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पूर्वांचल की इन 05 सीटों पर कांग्रेस में प्रत्याशी चयन को लेकर कड़ी जद्दोजहद

locationवाराणसीPublished: Apr 04, 2019 01:16:42 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

पूर्वाचल प्रभारी प्रियंका गांधी की बढ़ी चुनौती…..

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी

वाराणसी. दिल्ली सी सत्ता पर काबिज होने की तैयारी में जुटी कांग्रेस के लिए जिताऊ प्रत्याशी चयन का मसला काफी जद्दोजहद वाला हो गया है। खास तौर पर पूर्वांचल की सीटो को लेकर। वजह साफ है, यहां से सीधे तौर पर गांधी परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर है क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ट्रम कार्ड के रूप में अपनी छोटी बहन प्रियंका गांधी को पूर्वांचल का प्रभारी नियुक्त किया है। प्रियंका अपनी तरफ से पूरी कोशिश में हैं। लगातार दौरे कर रही हैं। लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत है कि पूर्वांचल की 05 संसदीय सीटों के लिए पार्टी को प्रत्याशी का चयन। इसमें तीन प्रमुख सीटें हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी सीट, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह नगर गोरखपुर और कांग्रेस की परंपरागत इलाहाबाद सीट। इसके अलावा भदोही और जौनपुर में भी पार्टी की अभी तक जिताऊ प्रत्याशी की तलाश जारी है।
वाराणसी

बात करें अगर वाराणसी की तो यहां से पिछली बार यानी 2014 में कांग्रेस के टिकट पर अजय राय, भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के खिलाफ मैदान में थे, जिन्हें तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था। राय को 75614 (4.28 प्रतिशत मत) मिले थे, जबकि मोदी ने 581022 (32.89 प्रतिशत) मत हासिल कर चुनाव जीता था। दूसरे नंबर पर थे आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल जिन्हें 209238 (11.85 प्रतिशत) मत मिला था। अब अगर बात की जाए 2019 के दावेदारों की तो जिला कांग्रेस की ओर से जो नाम प्रदेश चुनाव संचालन समिति को भेजा गया है उसमें अजय राय प्रमुख हैं। इनके अलवा पूर्व सांसद डॉ राजेश मिश्र भी दावेदारी ठोंक रहे हैं। डॉ मिश्र 2004 में भाजपा सांसद शंकर प्रसाद जायसवाल को हरा कर सांसद बने थे। लेकिन 2009 के चुनाव में वह भाजपा के डॉ मुरली मनोहर जोशी, बसपा के मोख्तार अंसारी और सपा के अजय राय के बाद चौथे नंबर पर थे और उन्हें महज 66386 (4.25 प्रतिशत मत) मिले थे। यहीं जिला कांग्रेस ने पार्टी की महासचिव व पूर्वी उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी को बनारस से चुनाव लड़ने के लिए भी सर्वसम्मत प्रस्ताव भेजा है। प्रियंका अमेठी और रायबरेली के दौरे पर जनता से पूछ भी चुकी हैं कि क्या बनारस से लड़ जाऊं? कांग्रेस के अंदरखाने में प्रियंका का नाम एक नंबर पर चल रहा है। इनके अलावा कांग्रेस संकट मोचन मंदिर के महंत व आईआईटी बीएचयू के प्रोफेसर विश्वभर नाथ मिश्र के भी संपर्क में है। लेकिन अभी तक किसी नाम पर सहमति नहीं बन पाई है। कांग्रेस बनारस से मोदी के खिलाफ साझा उम्मीदवार उतराने की रणनीति पर भी काम कर रही है।
गोरखपुर

