पाठक ने कहा कि ये बनारस के सांसद हैं लेकिन बनारस की किसी एक समस्या पर इन्होंने पांच साल में कभी ध्या नहीं दिया। ये वही सांसद हैं कि जब बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की छात्राएं अपनी इज्जत के लिए धरना दे रही थीं तब वे रास्ता मोड़ कर चले गए। अभी हाल ही में इन्हीं की नीतियों के चलते फांकाकशी की नौबत आऩे पर एक व्यक्ति ने अपनी तीन-तीन बच्चियों के साथ आत्महत्या कर ली। इनके नोटबंदी और जीएसटी के पेंचीदा नियमों के चक्कर में वह व्यापारी गहरे कर्ज में डूब गया। नतीजतन उसे आत्महत्या करना पडा।
ऐसे में अब बनारस को स्थानीय सांसद चाहिए, क्योंकि बाहरी जनप्रतिनिधि का क्या, वह कब तक रहेगा। कब झोला उठा कर चल देगा। स्थानीय होगा तो वह यहां की समस्या को समझेगा, लोगों की मदद को आगे आएगा। जैसे अजय राय हमेशा लोगों की मदद के लिए खड़े रहते हैं। इस मौके पर उन्होंने कांग्रेस और वारणसी के लिए अलग से विजन डाक्यूमेंट भी जारी किया।
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