हालांकि चुनाव से पहले राहुल गांधी और प्रियंका गांधी लगातार यह कहते रहे कि हम कहीं भी गठबंधन को नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं। जहां भी गठबंधन के जीतने की उम्मीद वहां हमने कमजोर उम्मीदवार उतारे हैं। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
चुनाव के सारे परिणाम आने के बाद नतीजे ये साबित कर रहे हैं कि साझा गठबंधन का कांसेप्ट कहीं ज्यादा असरकारक था। यहां जान लें कि यूपी की 80 सीटों में से बीजेपी 62 और उसके सहयोगी अपना दल को 02 सीट मिली है। वहीं सपा-बसपा गठबंधन महज 15 सीट तक सिमट गई है। वहीं कांग्रेस 2014 से भी नीचे गिरी और मात्र सोनिया गांधी की सीट ही बचा पाई।
राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि गठबंधन और कांग्रेस के अलग-अलग लड़ने से उन सीटों पर प्रभाव पड़ा जहां उनके जीतने के आसार ज्यादा थे। अगर कांग्रेस का साथ मिलता तो गठबंधन को कम से कम पांच सीटों पर बढ़त हासिल होती।
पूर्वांचल की बात करें तो संतकबीर नगर से बीजेपी के प्रवीन कुमार निषाद ने बसपा के भीष्म शंकर को 35,749 वोटों से हराया। यहां से निषाद को 4,67,543 (43.97 प्रतिशत) जबकि भीष्म शंकर को 4,31,794 (40.61 प्रतिशत) वोट मिले। यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार भाल चंद्र यादव को 1,28,506 (12.08 प्रतिशत) वोट मिले। यहां गठबंधन और कांग्रेस के उम्मीदवार का संयुक्त वोट प्रतिशत 52.69 प्रतिशत रहा।
पूर्वांचल की एक अन्य चर्चित सीट सुल्तानपुर की बात करें तो यहां से केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी का मुकाबला बीएसपी के चंद्र भद्र सिंह से था। मेनका गांधी को 4,49,196 (45.918 प्रतिशत), चंद्र भद्र सिंह को 4,44,670 (44.45 प्रतिशत) जबकि संजय सिंह को 41,681 (4.17 प्रतिशत) वोट मिले. यानी गठबंधन और कांग्रेस का संयुक्त वोट प्रतिशत 48.62 प्रतिशत रहा। यहां जीत का अंतर 14,526 था जबकि यहां के कांग्रेस उम्मीदवार संजय सिंह को 41,681 वोट मिले।
बलिया से बीजेपी के हरीश द्विवेदी ने क़रीबी मुकाबले में बसपा के राम प्रसाद चौधरी को 30,354 वोटों से हराया। द्विवेदी को 4,71,162 (44.68 प्रतिशथ), चौधरी को 4,40,808 (41.88 प्रतिशथ) वोट मिले. जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार राज किशोर सिंह को 86,9,20 (8.24 प्रतिशत) वोट मिले। यहां महागठबंधन और कांग्रेस का संयुक्त वोट प्रतिशत 50.12 रहा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र से सटी चंदौली सीट पर गठबंधन का खेल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने बिगाड़ा। यहां से बीजेपी के महेंद्रनाथ पांडे को 5,10,733 (47.07 प्रतिशत) और समाजवादी पार्टी के संजय सिंह चौहान को 4,96774 (45.79 प्रतिशत) वोट मिले, जबकि सुहेलदेव पार्टी के रामगोविंद को 18,985 (1.75 प्रतिशत) वोट मिले। अगर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का साथ मिलता तो ये सीट गठबंधन की होती।
उधर सबसे कम अंतर मछलीशहर था जहां बीजेपी के भोलानाथ ने बसपा के त्रिभुवन राम को 181 वोटों के अंतर से हराया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मेरठ सीट है, जहां से बीजेपी के राजेंद्र अग्रवाल ने बसपा उम्मीदवार हाजी ममोहम्मद याक़ूब को 4,729 वोटों से हराया। राजेंद्र अग्रवाल को 5,86,184 (48.19प्रतिशत) जबकि हाजी याक़ूब को 5,81,455 (47.8 प्रतिशत) वोट मिले। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार हरेंद्र अग्रवाल को 34,479 (2.83 प्रतिशत) वोट मिले। यानी कांग्रेस समेत गठबंधन का वोट प्रतिशत 50 प्रतिशत से अधिक था।
बदायूं सीट का हाल भी यही रहा यहां बीजेपी के संघमित्रा मौर्य को 5,11,352 (47.38 प्रतिशत), समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र को 4,92,898 (45.59 प्रतिशत) और कांग्रेस के उम्मीदवार सलीम इक़बाल शेरवानी को 51947 (4.88 प्रतिशत) वोट मिले। जीत का अंतर 18,454 रहा जबकि महागठबंधन और कांग्रेस का संयुक्त वोट प्रतिशत 50.47 रहा।
एक और दिलचस्प मुकाबला फ़िरोज़ाबाद का रहा जहां से बीजेपी के चंद्र सेन जादोन ने समाजवादी पार्टी के यादव परिवार के एक और बड़े नाम अक्षय यादव को 28,781 वोटों से हराया। जादोन को 495819 (46.09 प्रतिशत), अक्षय यादव को 467038 (43.41 प्रतिशत) वोट मिले। यहां से अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव को 91869 (8.54 प्रतिशत) वोट मिले। चुनाव से ठीक पहले पारिवारिक कलह के बाद शिवपाल सिंह ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाई और इसी के टिकट से वो फ़िरोज़ाबाद से खड़े थे।
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