scriptBHU के Collegium of Voice Chancellors 2019 में बोले प्रो एडीएन बाजपेयी, कुलपति अपने चरित्र और अनुशासन पर दें ध्यान | Collegium of Voice Chancellors 2019 start in BHU | Patrika News

BHU के Collegium of Voice Chancellors 2019 में बोले प्रो एडीएन बाजपेयी, कुलपति अपने चरित्र और अनुशासन पर दें ध्यान

locationवाराणसीPublished: Jul 18, 2019 08:46:07 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-BHU में कुलपतियों के चार दिवसीय सम्मेलन शुरू -विश्वविद्यालयों में स्नातक स्तर से शुरू हो शोध- प्रो पीबी शर्मा-देश में खोले जाएं नए केंद्रीय विद्यालय- प्रो राकेश भटनागर

Collegium of Voice Chancellors 2019 start in BHU

Collegium of Voice Chancellors 2019 start in BHU

वाराणसी. बीएचयू में गुरुवार को शुरू हुआ चार दिवसीय कुलपति सम्मेलन। इस मौके पर देश भर से आए कुलपतियों ने उद्घाटन सत्र में उच्च शिक्षा में गुणवत्ता निर्धारण’ विषय पर अपने अनुभव साझा किए। केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के पूर्व कुलपति प्रो ए. डी. एन. बाजपेयी ने उच्च शिक्षा की तीन प्रमुख समस्याओं, विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की अनुपयुक्त संख्या, वित्त का अभाव और लॉ एंड ऑर्डर की ओर ध्यान आकर्षित किया। कहा कि देशज ज्ञान को भारतीय विश्वविद्यालयों द्वारा प्रोत्साहित करना चाहिए। अनादि काल से चली आ रही अपनी संस्कृति के अनुसार, भारतीय शिक्षा की रुपरेखा का निर्माण हो। वर्तमान औपचारिक व्ययस्था हमारी मौलिकता और सृजनात्मकता का क्षरण कर रही है। हमारा सारा वांग़मय संस्कृत भाषा में है। अतः हमें संस्कृत भाषा को प्रोत्साहन देना होगा। चरित्र एवं अनुशासन पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि यदि कुलपति स्वयं अपने चरित्र, अपने अनुशासन आदि पर ध्यान दें तो कई समस्याएं स्वतः समाप्त हो जाएंगी।
बता दें कि कुलपतियों का चार दिवसीय सम्मेलन (कोलेजियम ऑफ वॉइस चांसलर्स) केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय नई दिल्ली के पंडित मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा के अंतर्गत काशी हिंदू विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय के स्कूल ऑफ एजूकेशन के तहत गुरुवार विश्वविद्यालय के केंद्रीय कार्यालय के समिति कक्ष में शुरू हुआ। इस मौके पर शिक्षा संकाय के स्कूल ऑफ एजूकेशन की समन्वयक प्रो अंजलि बाजपेयी ने बताया कि पीएमएमएमएनएमटीटी स्कीम के 11 मुख्य तत्व हैं। इनमें से एक है उच्च शिक्षा। उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रबंधन के लिए गहन समझ, ज्ञान एवं दक्षता की आवश्यकता है। इस कार्यक्रम का आयोजन इसी को ध्यान में रखकर किया गया है। इस चारा दिवसीय कार्यक्रम में मुख्यत: उच्च शिक्षा में गुणवत्ता निर्धारण, उच्च शिक्षा संस्थानों का प्रशासन, एवं प्रबंधन, बजटिंग, राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रारुप -2019, विद्यार्थी सहायता प्रणाली, उच्च शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण आदि परा चर्चा की जाएगी।
ये भी पढें-भारत को विश्व गुरु बनाने पर BHU में होगा मंथन, जुटेंगे देश भर के कुलपति

