जानकारों ने बताया कि नगर निगम वाराणसी मे निर्माण कार्य संबंधित टेंडर की वर्षों से एक परंपरा चली आ रही है। सभी ठेकेदार एक राय होकर 15 फीसद बिलो का टेंडर डालते है फिर लाटरी की प्रक्रिया अपनाई जाती है। लाटरी से ही टेंडर खुलता है। यानी नगर निगम वाराणसी मे वर्षों से सिर्फ और सिर्फ लाटरी द्वारा ही टेंडर खोला जा रहा है। सूत्र कहते हैं कि जब लाटरी से ही टेंडर खोला जाना है तो 15 फीसद बिलो टेंडर डालने का औचित्य क्या है? आगणन (स्टीमेट) दर पर टेंडर डाला जाय और लाटरी से टेंडर खोल दिया जाय।
जानकार बताते हैं कि 15 फीसद बिलो पर लाटरी से टेंडर खोले जाने से कार्य की गुणवत्ता प्रभावित हो जाने के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी मे कार्य दिखाई नही दे रहा है तथा टेंडर की गोपनीयता और सरकार की मंशा पर भी प्रश्नचिह्न लग रहा है। यह प्रक्रिया नगर निगम वाराणसी मे व्याप्त व्यापक भ्रष्टाचार का द्योतक भी है।
वो बताते हैं कि इस प्रक्रिया के बाद जब ठेकेदार शहर के विभिन्न इलाकों में होने वाला कार्य बेहद घटिया किस्म का होता है। इस बाबत कुछ ठेकेदार ही बताते हैं कि 15 फीसद बिलो टेंडर के बाद 15 फीसद कमीशन और जीएसटी के बाद हम लोगो का 40 फीसद धन बट जाता है। ऐसे में 60 फीसद धन मे कार्य कराना और अपना मुनाफा रखना है। ऐसे में कैसे रखा जाए गुणवत्ता पर ध्यान फिर भी जितना हो सकता है किया जाता है।
उधर नगर निगम सूत्र बताते हैं कि ठेकेदार चाहे जितना भी घटिया काम करे यदि उसकी शिकायत की जाती है तो नगर निगम प्रशासन संतोषजनक रिपोर्ट लगा देता है। इस प्रकार कोई सुनवाई नही होती है।
इस संबंध में कांग्रेस पार्षद व कार्यकारिणी सदस्य रमजान अली ने प्रधानमंत्री, राज्यपाल उत्तर प्रदेश और मुख्यमंत्री को पत्र भेज कर मांग की है कि सभी ठेकेदारो द्वारा 15 फीसद बिलो टेंडर डालने की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जाए। इस संबंध में नगर निगम प्रशासन को फौरन निर्देश जारी किया जाए।
रमजान कहते हैं कि मेरा अनुरोध है कि पिछले दो वर्षो में नगर निगम ने जो भी विकास कार्य कराए हैं उनकी जांच कराई जाए। पड़ताल की सूरत में दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। उन्होंने पत्रिका से बातचीत में आशंका जताई कि अगर नगर निगम की टेंडर प्रक्रिया में बदलाव नहीं होता तो लोक निर्माण विभाग जैसी स्थिति नगर निगम वाराणसी मे भी हो सकती है।