न्यूनतम आय गारंटी को लेकर कांग्रेस के मेनिफेस्टो टीम के सदस्य का दावा, ये देश की तकदीर बदल देगी
-दुनिया की इन महान हस्तियों ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को दी न्यूनतम आय गारंटी योजना की सलाह-कांग्रेस घोषणा पत्र निर्माण समिति के सदस्य ललितेशपति का दावा–योजना से गरीब ही लाभान्वित नहीं होंगे बल्कि अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी-नौजवानों को रोजगार मिलेगा। क्षेत्रीय उद्योगों को मजबूती भी मिलेगी।-अर्थशास्त्रियों में मतांतर-कुछ कहते हैं न्याय योजना से बदलेगी देश की तकदीर-कुछ का कहना है कि ऐसी योजनाओं को तत्काल बंद कर देना चाहिए
डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदीवाराणसी. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गरीबों के लिए न्याय योजना (न्यूनतम आय गारंटी स्कीम) की घोषणा कर के देश की सियासत में हड़कंप ला दिया है। एक तरफ जहां इस योजना को लेकर कांग्रेसी गदगद हैं तो विपक्ष यानी भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता इसे देश की अर्थव्यवस्था पर चोट पहुंचाने वाली योजना करार दे रहे हैं। पत्रिका ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की इस योजना के बारे में जानने की कोशिश की, राहुल गांधी को कहां से मिला यह सुझाव, क्या होगा इसका असर, क्या कहते हैं, पार्टी के मेनिफेस्ट कमेटी के सदस्य और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के अर्थ शास्त्रियों की क्या है राय। जानते हैं क्या हकीकत।
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव 2019 के ऐलान होने के बाद देश के सबसे गरीब 20 प्रतिशत परिवारों को सालाना 72,000 रुपए देने का ऐलान किया है। उन्होंने चार दिन पहले कहा कि कांग्रेस 21वीं सदी में इस देश से गरीबी को हमेशा के लिए मिटा देना चाहती है और अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो गरीबों को 6,000 रुपए महीना दिया जाएगा। कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी बताया है कि “हम चार-पांच महीने से अध्ययन कर रहे थे, इस कड़ी में हमने दुनिया के अर्थशास्त्रियों से बात करने के बाद इसे तैयार किया है, हमारे पास सारी कैल्कुलेशन है।”
जानें क्या कहा कांग्रेस के मेनिफेस्टो कमेटी के सदस्य ने राहुल गांधी की इस बात को लेकर पत्रिका ने पार्टी के प्रमुख नेता और पार्टी के मेनिफेस्टो कमेटी के सदस्य व मिर्जापुर से सांसद प्रत्याशी ललितेशपति त्रिपाठी से यह जानने की कोशिश की कि ये योजना क्या है। इसमें बताया गया है कि यह आइडिया असल में साल 2015 के नोबल पुरस्कार विजेता ब्रिटिश इकोनॉमिस्ट एंगस डीटन और फ्रेंच इकोनॉमिस्ट थॉमस पिकेटी का है।
फ्रांसीसी मूल के अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी की राय उन्होंने बताया कि फ्रांसीसी मूल के अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी ने ‘Capital in the Twenty-First Century’ शीर्षक से एक किताब लिखी है। इसमें उन्होंने औद्योगिक क्रांति से पैदा हुई असमानता को कम करने के बारे में बताया है। किताब में यह भी बताया गया है कि कैसे कुछ धनाढ्य परिवारों के कब्जे से पूंजी को निकालकर आम लोगों तक पहुंचाया जाए। त्रिपाठी ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी न्यूनतम आय योजना को लेकर पिछले कुछ समय से गंभीर थे। उन्होंने इस विषय पर काम करने के लिए कई लोगों को लगा रखा था। इसी दौरान इस किताब के बारे में पता चला और इसके लेखक से संपर्क किया गया।