विश्वविद्यालयों में स्नातक स्तर से शुरू हो शोध- प्रो पीबी शर्मा

एमिटी यूनिवर्सिटी, गुड़गांव के कुलपति प्रो पी बी शर्मा ने ‘उच्च शिक्षा में गुणवत्ता निर्धारण’ विषय पर अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि वर्तमान संदर्भ में सिर्फ शिक्षा की बात करना पर्याप्त नहीं है। आज हमें नवीन ज्ञान के निर्माण एवं उनके शोध में रुपांतरण पर चिंतन करना है। शोध के साथ-साथ शोध एवं विकास पर बात भी हमें करनी होगी। इसके लिए हमें विश्वविद्यालयों में शोध को स्नातक स्तर से शुरु करना होगा। हमें इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि ज्ञान को समग्र रुप में प्रस्तुत किया जाय न कि भौतिकि, रसायन शास्त्र आदि अलग-अलग विषयों में। शिक्षा सिर्फ जानना ही नहीं है बल्कि यह कर के सीखना एवं समरसता के साथ रहना जैसे भावनाओं को विकसित करना है।
Collegium of Voice Chancellors 2019 start in BHU
अमेरिका के अपोले स्किल सेंटर की तर्ज पर भारत में भी स्किल सेंटर खुले- प्रो राकेश भटनागर

कुलपति बीएचयू प्रो राकेश भटनागर ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि मालवीय जी ने पहले जिस प्रकार के विश्वविद्यालय की कल्पना की थी वो आज भी प्रासंगिक है। जहां तक शिक्षा नीति की बात है तो देश में कई सारी शिक्षा नीति के अच्छे प्रतिवेदन हैं लेकिन उनका अनुप्रयोग नहीं हो पाया है। हमारी प्राथमिक शिक्षा ब्रिटिश काल से पूर्व अच्छी थी। हमारे शिक्षक हमें भाषा, गणित आदि की अच्छी शिक्षा देते थे। लेकिन वर्तमान में ऐसी स्थिति नहीं है। सरकारी विद्यालयों में अच्छी शिक्षा नहीं दी जा रही है। ये शिक्षा महंगी नहीं है और न ही हमारे पास वित्तीय संसाधन की कमी है। कमी है तो सिर्फ इच्छा शक्ति की। केंद्रीय विद्यालय अच्छा कर रहे हैं लेकिन इनकी संख्या अपर्याप्त है। अतः नए विद्यालयों की स्थापना की आवश्यकता है। इसके साथ ही शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 को कठोरता के साथ लागू किया जाना चाहिए। उच्च शिक्षा को तीन समूहों में बांटकर सशुल्क करने की बात कही। संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित ‘अपोलो स्किल सेंटर’ का उदाहरण देते हुए उन्होंने भारत में भी स्किल सेंटर खोले जाने पर बल दिया ताकि वे लोग जो उच्च शिक्षा के प्रति आकर्षित न हो, बल्कि स्किल डेवलपमेंट के जरिए स्तरीय जीवन-यापन कर सके।
समस्याओं के समाधान का प्रयास भी हो
शोध एवं उच्चा शिक्षा पर बात करते हुए कहा कि हमें आत्मावलोकन करने की ज़रुरत है। प्रकाशन, शोध के लिए अनिवार्य नहीं होना चाहिए। शोध कार्य ऐसे होने चाहिए जो समाज एवं राष्ट्र की ज़रुरतों को पूरा करा सके। उन्होंने नवाचार पर बल देते हुए कहा कि किसी भी देश का विकास तभी संभव है जब वहां नवाचार को स्थान दिया जाय और नवाचार सिर्फ विश्वविद्यालय में ही संभव है। देश में बहुत सारी समस्याएं हैं लेकिन हम सिर्फ उनके विषय में बात करते हैं, उन्हें दूर करने के प्रयास नहीं करते हैं। उदाहरणस्वरूप उन्होंने कहा कि हम सिर्फ गंगा के प्रदूषण की बात करते हैं, लेकिन उसे प्रदूषण मुक्त करने के लिए प्रयास नही करते हैं। विश्वविद्यालय को ‘इंस्टीट्युशन ऑफ एक्सिलेंस’ का दर्जा दिया गया है। इसको सार्थक करने के लिए हमें अपने विद्यार्थियों को अभिप्रेरित करना होगा और यह तभी संभव है जब हम अपने व्यवहार द्वारा उनके समक्ष उदाहरण अभिप्रेरित करें। उन्होंने कहा कि हम रोज विश्वविद्यालय में आते हैं और मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हैं लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। हमें इस बात पर भी चिंता करनी होगी कि क्या हम उनके विचारों का अनुगमन कर रहें हैं। यदि नहीं तो इसकी शुरुआत होनी चाहिए ताकि हम इस विश्वविद्यालय को श्रेष्ठतम संस्थान के रुप में परिवर्तित कर सके।
शोध की गुणवत्ता पर दिया जाए ध्यान- प्रो शुक्ला

