भाजपा के अदर बैकवर्ड्स को जोड़ने की नीति की काट के रूप में कांग्रेस ने भी अदर बैकवर्ड्स को जोड़ना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में सबसे पहले कांग्रेस ने पूर्वांचल में पटेल बिरादरी के वोटबैंक में सेंधमारी की बड़ी चाल चली है। इसी के तहत पार्टी ने पटेल बिरादरी पर अच्छी पकड़ रखने वाले अपना दल (कृष्णा पटेल गुट) के साथ गठबंधन कर लिया है। फिलहाल कांग्रेस ने अपना दल (कृष्णा पटेल गुट) को दो सीटें दी हैं, गोंडा और पीलीभीत। हालांकि अपना दल नेता कृ्ष्णा पटेल ने प्रतापगढ़ सीट की भी मांग की है, हालांकि अभी तक इस पर सहमति नहीं बनी है। बता दें कि भाजपा से नाराजगी के बाद अपना दल नेता और केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल भी प्रियंका गांधी से मिलने गई थीं लेकिन कोई बात बनी नहीं। उसके बाद ही वह दोबारा भाजपा के पाले में आईं और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हों दो सीटें देने की घोषणा की जिसे उन्होंने मान लिया।
पार्टी के जिला अध्यक्ष सुनील सिंह ने पत्रिका को बताया कि अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल गोंडा लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस एवं अपना दल की संयुक्त प्रत्याशी होंगी। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के पीलीभीत लोकसभा सीट पर भी अपना दल उम्मीदवार चुनाव लड़ेगा। सूबे की अन्य सीटों पर सत्ता परिवर्तन के लिए चुनाव लड़ रहे कांग्रेस उम्मीदवारों का अपना दल पूरे दमखम से समर्थन एवं सहयोग करेगा।
उन्होंने बताया कि कृष्णा पटेल की नेतृत्व वाली अपना दल ने आगामी लोकसभा में रोजगार, लोकतंत्र एवं बुनियादी सवालों के आधार पर सत्ता परिवर्तन के लिए देश के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है। शीर्ष नेतृत्व की इस फैसले से उत्साहित कार्यकर्ताओं ने रविवार को वाराणसी के मीरापुर बसही स्थित जिला कार्यालय पर आकस्मिक बैठक कर पूरे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस एवं अपना दल के संयुक्त प्रत्याशियों को जिताने के लिए कमर कस कर तैयार होने का दम भरा।
इस मौके पर अद नेताओं ने दावा किया किवाराणसी में अपना दल का मजबूत आधार है। राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल के नेतृत्व में पूर्व के चुनाव में अपना दल ने वाराणसी में कई बड़ी सफलताएं हासिल की है और अपना दल का मजबूत मतदाता वर्ग है, जो केंद्र में सत्ता परिवर्तन की लड़ाई में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के साथ मिलकर काशी में भी मोदी को अप्रत्याशित रूप से कड़ी चुनौती पेश करेगा। कांग्रेस और अपना दल के साथ लड़ने से वाराणसी में मोदी की राह अब काफी कठिन होगी।