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राजनीति में फंस गया राम मंदिर, निर्माण सिर्फ संत-महात्मा ही करा सकते हैं- स्वरूपानंद सरस्वती

locationवाराणसीPublished: Nov 25, 2018 10:30:42 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

आज देश दुनिया में गौमांस के निर्यातक के रूप में ख्याति प्राप्त कर रहा है, जो सनातन धर्म के लिए उचित नही।

swami swarupanand

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वाराणसी. अयोध्या में राम मंदिर था और आगे भी वहां राम मन्दिर ही रहेगा। यह कहना है ज्योतिष एवं शारदा द्वारिका पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती का। वह काशी में आयोजित परम धर्म संसद के प्रथम दिन आयोजित संत सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मंदिर के अभी तक नही बन पाने की सबसे बड़ी वजह राजनीतिक खींचतान है।
उन्होंने कहा कि जब सरकार संविधान की शपथ लेती है तो वह धर्म निरपेक्ष हो जाती है, वह किसी धर्म विशेष का पक्ष नही ले सकती। राम मंदिर सनातन धर्म से जुड़ा विषय है, इसलिए धर्म निरपेक्ष सरकार से राम मंदिर के लिए कुछ उम्मीद नही की जा सकती। मंदिर के नाम पर सिर्फ सनातनी जनता को बरगलाया जा रहा है। बनाने की प्रक्रिया चल रही है। मंदिर का निर्माण सिर्फ हम और संत महात्मा ही कर सकते है।
विकास के नाम पर काशी में मंदिरों में हो रही तोड़फोड़ उचित नही है। भारत पूरी दूनिया में आज भी शीर्षस्थ है क्योंकि भारत की सभ्यता और संस्कृति सबसे प्राचीन है। भारत के धर्मशास्त्रों का लाभ पूरा विश्व लेता है, इसकी सबसे बड़ी वजह वेदों की परंपरा का अनुकरण।
स्वामी स्वरूपानन्द ने गंगा सफाई पर जोर देते हुए कहा कि जीवनदायिनी गंगा आज आचमन योग्य भी नही रह गई है जो चिंता का विषय है। गंगा पहले भी पवित्र थी और आज भी, बस आवश्यकता है उसे अविरल करने की। उन्होंने कहा कि आज देश दुनिया में गौमांस के निर्यातक के रूप में ख्याति प्राप्त कर रहा है, जो सनातन धर्म के लिए उचित नही है। उन्होंने कहा कि सरकार आज मठ मंदिरों पर नियंत्रण करने की तैयारी में लगी है, जिसमें वह मंदिरों का हिसाब किताब रखना शुरू कर रही है। सन्तों से हिसाब भ्रष्ट नेता व अधिकारी लेंगे इससे दुर्भाग्यपूर्ण विषय क्या हो सकता है
भजन से गूंजा परम धर्म संसद प्रांगण
परम धर्म संसद प्रांगण में प्रथम दिन सायंकाल काशी के कलाकारों ने भजनों की बयार बहाई। गायक डॉ. विजय कपूर ने ‘यह धर्म संसद है, यह धर्म संसद है‘, ‘शंकर तेरी जटा से बहती है गंगधार‘ जैसे भजनो की सुमधुर प्रस्तुति दी। उनके साथ सह गायन पर खुशबू रोहित रही। तबले पर सुमन्त चैधरी, साइड रिद्म पर संजय श्रीवास्तव एवं बेंजो पर लक्ष्मण ने संगत की।

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