इन सब को नजरंदाज कर 23 जनवरी 2020 को बेनियाबाग वाराणसी में जिस NRC-CAA प्रकरण में हुए प्रदर्शन पर FIR करके पुलिस इनको ढूंढ रही है उस पूरे दिन जागृति बतौर जुवेनाइल बोर्ड सदस्या कोर्ट में मौजूद रही हैं, जिसकी पुष्टि कार्यालय रजिस्टर व CCTV कैमरे में साक्ष्य से ज्ञात की जा सकती है। जागृति के साथ ही डॉ अनूप श्रमिक का भी नाम वाराणसी पुलिस की सूची में दर्ज है, जबकि डॉ श्रमिक घटनास्थल पर 23 जनवरी 2020 को आए ही नही। डॉ श्रमिक दशकों से एससी/एसटी मॉनीटरिंग प्रकोष्ठ के सम्मानित सदस्य हैं।
राघवेंद्र ने कहा कि यह सरकार लोकतंत्र को हाशिए पर रख रही है जो लोकतांत्रिक देश मे अनुचित है। अतः पुलीस महानिरीक्षक से अनुरोध है कि संबंधित जिम्मेदार जांच अधिकारी से वार्ता कर साक्ष्यों का पुनरावलोकन करके न्यायपूर्ण कार्रवाई करने को निर्देश दें। संवैधानिक रूप से आवाज उठाने वालों पर जबरन पुलिसिया कार्रवाई बंद हो व समाज मे सौहार्दपूर्ण वातावरण बना रहे।।
प्रतिनिधि मंडल में फ़साहत हुसैन बाबू,मनीष चौबे, मयंक चौबे, रितु पांडेय, कब्बन भाई, पूनम कुंडडू, अशोक सिंह, मनीष सिन्हा, तौफीक कुरेशी, रोहित दुबे, परवेज खां, किशन यादव, आदिल, नदीम, बेचन यादव समेत दर्जनों कार्यकर्ता शामिल रहे।