश से उन्हें प्यार नहीं।
स्कूल में राष्ट्रगान पर पाबंदी के खिलाफ आठ शिक्षकों के इस्तीफा देने के बाद मामला गर्माया तो इसका पता चला। उत्तर प्रदेश सरकार को समूचे मामले की तत्काल जांच करा इस बारे में सख्त कदम उठाना चाहिए क्योंकि ये राजनीति का सवाल नहीं है। किसी धर्म या मजहब से भी इसका कोई लेना-देना नहीं है। ये राष्ट्र का मामला है।
मामला राष्ट्रगान को चुनौती देने का है, लिहाजा जांच भी गंभीरता के साथ की जानी चाहिए और मामला सही पाया जाए तो सख्त सजा देने में भी परहेज नहीं किया जाना चाहिए ताकि ऐसी सजा दूसरों के लिए मिसाल बन सके। ये पहला अवसर नहीं जब राष्ट्रगान अथवा राष्ट्र गीत को लेकर विवाद खड़ा हुआ हो। पहले भी ऐसा होता रहा है। भारत विविधताओं भरा देश है, जहां तमाम धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं।
अनेक जातियां हैं, बोलियां हैं, रीति-रिवाज हैं। किसी को किसी के खान-पान, पूजा-पाठ, पहनावे और बोलचाल से आपत्ति नहीं होनी चाहिए। राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान किसी भी देश की अस्मिता से जुड़े सवाल हैं। ऐसे सवाल जिनसे कोई भी देश कभी समझौता कर ही नहीं सकता। करना चाहिए भी नहीं। जो व्यक्ति राष्ट्रगान का सम्मान करना नहीं जानता, उसे इस देश में रहने का अधिकार ही नहीं रह जाता।