पावर कारपोरेशन के वाणिज्य निदेशक ने निर्देश जारी कर कहा है कि घरेलू बिजली कनेक्शन से घर में ही खोली गई दुकान में बिजली का उपयोग करने की सूरत में उपभोक्ता से वाणिज्यिक चार्ज लिया जाएगा उसके खिलाफ बिजली चोरी के मामले में मुकदमा दर्ज नहीं होगा। अब तक विद्युत अधिनियम-2003 के तहत यह अपराध माना जाता रहा है। अधियनियम के तहत वो सभी उपभोक्ता बिजली चोरी के आरोपी माने जाते रहे जिन्होंने अपने घर में दुकान में घरेलू बिजली कनेक्शन जोड़ रखा था। इसका काफी विरोध हुआ। उसके बाद विद्युत नियामक आयोग ने नियम बनाया कि पांच किलो वाट तक के घरेलू कनेक्शनों का मीटर अगर सही है तो मकान के किसी हिस्से में खोली गई दुकान में घरेलू कनेक्शन का उपयोग किया जा सकता है। इसे बिजली चोरी नहीं माना जाएगा। अब नई व्यवस्था के तहत ऐसे उपभोक्ताओं के साथ विद्युत अधिनियम-2003 के अंतर्गत धारा-126 के तहत असेसमेंट की कार्रवाई होगी।
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक गोविंद राजू ने पूर्वांचल के सभी अधिशासी अभियंता को निर्देश जारी किया है कि यदि कोई उपभोक्ता अपने मकान के किसी हिस्से में बिजली का वाणिज्यिक उपयोग कर रहा है तो उसके खिलाफ बिजली चोरी का मामला नहीं बनता। उन्होंने कहा है कि ऐसे उपभोक्ता पर अनाधिकृत बिजली उपयोग का मामला बनेगा। ऐसे में उपभोक्ता से वाणिज्यिक चार्ज लिया जाएगा। प्रबंध निदेशक ने सभी अधिशासी अभियंताओं से कहा है कि बिजली चोरी की जांच के दौरान इसका खयाल रखा जाए।
बता दें कि उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद ने भी यह प्रकरण उठाया था। कहा था कि कानून में बदलाव के आठ साल बाद भी बिजली विभाग के कुछ अभियंता और विजलेंस टीम छोटे उपभोक्ताओं पर बिजली चोरी का मुकदमा दर्ज करा करा रहे हैं जो गलत है। उसके बाद ही ऊर्जा मंत्री ने आदेश जारी कर ऐसे उपभोक्ताओं को परेशान न करने का निर्देश दिया है।
” बिजली उपभोक्ताओं के लिए राहत की खबर है। पहले जो बिजली उपोभोक्ता अपने घर के किसी एक कमरे में कोई दुकान आदि खोल लेते थे। विभागीय जांच के दौरान पकड़े जाने पर ऐसे लोगों के विरुद्ध विद्युत अधिनियम 2003 के तहत बिजली चोरी का मुकदमा दर्ज होता था। पुलिस केस बनता था। अब उसमें यह राहत दी गई है कि ऐसे उपभोक्ता के विरुद्ध विभागीय टीम या विजलेंस टीम मुकदमा नहीं दर्ज कराएगी। लेकिन ऐसे उपभोक्ताओं के बिजल कनेक्शन का असेसमेंट होगा। उपभोक्ता का घर का कनेक्शन घरेलू से बदल कर वाणिज्यिक कर दिया जाएगा। साथ ही पकडे जाने के दिन तक जमा बिद्युत बिल की राशि को निकाल कर वाणिज्यिक दर से वसूली होगी। हालांकि इसमें भी उपभोक्ता को फाययदा ही होगा, पहले बिजली चोरी में पकड़े जाने पर उपभोक्ता को जुर्माने के तौर पर ढाई लाख रुपये तक देना पड़ता था, चोरी का मामला अलग से बनता था। अब असेसमेंट के बाद भी तकरीबन 50 हजार रुपये तक ही देना होगा। पुलिस थाने की दौड़-भाग से मुक्ति मिलेगी सो अलग, सामाजिक बदनामी से भी बचेगा। राकेश सिन्हा, प्रवक्ता, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम, वाराणसी