भारतीय नोबल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन की पहल यहां यह बता दें कि कि एंगस डीटन भारतीय नोबल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन और ज्यां द्रेज के साथ मिलकर लेखन कर चुके हैं। इन दोनों अर्थशास्त्रियों ने राहुल गांधी को एंगस से मिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बता दें कि अमर्त्य सेन और ज्यां द्रेज पहले सोनिया गांधी की नेशनल एडवाइजरी कॉउंसिल का हिस्सा रहे हैं।
देश की अर्थव्यवस्था सुधरेगी, रोजगार के मौके बढेंगे ललितेश ने पत्रिका से खास बातचीत में बताया कि न्यूनतम आय गारंटी योजना के मार्फत हर गरीब परिवार, जिनकी मासिक आय 12,000 रुपये के कम है, उस परिवार की महिला मुखिया के खाते में पैसा डाला जाएगा। यह रकम 6,000 रुपये होगी। उन्होंने कहा कि इससे न केवल गरीब परिवार की आय सम्मानजनक होगी बल्कि इससे पिछले पांच साल में ध्वस्त हो चुकी अर्थव्यवस्था भी पटरी पर आएगी। कहा कि जब गरीब के पास सम्मानजनक पैसा होगा तो उसके मार्केटिंग कैपिसिटी बढ़ेगी। पहले वह स्थानीय बाजार में जाएगा। जरूरत की सामग्री खरीदेगा। इससे स्थानीय मार्केट में तेजी आएगी। इससे स्थानीय लघु एवं कुटीर उद्योगों को फायदा होगा। स्थानीय लघु एवं कुटीर उद्योगों को मुनाफा होगा तो उन्हें मैन पावर की जरूरत होगी जिससे बेरोजगार युवकों को काम मिलेगा। इस तरह से जो 6,000 रुपये गरीब के खाते में जाएगा वह रोटेट करके सरकारी खजाने में आएगा जिससे यह योजना को लगातार फलेगी-फूलेगी जैसे मनरेगा।
योजना क्रियान्वित हुई तो बदल जाएगा हिंदुस्तान बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री प्रो एनके मिश्रा ने पत्रिका को बताया कि अगर यह न्याय योजना सही में क्रियान्वित हो गई तो हिंदुस्तान में बड़ा बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि पिछले 4-5 साल से पूरी दुनिया में इस पर बहस चल रही थी। लेकिन किसी ने इतनी बड़ी हिम्मत नहीं दिखाई। ये हिम्मत दिखाई है कांग्रेस ने। अगर यह प्रोग्राम लागू हो गया तो दुनिया का सबसे बड़ा प्रोग्राम होगा। इसका बड़ा इम्पैक्ट होगा। हालांकि इतनी बड़ी रकम का रिसोर्स क्या होगा यह बड़ चैलेंज है। दूसरे लाभार्थी का चयन भी बड़ी चुनौती होगी। कहा कि अभी आय आधारित पहचान का कोई पैमाना नहीं है। इसके लिए सेल्फ टार्गेटिंग सिस्टम लाना होगा कांग्रेस को। इसके लिए कांग्रेस को काफी होमवर्क करना होगा। लेकिन अगर यह योजना क्रियान्वित हो गई तो निःसंदेह हिंदुस्तान की तकदीर बदल जाएगी।
यह पूरी तरह से अव्यवहारिक योजना है, ऐसी योजनाएं कतई लागू नहीं होनी चाहिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री प्रो बीवी सिंह ने पत्रिका से बातचीत में न्याय योजना को पूरी तरह से अव्यवहारिक करार दिया। कहा कि यह पोलिटिकल स्टंट है। यह भी कहा कि राजनीति के लिए लागू होने वाली ऐसी योजनाओं को लागू करने की इजाजत ही नहीं देना चाहिए। कहा कि गरीबों की दशा सुधारने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, ट्रांसपोर्टेशन पर ध्यान देने की जरूरत होती है। इससे फिजिकल डेफिसिट प्रभावित होगी। विकास कार्यों में कटौती करनी होगी। कहा कि इस तरह की योजना स्विटजरलैंड में लागू हुई पर उसे जनता ने ही नकार दिया। कहा कि यह पूरी तरह से मनरेगा की तरह है और वह योजना भी देशहित में नहीं। मनरेगा ने कृषि मजूरों की कमी कर दी। मजदूरों को काम तो मिल नहीं रहा उल्टे कृषि मजदूरों की इंकम बढ़ गई जिसका असर खेती-किसानी पर पड़ रहा है। कहा कि पोलिटकल मोटिव से ऐसी योजनाएं लागू की जाती हैं जिसे अर्थशास्त्र की दृष्टि से मुनासिब नहीं ठहराया जा सकता।