-पेयजल योजना के बाद अब शाही नाले की सफाई व मरम्मत निशाने पर-पूरा शहर बेहाल, आखिर कब तक साफ होगा ये शाही नाला-2015 में योजना स्वीकृत हुई-2016 में काम शुरू हुआ-2017 में ही काम होना था पूरा-दावा 50 साल तक नहीं होगी दिक्कत-2017 की जगह 2019 का आधा साल निकल गया-अब सीएम के निशाने पर अफसर
CM Yogi Adityanath
वाराणसी. एक दशक तक लटकी वाराणसी की पेयजल योजना से जुड़े जल निगम के अफसरों पर गाज गिरने के बाद मुख्यमंत्री के निशाने पर आ गया है बनारस का अति प्राचीन शाही नाला। वो शाही नाला जो शहर के ड्रेनेज सिस्टम को सही रखने का एकमात्र साधन है। लेकिन इस शाही नाले की सफाई और मरम्मत का काम पिछले चार साल से खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। हर छह महीने के बाद इसकी मियाद बढ जाती है। नाले की सफाई और मरम्मत का काम जारी रहने से जहां शहर का सीवेज सिस्टम पूरी तरह से बैठ गया वहीं ट्रैफिक जाम की समस्या भी उत्पन्न हो गई है। ऐसे में अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फिर से जल निगम के अफसरों को निशाने पर लिया है। हालांकि वह इससे पहले भी जल निगम के अधिकारियों को इस नाले के बाबत न केवल नाराजगी जता चुके हैं बल्कि अफसरों और कार्यदायी एजेंसियों को नोटिस भी जारी की जा चुकी है। लेकिन निर्माण एजेंसियों पर कोई फर्क नहीं पड़ा। अब सीएम ने अपने इस बार के वाराणसी दौरे पर जल निगम के अफसरों को चेता दिया है। साफ-साफ कहा है कि सुधर जाएं अन्यथा पेयजल योजना की तरह शाही नाले से जुड़े लोगों पर भी कार्रवाई तय है।
सीएम ने जल निगम की गंगा प्रदूषण इकाई के महाप्रबंधक एसके राय को जमकर फटकार लगाते हुए कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया। कहा कि अगले सप्ताह प्रमुख सचिव नगर विकास वाराणसी आएंगे और यहां पर नमामि गंगे, गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई सहित विभिन्न परियोजनाओं में आ रही समस्याओं को परखेंगे। साथ ही संबंधित विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर समन्वय स्थापित करा कर समस्याओं का समाधान सुनिश्चित कराएंगे, ताकि शाही नाला की सफाई, सीवरेज निर्माण कार्य आदि कार्यों में अपेक्षित तेजी आ सके। लेकिन 23 अगस्त 2019 की सुबह जब पत्रिका ने जीएम जल निगम एसके राय से संपर्क करने की कोशिश की तो मोबाइल स्विच ऑफ मिला।
बता दें कि शाही नाले की मरम्मत का काम अगस्त 2015 में शुरू हुआ। तब ये तय किया गया था कि दिसंबर 2017 तक शाही नाले की मरम्मत हो जाएगी। कहा गया कि शाही नाले का नवीनीकरण हो जाने के बाद अगले 50 वर्ष तक ड्रेनेज प्राब्लम नहीं होगी। लेकिन ऐसा अब तक नही हो सका है। अब तक पांच बार मरम्मत व सफाई की मियाद बढाई जा चुकी है।
कार्यदायी संस्था जल निगम के महाप्रबंधक एसके राय ने 15 जून 2018 को पत्रिका से बातचीत में बताया था कि मरम्मत कार्य पूरा करने के लिए 31 जुलाई तक की मोहलत मिली है। साथ ही उन्होंने कहा कि नाले के अंदर सीवर के फ्लो और ऊपर सड़क पर ट्रैफिक का दबाव इतना है कि चाह कर भी हम लोग निर्धारित अवधि में काम पूरा नहीं कर पा रहे हैं। वैसे कोशिश है कि इस बार 31 जुलाई तक काम खत्म कर दिया जाए। उन्होंने बताया कि कुल 7.1 किलोमीटर लंबे नाले की सफाई, मरम्मत और उसकी गोलाई के बराबर नई पाइप लाइन डाली जा रही है। यह काम देश की सबसे प्रतिष्ठित फर्म श्रीराम ईपीसी से कराया जा रहा है। लेकिन वो मियाद भी बीत गई। अब तो अगस्त 2019 भी खत्म होने को है, लेकिन काम पूरा नहीं हो सका है।
ये भी पढें- वाराणसी के लोग चार साल से झेल रहे सीवर समस्या, नहीं निकल रहा हल, आक्रोश इस शाही नाले के बाबत बताया जाता है कि अस्सी से कोनिया तक इसकी लंबाई 24 किलो मीटर है। पुरनियों के मुताबिक यह नाला अस्सी, भेलूपुर, कमच्छा, गुरुबाग, गिरिजाघर, बेनियाबाग, चौक, पक्का महाल, मछोदरी होते हुए कोनिया तक गया है। लेकिन उसकी भौतिक स्थिति के बारे में सटीक जानकारी किसी के पास नहीं। ऐसे में शाही नाला की भौतिक स्थिति को चिह्नित करने के साथ ही उसके जीर्णोद्धार का काम जारी है। इस मुगलकालीन शाही नाले को रोबोटिक कैमरों के जरिये जानकारी हासिल की गई है। इसके लिए जापान इंटरनेशनल कोआपरेशन एजेंसी (जायका) ने 92 करोड़ रुपये मंजूर किए थे।
ये भी पढें- मुगल कालीन शाही नाले की मरम्मत में यूपी सरकार के छूट रहे पसीने अब जल निगम की गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई की निगरानी में मरम्मत का काम चल रहा है। मरम्मत कार्य का फैसला अगस्त 2015 में लिया गया। सितंबर के बाद रोबोटिक सर्वे का काम शुरू हुआ दरअसल इसका नक्शा न नगर निगम के पास था न जलकल के पास। ऐसे में रोबोटिक सर्वे की जरूरत पड़ी। शहर की घनी आबादी से होकर गुजरने वाला यह नाला पूरी तरह भूमिगत है। प्राचीन शाही नाला मौजूदा समय में भी शहर के सीवर सिस्टम का एक बड़ा आधार है। यह प्राचीन काशी की जलनिकासी व्यवस्था की एक नजीर है। शहर के पुरनिये बताते हैं कि अंदर ही अंदर शहर के कई अन्य छोटे-बड़े नाले इससे जुड़े हैं लेकिन इसकी भौतिक स्थिति का पता न होने से नालों के जाम होने या क्षतिग्रस्त होने पर उसकी मरम्मत तक नहीं हो पाती रही।
-गोदौलियाः यहां इस नाले से कमच्छा, लक्सा, लक्ष्मीकुंड, रामापुरा का सीवर लाइन का कनेक्शन जुड़ा है -नईसड़कः सुदामापुर, महमूरगंज, आकशवाणी, बैंक नगर कालोनी, सिगरा चौराहा होते हुए आशिक-माशूक की मजार, सिद्धगिरी बाग, सोनिया, औरंगाबाद, पुराना पान दरीबा, लल्लापुरा, पितरकुंडा, काली महाल, अलकुरैश मस्जिद, पनामा तिराहे से आने वाली सीवर लाइन जुड़ी है
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