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अयोध्या के बाद अब काशी में देव दीपावली मनाएंगे CM योगी

locationवाराणसीPublished: Oct 20, 2017 09:28:03 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

विरोधियों ने कहा, खाली पेट दीपक की लौ आंखों को जलाने लगती है। सूबे में अब 1991-92 नहीं लौटने वाला।

सीएम योगीी व काशी की देव दीपावली

सीएम योगीी व काशी की देव दीपावली

वाराणसी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ श्री राम जन्म भूमि अयोध्या में छोटी दीपावली मनाने और भगवान राम की आरधना करने के बाद श्री राम के आराध्य भोले नाथ की नगरी में देव दीपावली मनएंगे। इसे लेकर भाजपा में जहां खुशी की लहर है तो प्रशासनिक अमला चौकन्ना हो गया है। इधर विपक्ष भी सीएम की इस रणनीति की काट निकालने में जुट गया है। दोनों मिल कर इस बार देव दीपावली को कुछ खास रूप देने की तैयारी में हैं। लेकिन विपक्ष इसे राजनीतिक दृष्टि से देख रहा है। विपक्ष का मानना है कि नोटबंदी, जीएसटी से आम आदमी परेशान है। लोगों के पेट का सवाल खड़ा हो गया है। ऐसे में अब हिंदुत्व की भावना को उद्वेलित करना आसान नहीं होगा। लेकिन पार्टी इसी दिशा में काम कर रही है।

बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले अयोध्या में छोटी दीपावली मनाई। सरयू तट पर राम की पौड़ी पर करीब पौने दो लाख दीपक जलाए गए। श्री राम की पूजा की। अब बारी काशी की है। दीपावली के ठीक 15 दिन बाद पड़ने वाली देव दीपावली पर इस बार सीएम योगी काशी में होंगे। वह यहां के नागरिकों संग देव दीपावली मनाएंगे। इसके पीछे कुछ खास मकसद हैं ऐसा राजनीतिक विश्लेषकों का मत है। वे कहते हैं कि नोटबंदी और जीएसटी का असर सबने देख लिया। इस बार कार्तिक अमावस्या पर रात कहीं ज्यादा काली थी। लोगों ने दीपक तो जलाए पर उनके दिल भी जल रहे थे। लोगों के सामने पेट का सवाल खड़ा हो गया है। ऐसे में मुख्यमंत्री के धार्मिक क्रिया कलापों में लोग शामिल तो होंगे पर इसका राजनीतिक लाभ भी उन्हें मिलेगा यह कह पाना आसान नहीं है। लेकिन बीजेपी और आरएसएस का यह पुराना राग है काशी, मथुरा और अयोध्या का और जब केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक सभी फ्लाप हो गए हैं तो अब भगवान की शरण बची है।
पूर्व सांसद और प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष डॉ राजेश मिश्र का इस संबंध में पत्रिका से बातचीत मे का कहना था कि बीजेपी से पहले जो जनसंघ थी उसके कार्यकाल से लेकर अब तक इस दल की कार्यशैली सदैव विभाजनकारी रही है। हिंदू बनाम मुस्लिम रहा है। 2014 का लोकसभा चुनाव कुछ दूसरी परिस्थितियों में लड़ा गया, तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। ऐसे में क्षद्म रूप से झूठा सपना दिखा कर लोगों को छला गया। फिर 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव तक 2014 के चुनावी परिणाम का वैभव कायम रहा। तब तक न नोटबंदी का पूरा सच सामने आया था न जीएसटी आई थी। अब दोनों का असर सीधे तौर पर दिखने लगा है। चाहे वह मध्यम वर्ग हो या निम्न मध्यम वर्ग सभी त्रस्त हैं। व्यापारी हो या नौकरीपेशा दोनों महंगाई से जूझ रहे हैं। सबके सामने पेट का सवाल खड़ा हो गया है। ऐसे में लोग लोक लाज बचाने के लिए दीपक भले जला लें पर वह इसके लिए भी कितना जतन किए होंगे वो उनका दिल ही जानता होगा। युवा बेरोजगारों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। काम मिल नहीं रहा है। फैक्ट्रिों, मिलों व अन्य कल-कारखानों में काम करने वाले घर बैठे हैं। लघु व कुटीर उद्योग बंद हो चले हैं। लोग पाई-पाई को मोहताज हैं। वे भ्रमित हैं, पीएम कुछ कहते हैं, सीएम कुछ, केंद्रीय व राज्य के मंत्री कुछ कहते है और बीजेपी के अध्यक्ष कुछ। ऐसे में जनता मानसिक रूप से परेशान है। ऐसे में अब 1991-92 जैसी स्थिति नहीं आने वाली। अयोध्या, काशी और मथुरा वृंदावन से राजनीति नहीं चलने वाली। लोग सख्त नाराज हैं।
प्रदेश के पूर्व मंत्री शतरुद्र प्रकाश ने पत्रिका को बताया कि काशी, मथुरा, अयोध्या, वृंदावन,प्रयाग ये सभी सांस्कृतिक प्रतिमान हैं प्रदेश व देश के। इसमें कोई शक नहीं। इसे कोई नकार नहीं सकता। लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जो कुछ दिन पहले अयोध्या में पुष्पक विमान उतार रहे थे, उनका मन सरकार चलाने से ज्यादा इन धार्मिक गतिविधियों में ही रम रहा है। लेकिन बीजेपी को यह भी सोचना चाहिए कि जीएसटी के नाग ने आम नागरिक को डंस लिया है। लक्ष्मि रुठ गई हैं। लोगों की जेब में पैसा रहेगा तब न धर्म कर्म करेंगे। यह सही है कि देश की 80 फीसदी जनता राम और शिव की भक्त है। लेकिन ये भक्त भी मायूस हैं। उदासीन हैं। पीएम और सीएम को इनकी भावना को भी समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीएम भले त्रेता युग का पुष्पक विमान उतारें लेकिन जेब से कड़क लोग तो हैप्पी दीवाली मना कर ही संतोष कर लिए। प्रदेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त है, आम आदमी नोटबंदी और जीएसटी की मार से कराह रहा है और ये हैं सरयू और गंगा तट पर दीपक जलाने में मशगूल हैं। करना ही है तो गंगा और सरयू को साफ कर देते।
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