बात गोरखपुर की की जाय तो यह सीट 2014 तक प्रमुख रूप से गोरक्षनाथ मंदिर की सीट बन चुकी थी। यहां से योगी आदित्यनाथ पांच बार सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ भी तीन बार सासंद रहे। इस सीट से कांग्रेस ने अंतिम बार 1984 में चुनाव जीता था। अब बदली हुई परिस्थिति में योगी आदित्यनाथ यूपी के सीएम बन गए है। उनके त्याग पत्र देने के बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी यह सीट गंवा चुकी है। जहां तक कांग्रेस की बात है तो यहां से सुरिता करीम, राकेश यादव के अलावा अखिलेश शुक्ला ने दावेदारी ठोंकी है। इनके अलावा 1977 व 1980 में सांसद रह चुके हरिकेश बहादुर भी प्रबल दावेदार हैं। लेकिन उन्हें इंतजार है बीजेपी के पत्ते खोलने का। यहां से अभी तक सपा ने राम भुवाल निषाद को उम्मीदवार घोषित किया है। उपचुनाव में सपा के टिकट पर प्रवीण निषाद चुनाव जीते थे जो अब बीजेपी में शामिल हो गए हैं। ऐसे में उन्हें भी टिकट मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। कुल मिला कर कांग्रेस से हरिकेष को छोड़ को दूसरा कोई दमदार नाम नहीं है।
इलाहाबाद

इलाहाबाद की बात करें तो यहां से पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री का नाम प्रमुखता से चर्चा में है। वैसे चुनावी अड़ियों पर तो फिल्म स्टार संजय दत्त का नाम भी लिया जा रहा है लेकिन वह हकीकत से दूर है। बता दें कि अनिल शास्त्री 1989 में जनता दल के टिकट पर वाराणसी से सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा 1957 और 1967 में देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री यहां से सांसद चुने गए थे। 1957 में शास्त्री जी को इलाहाबाद से 1,24896 और 1962 में 1,37324 वोट के साथ जनता ने संसद में भेजा था। उनकी मृत्यु के बाद उनके बड़े बेटे हरी किशन शास्त्री 1967 में इलाहाबाद सीट से सांसद हुए हरिकिशन शास्त्री को 114131 वोट मिले। ऐसे में अनिल शास्त्री अपनी पारिवारिक पारंपरिक सीट पर एक बार फिर से ताल ठोंकने को तैयार हैं। इलाहाबाद सीट से सपा खेमे से माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव रहे वासुदेव यादव जो वर्तमान में एमएलसी हैं का नाम लिया जा रहा है। उधर भाजपा ने प्रदेश की पर्यटन मंत्री डॉ रीता बहुगुणा जोशी के नाम का ऐलान कर दिया है।
जौनपुर

कांग्रेस की सबसे खराब स्थिति जौनपुर और भदोही में है। जौनपुर में नदीम जावेद का नाम शीर्ष पर चल रहा है। वह जौनपुर सदर से 2012 में विधायक भी रह चुके हैं। इनके अलावा फैसल हसन और सिराज मेंहदी के नाम की भी चर्चा है। 2014 में कांग्रेस ने भोजपुरी फिल्म स्टार रविकिशन को मैदान में उतारा था लेकिन वह बीजेपी प्रत्याशी डॉ केपी सिंह से बुरी तरह से हार गए थे। फिलहाल जौनपुर सीट से कांग्रेस को प्रत्याशी तय करना बड़ी चुनौती है। वैसे बताया जा रहा है कि कांग्रेस जौनपुर से अति पिछड़ा (अन्य पिछड़ा) को खोज रही है।
भदोही

यही हाल भदोही का है, वहां भी कांग्रेस को प्रत्याशी नहीं मिल रहा है। यहां से जिला अध्यक्ष और कट्टर कांग्रेसी परिवार श्यामधर मिश्र की बहू नीलम मिश्रा ने दावेदारी प्रस्तुत की है। नीलम पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ निर्मल खत्री की समधिन भी हैं। इनके अलावा जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष राजेश दुबे, कालीन व्यवसायी वीरेंद्र पांडेय का नाम चर्चाओं में है। उधर सपा-बसपा गठबंधन से यहां बसपा ने प्रदेश के पूर्व माध्यमिक शिक्षा मंत्री रंगनाथ मिश्र को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। भाजपा में उठापटक चरम पर है। यहां से सासंद रहे वीरेंद्र सिंह मस्त को बलिया से टिकट दे दिया गया है। उसके बाद से पार्टी को प्रत्याशी की तलाश है। यहां से पार्टी ब्राह्मण या मछुआरा वर्ग से प्रत्याशी बनाने पर विचार कर रही है।

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