वाराणसी

लोकसभा चुनाव 2019- ध्रुवीकरण रोकने को सॉफ्ट हिंदू कार्ड खेलेगी कांग्रेस, अदर बैकवर्ड्स पर भी ध्यान

मंदिरों में दर्शन पूजन का बढेगा क्रम। प्रियंका के इलाहाबाद-वाराणसी कार्यक्रम में भी इसकी झलक।

वाराणसीMar 16, 2019 / 01:31 pm

Ajay Chaturvedi

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी

डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी
वाराणसी. गुजरात से शुरू तथा मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ से मिली सफतला के बाद कांग्रेस ने उसी रणनीति को लोकसभा चुनाव में अमल में लाने की रणनीति बना ली है। यानी सॉफ्ट हिंदू कार्ड। कांग्रेस ने लगभग क्लीयर कर दिया है कि वह पूर्व की तरह अल्पसंख्यकों के मामले पर रिजिड नहीं होगी। दूसरे कांग्रेस अदर बैकवर्ड्स, अति पिछड़े, दलित और जनजाति समाज के लोगों की घरवापसी की भी कोशिश करेगी। साथ ही अपने पुराने लोगों से तादात्म्य भी बिठाएगी।
तटस्थता की रणनीति
अब कांग्रेस की रणनीति है कि वह तटस्थ हो कर चुनाव में उतरेगी। अल्पसंख्यक मुद्दों पर बहुत ज्यादा जोर नहीं देगी। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट इस बार चुनावी एजेंडे से बाहर हो सकता है। इस तरह के अन्य मुद्दों पर भी चुप्पी साधी जा सकती है। इसके पीछे वजह साफ है कि कांग्रेस नहीं चाहती कि देश में संप्रदायिक माहौल बने और उसके आधार पर मतों का ध्रुवीकरण हो। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अगर कांग्रेस तटस्थ भाव से चुनाव में उतरती है तो ही उसे फायदा भी होगा।
इंदिरा गांधी की राह पर
राजनीतिक विश्लेषक बताते है कि अगर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को ज्यादा से ज्यादा मंदिरों में जाना पड़े, देवी-देवताओं के दर्शन-पूजन करने पड़े तो भी वो इससे गुरेज नहीं करेंगे। वो कहते हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी ने मिल कर दादी इंदिरा गांदी की स्टेटजी को अपनाया है। इंदिरा गांधी भी मंदिरों में जाने, अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों के बीच जाने, उनके साथ लोक नृत्य आदि में भाग लेने से गुरेज नहीं रखती थीं। इसका उन्हें लाभ भी मिला। इंदिरा गांधी के रहते दलित, पिछड़ा और अति पिछड़ा तथा आदिवासी वोटबैंक कभी नहीं खिसका।
गुजरात में 28 मंदिरों में गए थे राहुल गांधी
अब अगर राहुल गांधी की बात करें तो उन्होंने गुजरात विधानसभा चुनाव में ही 28 मंदिरों में जा कर दर्शन-पूजन किया था। वहीं उन्होंने जनेऊ भी दिखाया था। अब यह सब बढ़ेगा। अगर बात करें प्रियंका गांधी की तो उन्हें तो इंदिरा गांधी की फोटो कॉपी माना ही जाता है। कहा ही जाता है कि वह पूरी तरह से दादी के ही नक्शे-कदम पर चलती हैं।
पहले ही दौरे में प्रियंका का जोर मंदिरों में दर्शन-पूजन पर
कांग्रेस की महासचिव व पूर्वी यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी के कार्यक्रम पर गौर फरमाएं तो वह अपने तीन दिवसीय दौरे के दौरान 18 को प्रयागराज पहुंच रही हैं। इस दौरान वह प्रयागराज पहुंचेंगी, सुबह संगम दर्शन के बाद वह कार से छतनाग से स्टीमर पर सवार होंगी और दुमदुमा पहुंचेंगी। यहां पर 25 मिनट रुकने के बाद स्टीमर से ही सिरसा रवाना होंगी और यहां पर दर्शन, पदयात्रा, शिव मंदिर में दर्शन का प्रोग्राम है। प्रियंका भदोही के सीतामणी जाएंगी और स्थानीय क्षेत्रों का भ्रमण करेंगी। सीतामणी से प्रियंका फिर स्टीमर पर सवार होंगी और रामपुर घाट जाएंगी। यहां पर स्वागत कार्यक्रम के बाद वह विंध्याचल पहुंचेंगी और यहां के गेस्ट हाउस में वह कालीन बुनकरों व वकीलों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करेंगी। रात में वह मंदिर में दर्शन भी करेंगी। 19 मार्च को सुबह 10 बजे वह विंध्याचल से कंतित में मौलाना इस्माइल चिश्ती की मजार पर दर्शन करेंगी और यहां से विंध्याचल घाट, पक्का घाट, कचेहरी घाट, भटौली, चंद्रिका देवी मंदिर में दर्शन करेंगी और गांवों के भ्रमण के साथ वकीलों से बात भी करेंगी। दोपहर ढाई बजे वह चंद्रिका देवी मंदिर से देवरी की ओर स्टीमर से प्रस्थान करेंगी। देवरी से चुनार गेस्ट हाउस में पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगी। 20 मार्च को वह चुनार गेस्ट हाउस से वाराणसी शीतला जी के मंदिर पहुंचेंगी। वाराणसी में वह सुल्तानेश्वर मंदिर में दर्शन-पूजन के अलावा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भी दर्शन -पूजन करने जाएंगी। अभी जो सूचना मिल रही है उसके मुताबिक 17 मार्च को लखनऊ में कार्यक्रम संशोधित भी हो सकता है जिसके तहत वह काशी के कोतवाल काल भैरव मंदिर भी जा सकती हैं। वैसे उनके पूरे प्रोग्राम में महज एक प्रोग्राम है जिसके तहत वह 19 मार्च को सुबह 10 बजे वह विंध्याचल से कंतित में मौलाना इस्माइल चिश्ती की मजार पर दर्शन करेंगी
अति पिछड़ों, अदर बैकवर्ड को पाले में लाने की जुगत भी
अब अगर कांग्रेस महासचिव व पूर्वी उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका के पहले पूर्वांचल दौरे की बात की जाए तो जो कार्यक्रम जारी हुआ है उसके अनुसार वह मल्लाहों से मिल रही हैं। बनारस में वह महिला समूह के साथ ही अस्सी घाट पर मल्लाहों से भी रू-ब-रू होंगी। उनकी पीड़ा सुनेंगी। बता दें कि मौजूदा सरकार के जल परिवहन योजना का नाविक विरोध कर रहे हैं। वाराणसी में क्रूज चलाने के विरोध में वो बड़ा आंदोलन कर चुके हैं।
 

इसके पीछे भी वही कारण है अति पिछड़ों की घरवापसी करना। यहां यह भी बता दें कि ये अदर बैकवर्ड ही हैं जिनके दम पर बीजेपी ने 2014 में दिल्ली का रास्ता फतह किया था।
शहीदों के परिजन

प्रियंका गांधी देश के शहीदों को नमन भी करेंगी। शहीदों के परिजनों से मुलाकात होगी। इसके तहत घोषित कार्यक्रम के तहत धरिया की ओर रवाना होंगी और यहां वह अतिथि गृह में पुलवामा में शहीद महेश राज यादव के परिजनों से मुलाकात करेंगी।
 
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