बीएचयू के प्रॉक्टर प्रो वी के शुक्ला ने शोधकार्य की गुणवत्ता पर महत्व देते हुए कहा कि हमारे शोध कार्य ऐसे होने चाहिए जिनसे समाज एवं देश का हित सिद्ध हो सके।
ये भी पढें-देश के सैकड़ों स्कूल-कॉलेज, यूनिवर्सिटी बंद करने की तैयारी में सरकार

Collegium of Voice Chancellors 2019 start in BHU
इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत कुलपति प्रो राकेश भटनागर, पूर्व कुलपति बीएचयू प्रो वाइ सी. सिमाद्रि, शित्रा संकाय प्रमुख प्रो आर पी शुक्ला, केंद्रीय विश्वविद्लाय हिमांचल प्रदेश प्रो ए. डी. एन. बाजपेयी, पूर्व कुलपति एमिटी विश्वविद्यालय, गुड़गांव प्रो पी बी शर्मा, कुलपति ने मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इसके बाद मंच कला संकाय की प्रो रेवती साकलकर ने मंगलाचरण और कुलगीत प्रस्तुत किया। अतिथियों का स्वागत शिक्षा संकाय के डीन प्रो आर पी शुक्ल ने किया। स्कूल ऑफ एजूकेशन की समन्वयक प्रो अंजलि बाजपेयी ने विषय स्थापना की।
ये रहे मौजूद
इस मौके पर विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुल 14 कुलपतियों एवं पूर्व कुलपतियों यथा प्रो वाइ सी सिमाद्री, प्रो बी एस परासर, प्रो जी सी आर जयसवाल, प्रो डी दुरैया, प्रो दिलिप चंद्र नाथ, प्रो राम मोहन पाठक, प्रो आर पी दास, प्रो ए डी एन बाजपेयी, प्रो पी बी शर्मा ने सहभागिता की। निदेशक, आइइएसडी, काशी हिंदू विश्वविद्यालय निदेशक, कृषि विज्ञान संस्थान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, निदेशक, विज्ञान संस्थान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, अध्यक्ष, पुरातन छात्र प्रकोष्ठ, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, प्रो सुशीला सिंह, प्रो अ‍लका सिंह, प्राचार्य वंसता कॉलेज फॉर वूमेंस, राजघाट, डॉ नीरु बहल, प्राचार्य, सेंट्रल हिंदू ब्वायस स्कूल, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, डॉ. आभा अग्रवाल, प्राचार्य एवं सेंट्रल हिंदू गर्ल्स स्कूल, प्रो एस. के माथुर, एम एस, सर सुंदरलाल चिकित्सालय, प्रो0 आशाराम त्रिपाठी, निदेशक, मानवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र, प्रो आर एस दूबे, स्कूल बोर्ड, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, डॉ ग़िरीश कुमार तिवारी आदि मौजूद रहे। संचालन शिक्षा संकाय के स्कूल ऑफ एजूकेशन की समन्वयक प्रो अंजलि बाजपेयी ने किया। शिक्षा संकाय के स्कूल ऑफ एजुकेशन की समन्वयक प्रो सीमा सिंह ने आभार जताया।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो