बता दें कि बनारस नगर निगम के 90 वार्डों में दर्जन भर से ज्यादा बागी उम्मीदवार मैदान में हैं। यहां तक कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सदस्य, पूर्व पार्षद व वरिष्ठ महिला नेता नीलम खान जो वार्ड नंबर 46 से पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी हैं वहां उनके विरुद्ध महानगर कांग्रेस कमेटी की सचिव महजबीं बागी उम्मीदवार के रूप में पार्टी को डैमेज कर रही हैं। इस मसले पर जब पत्रिका ने नीलम से बात की तो उनका गुस्सा खुल कर सामने आ गया। उन्होंने पत्रिका से बातचीत में कहा कि मैं तो दंग हूं कि पार्टी ने जब मुझे टिकट दिया तो महजबीं को चुनाव मैदान में नहीं उतरना चाहिए था। लेकिन वह निर्दल प्रत्याशी के रूप में मैदान में डटी है। इसकी शिकायत मैने पार्टी फोरम पर की भी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि पार्टी ने एक तरफ रामनगर पालिका परिषद की दो बार की विजेता रेखा शर्मा जो टिकट की प्रबलतम दावेदार थीं उनका टिकट काट दिया और जब वह निर्दल मैदान में आईं तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। लेकिन वैसी ही कार्रवाई अन्य लोगों के खिलाफ नहीं की जा रही है। यह तो दो तरफा रुख समझ से बाहर है। कहा कि ऐसे बागियों पर भी रेखा शर्मा जैसी कार्रवाई होनी चाहिए थी लेकिन उन्हें उनके पद तक से नहीं हटाया गया। नीलम ने कहा कि यह वही महजबीं हैं जो पहले भी इसी वार्ड से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं तब तो मैं कांग्रेसी होने के नाते उनके साथ थी, आज जब पार्ट ने मुझे प्रत्याशी बनाया तो वह वोट काटने के लिए मैदान में उतर आईं। उन्होंने आशंका जताई कि ऐसा कुछ लोगों ने जानबूझ कर कराया है ऐसा लगता है। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष डॉ राजेश मिश्रा और महानगर अध्यक्ष सीता राम केशरी से ऐसे बागियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
उधर वार्ड नंबर 62 लक्सा वार्ड से कांग्रेस प्रत्याशी पवन मौर्या के खिलाफ रोहित चौरसिया मैदान में हैं। बता दें कि जिला चुनाव संचालन समिति ने जब 29 अक्टूबर को 37 प्रत्याशियों की सूची जारी की थी तो उस सूची में पवन मौर्या का नाम था लक्सा वार्ड से। लेकिन बाद में प्रदेश कांग्रेस कमेटी से स्वीकृत सूची में रोहिता की जगह पवन मौर्या का नाम दर्ज हो कर आया। उन्हें पार्टी ने सिंबल दिया। अब पवन ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि मै तो अपने दम पर चुनाव में डटा हूं। यह तो पार्टी के पदाधिकारियों को देखना चाहिए कि कहां कौन बागी मैदान में डटा है और पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी को कितना नुकसान पहुंचा रहा है। उन्होंने कहा कि मैने जिला चुनाव संचालन समिति के सदस्य व कैंट विधानसभा के प्रत्याशी रहे अनिल श्रीवास्तव से इस बाबत कहा भी था लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
वैसे रेखा शर्मा के निष्कासन और अन्य बागियों को चुनाव लड़ने की खुली छूट देने के जिला व महानगर कांग्रेस पदाधिकारियों की नीति पर कांग्रेस के आम नेताओं और कार्यकर्ताओं में रोष है। वो खुल कर भले सामने न आएं पर दबी जुबान वो यह कहने से नहीं चूक रहे कि पार्टी ने रेखा शर्मा के मामले में तो त्वरित कार्रवाई की पर भुवनेश्वर द्विवेदी, शंभु नाथ बाटुल, राम प्रकाश ओझा, विकास तिवारी के बारे में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। ये सभी बागी रहे। यहां तक इन्होंने विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी अनिल श्रीवास्तव के खिलाफ मोर्चा खोला था, चुनाव लड़े थे तब उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए थी। उल्टे विकास तिवारी और शंभुनाथ बाटुल के पार्षद का टिकट भी दे दिया गया। विकास तिवारी तो बीच में पार्टी छोड़ कर
आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर लिए थे लेकिन न तब उन्हें पार्टी से निकाला गया न अब। क्या यही न्याय है। इस मुद्दे पर आम कांग्रेसियों में उबाल है जो कहीं न कहीं पार्टी को ही नुकसान पहुंचा रहा है।